रूस की गलती से 'आउट ऑफ कंट्रोल' हुआ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन, NASA ने दी जानकारी
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) गुरुवार को अचानक नियंत्रण से बाहर चला गया और नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने इससे जुड़ी जानकारी दी है। NASA के अधिकारियों ने बताया कि रूस के रिसर्च मॉड्यूल में लगे जेट थ्रस्टर्स अचानक चल गए, जिसके चलते स्पेस स्टेशन 'आउट ऑफ कंट्रोल' हो गया। ऐसा होने के कुछ घंटे पहले ही रूस का मॉड्यूल ऑर्बिटिंग आउटपोस्ट से आकर जुड़ा था। हालांकि, जल्द ही स्थिति नियंत्रण में आ गई और बड़ा हादसा नहीं हुआ।
सभी अंतरिक्षयात्री पूरी तरह सुरक्षित
NASA और रूस सरकार की न्यूज एजेंसी RIA ने बताया कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में हुई घटना किसी हादसे की वजह नहीं बनी और सभी सुरक्षित हैं। आधिकारिक बयान में NASA ने कहा कि दो रूसी कॉस्मोनॉट्स, तीन NASA के अंतरिक्षयात्री, एक जापानी अंतरिक्षयात्री और एक यूरोपियन स्पेस एजेंसी के प्रांसीसी अंतरिक्षयात्री किसी तरह के खतरे की स्थिति में नहीं थे और हालात बिगड़ने से पहले उनपर काबू पा लिया गया।
NASA को टालना होगा अगला लॉन्च
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर हुए हादसे का इतना असर जरूर हुआ कि NASA को इसका अलग मिशन लॉन्च कम से कम 3 अगस्त तक के लिए टालना होगा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी की योजना बोइंग के नए CST-100 स्टारलाइनर कैप्सूल को बिना किसी क्रू वाली टेस्ट फ्लाइट की मदद से ISS तक भेजने की है। बता दें, स्टारलाइनर को एटलस-V रॉकेट की मदद से उड़ान भरनी है और पहले शुक्रवार का दिन मिशन के लिए तय किया गया था।
मॉस्को के मिशन कंट्रोलर्स से हुई गलती
NASA के मुताबिक, पहले से तय मिशन के हिसाब से रूस का मल्टीपर्पज नाउका मॉड्यूल स्पेस स्टेशन से जाकर जुड़ गया था। इसके करीब तीन घंटे बाद उसके जेट थ्रस्टर्स ऑन हो गए और ISS की नियंत्रण प्रणाली पर इसका असर पड़ा। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मॉड्यूल के ISS से जुड़ने (डॉकिंग) के बाद मॉस्को में मिशन कंट्रोल्स कुछ पोस्ट-डॉकिंग 'रीकन्फिगरेशन' की प्रक्रिया पूरी कर रहे थे, जहां उनसे गलती हुई।
घोषित करनी पड़ी 'स्पेसक्राफ्ट इमरजेंसी' की स्थिति
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों ने बताया कि मॉड्यूल के जेट अचानक फिर से शुरू हो गए, जिससे पूरा स्टेशन इसकी सामान्य फ्लाइट पोजीशन से हट गया, जो धरती से लगभग 400 किलोमीटर दूर है। हालात की गंभीरता को देखते हुए मिशन फ्लाइट डायरेक्टर ने फौरन इसे 'स्पेसक्राफ्ट इमरजेंसी' घोषित किया। NASA स्पेस स्टेशन प्रोग्राम मैनेजर जोएल मोंटलबेनो ने बताया कि करीब 45 मिनट कर 'लॉस ऑफ एटिट्यूड कंट्रोल' की स्थिति बनी रही।
ऐसे पुरानी स्थिति में पहुंचाया गया ISS
धरती पर मौजूद फ्लाइट टीम ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को इसकी पुरानी स्थिति में वापस लाने के लिए ऑर्बिटिंग प्लेटफॉर्म पर लगे दूसरे मॉड्यूल के थ्रस्टर्स ऐक्टिव किए। इस तरह एक मॉड्यूल से झटका लगने के चलते ISS जहां सामान्य पोजीशन से हट गया था, वहीं दूसरे मॉड्यूल के थ्रस्टर्स से विपरीत दिशा में जोर लगाकर इसे फिर से सामान्य पोजीशन पर पहुंचाया गया। एक्सपर्ट्स ने इस पूरे घटनाक्रम को मॉड्यूल्स के बीच हुई 'रस्सा-कशी' (खींचतान) भी कहा है।
किसी तरह की खतरे की स्थिति नहीं
नाउका मॉड्यूल के इंजन पूरी तरह बंद कर स्पेस स्टेशन को स्टेबल किया गया और पोजीशन रीस्टोर की गई। इस हादसे के दौरान कुछ वक्त के लिए क्रू से कम्युनिकेशन टूट गया था लेकिन क्रू में शामिल अंतरिक्षयात्री किसी तरह के खतरे की स्थिति में नहीं पहुंचे। NASA ने बताया कि क्रू को तुरंत किसी तरह की हरकत का पता ही नहीं चला, जबकि स्पेस स्टेशन हर सेकेंड अपनी पोजीशन से करीब आधा डिग्री खिसक रहा था।
क्या होता अगर बिगड़ जाते हालात?
अगर किसी वजह से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर हालात खराब हो जाएं तो आपात स्थिति में सभी क्रू मेंबर्स स्पेस-X क्रू कैप्सूल की मदद से वापस आ सकते हैं। NASA के कॉमर्शियल क्रू प्रोग्राम मैनेजर स्टीव स्टिच ने बताया कि आउटपोस्ट पर लगा स्पेस-X का कैप्सूल ऐसी स्थिति में किसी 'लाइफबोट' की तरह काम करेगा। अच्छी बात यह भी रही कि पूरे घटनाक्रम में स्पेस स्टेशन को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।
क्या है इंटरनेशन स्पेस स्टेशन?
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) अंतरिक्ष में मौजूद एक रिसर्च सेंटर है, जिसे दुनिया के कई देशों ने मिलकर पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया है। यह इंसानों का बनाया सबसे बड़ा कृत्रिम उपग्रह है, जिसपर अंतरिक्षयात्री जाते रहते हैं।