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ISRO को बड़ा झटका, सफलतापूर्वक लॉन्च नहीं हो सका EOS-3 सैटेलाइट
सफलतापूर्वक लॉन्च नहीं हो सका EOS-3 सैटेलाइट

ISRO को बड़ा झटका, सफलतापूर्वक लॉन्च नहीं हो सका EOS-3 सैटेलाइट

Aug 12, 2021
10:56 am

क्या है खबर?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को गुरुवार सुबह बड़ा झटका लगा, जब GSLV रॉकेट में तकनीकी खामी के चलते अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट (EOS-3) को सफलतापूर्वक लॉन्च करने का मिशन सफल नहीं हो सका। ISRO ने EOS-3 सैटेलाइट को जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में स्थापित करने की योजना बनाई थी, लेकिन लॉन्च होने के पांच मिनट के भीतर ही GSLV रॉकेट में तकनीकी खामी आ गई और तीसरी स्टेज में क्रायोजेनिक इंजन ने काम करना बंद कर दिया।

जानकारी

ISRO की क्या प्रतिक्रिया आई है?

ISRO ने बयान जारी कर बताया कि पहली और दूसरी स्टेज की परफॉर्मेंस सामान्य थी। हालांकि, तकनीकी खामी के चलते क्रायोजेनिक अपर स्टेज में ईंधन जलना शुरू नहीं हुआ और इस मिशन उम्मीदों के अनुरूप पूरा नहीं हुआ।

तकनीकी खामी

क्रायोजेनिक इंजन में तापमान नियंत्रित रखना जटिल काम

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, क्रायोजेनिक अपर स्टेज एक स्वदेशी विकसित क्रायोजेनिक इंजन है, जो बेहद कम तापमान पर लिक्विड हाइड्रोजन और लिक्विड ऑक्सीजन से चलता है। इसकी ईंधन दक्षता बहुत होती है और यह भारी पेलोड को अंतरिक्ष में पहुंचाने के लिए GSLV जैसे भारी रॉकेट को पर्याप्त बल मुहैया कराता है। ये परंपरागत इंजनों से अलग होता है। इसमें बेहद कम तापमान की जरूरत रहती है और उस तापमान को बनाए रखना काफी जटिल होता है।

जानकारी

GSLV रॉकेट से थी 14वीं लॉन्चिंग

GSLV रॉकेट से ISRO की यह 14वीं लॉन्चिंग थी, जिनमें से चार असफल हुई हैं। EOS-3 को GSLV के मार्क-2 वर्जन से लॉन्च किया गया था। इस रॉकेट को अंतिम बार दिसंबर, 2018 में GSAT-7A की सफलतापूर्वक लॉन्चिग में उपयोग किया गया था और इसे 2010 में आखिरी बार असफलता का सामना करना पड़ा था। महामारी के कारण पहले से ही देरी से चल रहे मिशनों के बीच ISRO के लिए आज की असफलता बड़ा झटका है।

ISRO का मिशन

अंतरिक्ष में कैमरे की तरह काम करता EOS-3

EOS-3 को पिछले साल मार्च में लॉन्च किया जाना था, लेकिन पहले कुछ तकनीकी खामियों और फिर महामारी के कारण इसकी लॉन्चिंग टलती गई। EOS-3 नई जनरेशन का अर्थ-ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट है, जो रियल टाइम पर देश की तस्वीरें मुहैया कराता। इन तस्वीरों को बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं, जलाशयों, फसलों और जंगलों आदि पर नजर के इस्तेमाल किया जा सकता था। आसान शब्दों में यह सैटेलाइट भारत के लिए अंतरिक्ष में लगे कैमरे की तरह काम करने वाला था।

ISRO का मिशन

मिशन सफल होने पर क्या होता?

ISRO ने इस सैटेलाइट को सुबह लगभग 5:43 मिनट पर लॉन्च किया था। अगर यह मिशन सफल होता तो करीब पांच घंटे बाद यह सैटेलाइट अपने ऑर्बिट में पहुंच जाता और अब तक धरती की तस्वीरें लेना शुरू कर चुका होता। इसमें तीन बेहद शक्तिशाली कैमरे लगे हुए थे, जो दिन-रात और हर मौसम में धरती से साफ तस्वीरें लेकर ISRO को दूसरी एजेंसियों को भेज सकते थे। इनसे आपदा प्रबंधन और सुरक्षा संबंधी कामों में मदद मिलती।

आगामी मिशन

EOS-2 भी लॉन्च करेगा ISRO

पिछले लगभग 50 सालों में 37 अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट (EOS) अंतरिक्ष में भेेजे गए हैं, जिनमें से दो लॉन्चिंग के समय ही फेल हो गए थे। अब ISRO EOS-2 भी भेजने की योजना बना रहा है, लेकिन अभी तक इसकी लॉन्चिंग की तारीख तय नहीं हुई है। यह थर्मल इमेजिंग कैमरों समेत कई विशेष उपकरणों से लैस होगा। यह अन्य कामों के साथ-साथ सीमा पर सेनाओं के लिए भी बेहद मददगार साबित होगा।