चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने देखे चांद की सतह पर पानी के संकेत
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद (ISRO) के चंद्रयान-2 मिशन के ऑर्बिटर की मदद से चांद की नई जानकारियां लगातार सामने आ रही हैं। अब पता चला है कि चांद की सतह पर हाइड्रॉक्सिल और वाटर मॉलिक्यूल्स (पानी के अणु) मौजूद हैं।
वैज्ञानिकों ने चांद की खनिज सरंचना को समझने के लिए ऑर्बिटर के इमेजिंग इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर (IIRS) से मिले आंकड़ों का अध्ययन किया। इससे चांद की सतह पर पानी मौजूद होने के संकेत सामने आए हैं।
रिसर्च
सूरज की रोशनी वाले हिस्से में ज्यादा पानी
करंट साइंस जर्नल में प्रकाशित रिसर्च में बताया गया है कि चांद की सभी प्रकार की सतहों पर हाइड्रेशन एब्जोर्पशन पाया गया है।
रिसर्चर ने बताया कि आंकड़ों की शुरुआती समीक्षा में चांद की सतह पर हाइड्रेशन का पता चलता है और 29 डिग्री नॉर्थ से लेकर 62 डिग्री नॉर्थ के बीच स्पष्ट तौर पर हाइड्रोक्सिल (OH) और पानी (H2O) के संकेत मिले हैं।
जिस क्षेत्र में सूरज की रोशनी पड़ती है, वहां ऐसे ज्यादा संकेत मिले हैं।
चांद पर पानी
वैज्ञानिकों ने जानकारी को माना बेहद अहम
देहरादून स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के वैज्ञानिकों ने बताया कि स्पेस वेदरिंग की वजह से चांद पर हाइड्रोक्सिल और पानी मौजूद हो सकते हैं।
स्पेस वेदरिंग उस प्रक्रिया को कहते हैं, जब सौर हवाएं चांद की सतह के साथ टकराती हैं। इसके साथ कुछ अन्य कारकों की वजह से केमिकल चेंज होते हैं, जो हाइड्रोक्सिल बनने का कारण हो सकते हैं।
वैज्ञानिकों ने इस जानकारी को बेहद अहम माना है।
रिसर्च
भविष्य के मिशनों के लिए उपयोगी जानकारी
रिसर्च में बताया गया है कि नई जानकारी भविष्य के मिशनों के लिए उपयोगी है। यह चांद पर जाने और वहां बेस बनाने में काम आ सकती हैं। गौरतलब है कि भारत समेत कई देश चांद पर मिशन भेजने की योजना बना रहे हैं।
इससे पहले चंद्रयान मिशन ने भी चांद की सतह पर पानी का पता लगाया था। इस बार की जानकारी चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने दी है, जो चांद की परिक्रमा कर रहा है।
जानकारी
2019 में लॉन्च हुआ था चंद्रयान-2
चंद्रयान-2 मिशन को जुलाई, 2019 में लॉन्च किया गया था। यह भारत की चांद की सतह पर उतरने की पहली कोशिश थी।
इसके तहत एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर को भेजा गया था। लैंडिंग से कुछ सेकंड पहले लैंडर का कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया था, जिसके बाद उससे संपर्क की सारी कोशिशें बेकार हुई।
भले ही भारत चांद की सतह पर नहीं उतर पाया, लेकिन उसने कई ऐसी उपलब्धियां हासिल कर लीं, जो आगामी मिशन में सहायता करेंगी।
जानकारी
अगले साल लॉन्च होगा चंद्रयान-3
चंद्रयान-2 के थोड़े समय बाद ही ISRO ने चंद्रयान-3 की तैयारियां शुरू कर दी थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस मिशन में देरी हो रही है।
केंद्र सरकार की तरफ से जानकारी दी गई है कि अगले साल की तीसरी तिमाही तक चंद्रयान-3 को लॉन्च किया जा सकता है और इसके लिए ISRO पूरे दमखम से तैयारी में लगा हुआ है।
चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं होगा और केवल लैंडर और रोवर ही चांद की सतह पर भेजे जाएंगे।