
गगनयान मिशन के लिए ISRO और भारतीय नौसेना ने किया रिकवरी ऑपरेशन का परीक्षण
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और नौसेना ने गगनयान मिशन के लिए रिकवरी ऑपरेशन का परीक्षण किया है।
इस परीक्षण में विशाखापत्तनम के तट पर स्थित एक वेलडेक का उपयोग किया गया। वेलडेक एक प्रकार का फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म है, जिसमें पानी भरा जा सकता है और इसे बुलवार्क से संरक्षित किया जा सकता है।
इसका उद्देश्य क्रू मॉड्यूल को समुद्र में स्पलैशडाउन के बाद रिकवर करना है। मॉकअप क्रू-मॉड्यूल को रिकवरी प्रक्रिया की पूरी जांच के लिए इस्तेमाल किया गया।
परीक्षण
परीक्षण में क्या हुआ?
इस परीक्षण में क्रू-मॉड्यूल से रिकवरी बॉय को जोड़ा गया, जिससे मॉड्यूल को वेलडेक शिप में खींचा जा सके।
इसके बाद क्रू-मॉड्यूल को वेलडेक के भीतर एक फिक्सचर पर रखा गया। रिकवरी ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य समुद्र में क्रू-मॉड्यूल के उतरने के बाद उसे जल्दी से जहाज में खींचकर वापस लाना है।
इस परीक्षण से गगनयान मिशन की सुरक्षा और प्रभावशीलता को बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिससे भविष्य में ऐसे मिशन की सफलता की संभावना बढ़ेगी।
वजह
रणनीतियों को समझने के लिए किया गया परीक्षण
गगनयान मिशन के लिए ग्राउंड फिक्सचर और मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOP) का परीक्षण किया गया।
भारतीय नौसेना यह परीक्षण कर रही है, ताकि रिकवरी के लिए सबसे बेहतर रणनीतियों को समझा जा सके। यह परीक्षण श्रृंखला में नाममात्र और ऑफ-नॉमिनल स्थितियों के लिए SOP को सही किया जा रहा है।
पहली गगनयान उड़ान 2025 की पहली तिमाही में होगी, जो बिना चालक दल के होगी। इसके बाद 2 और मानवरहित उड़ानें होंगी, जिनमें व्योममित्रा रोबोट भी शामिल होगी।
मिशन
क्या है गगनयान मिशन?
गगनयान मिशन का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की टीम को पृथ्वी से 400 किलोमीटर ऊंची निचली कक्षा (LEO) में भेजना और 3 दिन बाद उन्हें सुरक्षित रूप से वापस लाना है।
इस मिशन के लिए भारतीय वायुसेना के 4 पायलटों (प्रशांत नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णन और शुभांशु शुक्ला) का चयन किया गया है।
गगनयान को ISRO के हेवी-लिफ्ट लॉन्चर LVM-3 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा, जो भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।