नासा ने लॉन्च किया यूरोपा क्लिपर मिशन, बर्फीले चंद्रमा का किया जाएगा अध्ययन
अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बृहस्पति के बर्फीले चंद्रमा यूरोपा का अध्ययन करने लिए आज (14 अक्टूबर) यूरोपा क्लिपर मिशन को लॉन्च कर दिया है। भारतीय समयानुसार इस अंतरिक्ष मिशन को आज रात 09:36 बजे फ्लोरिडा में कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से स्पेस-X के फाल्कन हेवी रॉकेट से लॉन्च किया गया है। इस मिशन के तहत यूरोप के वायुमंडल और उसके सतह के बारे में जानकारी हासिल की जाएगी।
5 साल में बृहस्पति तक पहुंचेगा अंतरिक्ष यान
यूरोपा का आकार पृथ्वी के चंद्रमा के बराबर है, लेकिन इसकी सतह पर बहुत कम क्रेटर हैं। यूरोपा क्लिपर को बृहस्पति तक पहुंचने के लिए 5 साल से अधिक समय लगेगा, जिसमें यह 2.89 अरब किलोमीटर की दूरी तय करेगा। अंतरिक्ष यान यूरोपा की सतह पर नहीं उतरेगा, बल्कि कई वर्षों तक इसके ऊपर से फ्लाईबाई करते हुए डाटा एकत्र करेगा। यह मिशन यूरोपा के करीब से दर्जनों बार गुजरेगा और वहां की अहम जानकारी जुटाएगा।
अंतरिक्ष यान में हैं इतने उपकरण
यूरोपा क्लिपर अंतरिक्ष यान 9 उपकरण और 1 गुरुत्वाकर्षण विज्ञान प्रयोग के साथ यूरोपा से डाटा एकत्र करेगा। इसमें बर्फ के नीचे की जानकारी जुटाने वाला रडार और उच्च-रेजोल्यूशन कैमरे शामिल हैं। अंतरिक्ष यान में बड़े सौर पैनल लगे हैं, क्योंकि बृहस्पति सूर्य से काफी दूर है। ये पैनल पंखों की तरह फैले हुए हैं और करीब 100 फीट तक फैले हैं, जो अंतरिक्ष यान को ऊर्जा प्रदान करते हैं।
इस मिशन का उद्देश्य क्या है?
यूरोपा क्लिपर अंतरिक्ष यान को बृहस्पति के गैलीलियन चंद्रमा, यूरोपा का अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया है। अब तक किए गए शोध से पता चला है कि यूरोपा की बर्फीली सतह के नीचे पृथ्वी के महासागरों से दोगुना बड़ा पानी का महासागर हो सकता है। मिशन का मुख्य उद्देश्य बर्फ की परत और उसके नीचे के महासागर की संरचना को समझना, चंद्रमा की भूवैज्ञानिक विशेषताओं का अध्ययन करना और संभावित जीवन के अनुकूल परिस्थितियों की जांच करना है।