सुनीता विलियम्स से पहले इन लोगों को अंतरिक्ष में स्वास्थ्य समस्याओं का करना पड़ा है सामना
नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) में इन दिनों स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही हैं। अंतरिक्ष एजेंसी ने हाल ही में एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें विलियम्स काफी पतली नजर आ रही थीं। वह अपने साथी बुच विल्मोर के साथ बीते 6 महीनों से ISS में फंसी हुई हैं। हालांकि, विलियम्स ऐसी पहली अंतरिक्ष यात्री नहीं हैं। उनसे पहले भी कई अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को भी ISS में बुरे स्वास्थ्य से गुजरना पड़ा है।
स्कॉट केली अंतरिक्ष में रहें 340 दिन
स्कॉट केली ने 'एक्सपीडिशन 46/47' मिशन में 340 दिन अंतरिक्ष में बिताए, जिससे उनके शरीर पर कई स्वास्थ्य प्रभाव पड़े। उनकी हड्डियों की घनत्व कम हो गई, मांसपेशियों में कमजोरी आई और आंखों की दृष्टि पर भी असर हुआ, जिसे अंतरिक्ष में दबाव में कमी से जोड़ा गया। लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने से उनका DNA भी कुछ हद तक बदल गया, लेकिन यह अस्थायी था। मानसिक और शारीरिक प्रभाव भी देखे गए, जो पृथ्वी पर सुधारने लगे।
यूरी गगारिन के स्वास्थ्य पर भी पड़ा था प्रभाव
1961 में यूरी गगारिन 'वोस्टोक-1' मिशन के साथ अंतरिक्ष में जाने वाले पहले मानव बने। इस ऐतिहासिक यात्रा के दौरान उन्हें कोई बड़ी शारीरिक समस्या नहीं हुई, लेकिन मिशन के बाद मानसिक दबाव और अवसाद के लक्षण देखे गए। सोवियत संघ ने उनके स्वास्थ्य पर काफी समय तक निगरानी रखी, पर कोई गंभीर शारीरिक प्रभाव नहीं पाया गया। उनकी यह यात्रा अंतरिक्ष में मानव संभावनाओं की शुरुआत मानी जाती है और उन्होंने अंतरिक्ष उड़ानों के क्षेत्र में नया अध्याय खोला।
जेरी लिनेंगर ने स्पेस स्टेशन पर बिताए 5 महीने
नासा के 1997 में के जेरी लिनेंगर ने सोवियत संघ के मीर स्पेस स्टेशन पर 5 महीने बिताए। इस दौरान उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा, जैसे दृष्टि पर असर, मांसपेशियों की कमजोरी और हड्डियों के घनत्व में कमी। मानसिक रूप से भी वे दबाव में थे, खासकर तंग जगह और अत्यधिक अकेलेपन के कारण। मीर स्टेशन में लंबे समय तक रहने से उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ा।
सैली राइड को रक्त संचार में कठिनाई का करना पड़ा था सामना
सैली राइड ने 1983 और 1984 में 'STS-7' और 'STS-41-G' मिशन में भाग लिया। मिशन के दौरान, उन्हें माइक्रोग्रैविटी के प्रभावों का सामना करना पड़ा, जिसमें शरीर में तरल पदार्थ का असमान वितरण और रक्त संचार में कठिनाई शामिल थी। शारीरिक चुनौती के बावजूद, उन्हें कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या नहीं हुई। सैली ने अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भी मार्ग प्रशस्त किया, क्योंकि उनका सफल मिशन महिलाओं के अंतरिक्ष में भविष्य के योगदान को प्रेरित करने वाला साबित हुआ।
इन अंतरिक्ष यात्रियों को भी हुई समस्या
टिम पीक ने 'एक्सपीडिशन 46/47' मिशन के दौरान अंतरिक्ष में लंबी अवधि बिताई, जिससे उनकी हड्डियों की घनत्व में कमी और मांसपेशियों की कमजोरी हुई। इसके अलावा, उन्हें शरीर में तरल पदार्थ के असामान्य वितरण का भी सामना करना पड़ा, जिससे माइक्रोग्रैविटी का प्रभाव स्पष्ट हुआ। वहीं, एलेक्सेई सितोव को 'सोयुज TMA-9' मिशन के बाद मांसपेशियों की गंभीर कमजोरी और हड्डियों की समस्याएं हुईं। गहरे अंतरिक्ष में यात्रा के बाद उन्होंने अत्यधिक मानसिक थकान और तनाव का अनुभव भी किया।
अंतरिक्ष में प्रमुख तौर पर कौन सी स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं?
अंतरिक्ष में रहने के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे मांसपेशियों और हड्डियों का क्षय, दृष्टि में बदलाव, मानसिक दबाव और तरल पदार्थ का असंतुलन। माइक्रोग्रैविटी के कारण ये समस्याएं होती हैं, जिससे शरीर पर असर पड़ता है। वैज्ञानिक इन समस्याओं के समाधान के लिए नए उपचार और तकनीकों पर शोध कर रहे हैं, ताकि भविष्य के लंबी अवधि के मिशनों में अंतरिक्ष यात्रियों का स्वास्थ्य बेहतर बना रहे।