रूस ने लॉन्च किया चांद मिशन लूना-25, चंद्रयान-3 से पहले होगी लैंडिंग
क्या है खबर?
रूस ने अपना चांद मिशन लूना-25 लॉन्च कर दिया। रिपोर्ट में रूसी मीडिया के हवाले से बताया गया कि 11 अगस्त को सुबह लूना-25 की लॉन्चिंग हुई।
मॉस्को से इसकी लॉन्चिंग सोयुज 2.1 बी रॉकेट से की गई। लगभग 50 साल बाद रूस ने पहली बार अपना चांद मिशन भेजा है।
रूस के इस चांद मिशन की खास बात यह है कि यह जुलाई में भेजे गए भारत के चांद मिशन चंद्रयान-3 से पहले चांद की सतह पर कदम रखेगा।
चांद
21 अगस्त को चांद की सतह पर उतर सकता है लूना-25
रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस का कहना है कि लूना-25 चांद के सफर पर निकल गया है और 5 दिनों तक यह चांद की तरफ बढ़ेगा।
एजेंसी के एक सूत्र के हवाले से AFP ने बताया कि रोस्कोस्मोस को उम्मीद है कि मिशन 21 अगस्त के आसपास चांद की सतह पर उतरेगा।
रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ने पहले लैंडिंग की तारीख 23 अगस्त तय की थी।
बता दें, लूना 25 में भी भारत के चंद्रयान-3 की तरह रोवर और लैंडर हैं।
लैंडिंग
1 वर्ष तक चांद पर रहेगा लूना-25
रोस्कोस्मोस के एक वरिष्ठ अधिकारी अलेक्जेंडर ब्लोखिन ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि इतिहास में पहली बार चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग होगी। उनके मुताबिक, अब तक हर कोई भूमध्यरेखीय क्षेत्र में उतरता रहा है।
रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि अंतरिक्ष यान 1 वर्ष तक चांद पर रहेगा।
एजेंसी के मुताबिक, इसका काम नमूने इकट्ठा करने और मिट्टी का विश्लेषण करने के साथ-साथ दीर्घकालिक वैज्ञानिक अनुसंधान करना है।
जानकारी
ISRO ने रूसी अंतरिक्ष एजेंसी को दी बधाई
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने लूना-25 की लॉन्चिंग पर रोस्कोस्मोस को बधाई देते हुए कहा, "हमारी अंतरिक्ष यात्राओं में एक और मीटिंग पॉइंट आया है, यह सुखद है! चंद्रयान-3 और लूना-25 के अपने लक्ष्यों में सफलता के लिए शुभकामनाएं।"
उद्देश्य
लूना-25 मिशन का उद्देश्य
रोस्कोस्मोस ने बताया कि लूना-25 मिशन का मकसद सॉफ्ट-लैंडिंग टेक्नोलॉजी को विकसित करना है। इसके साथ ही चांद की आंतरिक संरचना पर रिसर्च करना और पानी की बर्फ समेत दूसरी जरूरी चीजों की खोज करना है।
बर्फ की खोज का उपयोग ऑक्सीजन और रॉकेट के लिए ईंधन तैयार करने के साथ ही पीने के पानी के लिए किया जा सकता है।
रूस इससे पहले 1976 में चांद पर मिशन लूना-24 उतार चुका है।
लूना
इस छोटे क्षेत्र में काम करेगा लूना-25
लूना-25 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उस क्षेत्र में काम करेगा, जहां हाल के वर्षों में नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों ने पानी के बर्फ का पता लगाया है।
बीते कुछ वर्षों में अमेरिका, चीन, भारत, जापान और यूरोपीय संघ जैसी शक्तियों ने अपने चांद मिशन तेज किए हैं। हालांकि, सॉफ्ट लैंडिंग में अभी तक अमेरिका, चीन और रूस को ही सफलता मिली है।
बीते कुछ वर्षों में भेजे गए भारत, जापान और इजराइल के चांद मिशन विफल रहे हैं।