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    रूस का अमेरिका पर गंभीर आरोप, कहा- हजारों रूसी नागरिकों के आईफोन को किया हैक
    रूस ने अमेरिका पर साइबर हमले का आरोप लगाया है (तस्वीर: अनस्प्लैश)

    रूस का अमेरिका पर गंभीर आरोप, कहा- हजारों रूसी नागरिकों के आईफोन को किया हैक

    लेखन रजनीश
    Jun 02, 2023
    11:59 am

    क्या है खबर?

    ऐपल के आईफोन को सेफ्टी और सिक्योरिटी के लिहाज से एंड्रॉयड के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। अब एक रिपोर्ट के मुताबिक, हजारों आईफोन की सिक्योरिटी में बड़े पैमाने पर सेंध लगाए जाने का मामला सामने आया है।

    रूस की फेडरल सिक्योरिटी सर्विस (FSB) के मुताबिक, उसने एक अमेरिकी जासूसी ऑपरेशन का पर्दाफाश किया है, जिसमें सर्विलांस सॉफ्टवेयर के जरिए हजारों आईफोन की सेफ्टी और सिक्योरिटी से समझौता किया गया था।

    लैब

    रूसी यूजर्स पर भी हुआ साइबर हमला

    रूस स्थित कैस्परस्काई लैब के CEO युगेन कैस्परस्काई ने ट्विटर पर कहा कि उनके दर्जनों कर्मचारियों के फोन से छेड़छाड़ की गई। इसे उन्होंने जटिल और पेशेवर रूस से लक्षित साइबर हमला बताया।

    FSB ने एक बयान में कहा कि कई हजार ऐपल डिवाइस हैक किए गए, जिनमें घरेलू रूसी यूजर्स के साथ-साथ रूस स्थित विदेशी राजनयिक शामिल हैं।

    FSB के मुताबिक, अमेरिकी हैकरों ने जासूसी अभियान में इजरायल, सीरिया, चीन और NATO सदस्यों के राजनयिकों से समझौता किया था।

    एजेंसी

    ऐपल और NSA के संबंधों को दिखाता है खुलासा- FSB

    सोवियत दौर की खुफिया एजेंसी KBG, जो अब FSB नाम से जानी जाती है, ने कहा कि इस खुलासे ने ऐपल और अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NSA) के बीच करीबी सहयोग को दिखाया है।

    NSA क्रिप्टोग्राफिक, खुफिया संचार और सुरक्षा के लिए काम करने वाली अमेरिकी एजेंसी है।

    FSB ने इस बात का कोई सबूत नहीं दिया कि जासूसी में ऐपल ने भी सहयोग किया है या फिर उसे इसकी जानकारी थी।

    जानकारी

    ऐपल ने दी ये सफाई

    एक बयान में ऐपल ने कहा, "हमने किसी ऐपल प्रोडक्ट में बैकडोर से कुछ भी करने के लिए कभी भी किसी भी सरकार के साथ काम नहीं किया है और न ही कभी ऐसा करेंगे।"

    निशाना

    कैस्परस्काई नहीं था साइबर हमले का मुख्य लक्ष्य

    कैस्परस्काई के शोधकर्ता इगोर कुजनेत्सोव ने रॉयटर्स को बताया कि उनकी कंपनी ने वर्ष की शुरुआत के आसपास अपने कॉर्पोरेट वाई-फाई नेटवर्क पर असंगत या अवैध ट्रैफिक की खोज की थी।

    एक ब्लॉग पोस्ट में कैस्परस्काई ने कहा कि सबसे पहला साइबर हमला 2019 में किया गया और ये अभी तक जारी है। कंपनी ने कहा कि उसके कर्मचारियों को निशाना भले ही बनाया गया, लेकिन उन्हें पूरा विश्वास है कि कैस्परस्काई इस साइबर हमले का मुख्य लक्ष्य नहीं था।

    स्नूपिंग

    साइबर हमले से इकट्ठा किया जा रहा था डाटा - रूसी मंत्रालय

    हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बेलफर सेंटर साइबर 2022 पावर इंडेक्स के अनुसार, अमेरिका शीर्ष साइबर शक्ति वाला देश है। इसके बाद चीन, रूस, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया हैं।

    रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अमेरिका निर्मित आइफोन्स पर साइबर हमले के जरिए बड़े पैमाने पर डाटा इकट्ठा किया जा रहा था।

    मंत्रालय के मुताबिक, अमेरिकी खुफिया एजेंसी दशकों से इंटरनेट यूजर्स की जानकारी के बिना उनका डाटा इकट्ठा करने के लिए IT कंपनियों का उपयोग कर रही है।

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