नासा ने मंगल ग्रह पर उतरने के लिए बनाई क्रैश लैंडिंग योजना
नासा वर्तमान में मंगल ग्रह की सतह पर उतरने के लिए पूरी तरह से एक नए तरीके का परीक्षण कर रही है। यह तकनीक सॉफ्ट लैंडिंग की जगह यान को क्रैश लैडिंग के जरिए उतारने की योजना है, यानी यान को धीमी गति से न उतारकर तेज गति से उतारा जाएगा। अगर यह तकनीक सफल रहती है तो नासा इसे अन्य ग्रहों के लिए भी इस्तेमाल कर सकती है।
अभी कैसे होती है लैंडिंग?
अभी नासा के पास मंगल ग्रह पर अपने यान उतारने के लिए एक कारगर तकनीक है, जिसमें अब तक नौ बार सफलता मिल चुकी है। इस बेहद खर्चीली प्रक्रिया में बेहतरीन पैराशूट, विशाल एयरबैग और जेटपैक आदि का इस्तेमाल किया जाता है।
नासा ने डिजाइन किया नया लैंडर
मंगल ग्रह पर यान को तेज गति से उतारने के लिए नासा ने एक प्रयोगात्मक लैंडर डिजाइन किया है, जिसे शील्ड (सिम्पलिफाइड हाई इम्पैक्ट एनर्जी लैंडिंग डिवाइस) कहते हैं। मंगल ग्रह की सतह पर शील्ड एक जगह को चुनेगा, जिससे यान टकराएगा और निकलने वाली ऊर्जा को अवशोषित कर लेगा। इससे यान में लगे उपकरण वहीं गिर जाएंगे और अन्य जानकारियां इकठ्ठा करने के काम में लग जाएंगे।
'मार्स सैम्पल रिटर्न कैम्पेन' से प्रेरित है शील्ड
शील्ड के डिजाइन का अधिकांश हिस्सा नासा के 'मार्स सैम्पल रिटर्न कैम्पेन' से लिया गया है। इस अभियान के तहत, मंगल ग्रह की चट्टानों और मिट्टी के नमूने को एयर टाइट ट्यूब मे जमा किया जाएगा। इसके बाद नमूने से भरे ट्यूब को एक यान के जरिए पृथ्वी पर लाया जाएगा और कैप्सूल को रेतीले इलाके में गिराया जाएगा, जहां कैप्सूल रेत से टकराकर झटके को झेल सके। ऐसा ही कुछ अब मंगल ग्रह पर भी करने की योजना है।
मंगल पर यह काम कर गया तो अन्य ग्रहों पर भी कर सकता है- प्रोजेक्ट मैनेजर
शील्ड के प्रोजेक्ट मैनेजर लोऊ गेर्श ने कहा, "यदि पृथ्वी पर क्रैश लैंडिंग करवा सकते हैं, तो इसे मंगल ग्रह पर क्यों नहीं कर सकते? अगर हम मंगल पर यह कर पाए तो शील्ड अन्य ग्रहों या चंद्रमाओं पर भी काम कर सकता है।"
मुश्किल क्षेत्रों में लैंडिग प्रक्रिया होगी सरल
शील्ड के प्रोजेक्ट मैनेजर ने कहा, "हमें लगता है कि हम इस तकनीक के जरिए और भी मुश्किल क्षेत्रों में जा सकते हैं। जहां हम अरबों डॉलर के रोवर वर्तमान लैंडिंग सिस्टम से उतारने का जोखिम नहीं ले सकते हैं।" इस नए डिजाइन से मंगल पर यान या अन्य डिवाइस को उतारना अब की तुलना में बहुत सस्ता हो जाएगा। यह यान की एंट्री और लैंडिंग प्रक्रिया को सरल बना देगा और अधिक विकल्प देगा।
शील्ड का हुआ टेस्ट
नासा ने शील्ड के प्रोटोटाइप को क्रैश भी करवाया था। पहली बार कम कठोर सतह और दूसरी बार एक मोटी स्टील की सतह पर। इसके अंदर स्मार्टफोन और अन्य उपकरण रखे गए। 177 किलोमीटर/घंटे की रफ्तार से टकराने पर भी सभी उपकरण सही सलामत रहे।