फेसबुक पर 100 करोड़ फेक अकाउंट होने के दावे को कंपनी ने बताया झूठ
क्या है खबर?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक ने उन रिपोर्ट्स को 'स्पष्ट झूठ' बताया है जिनमें कहा गया था कि कंपनी के लगभग 100 करोड़ अकाउंट फेक हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, खुद को फेसबुक CEO मार्क जकरबर्ग के क्लासमेट बताने वाले एक शख्स ने दावा किया था कि फेसबुक पर 100 करोड़ अकाउंट फर्जी है। यह संख्या दुनियाभर में फेसबुक के यूजर्स की कुल संख्या का 50 प्रतिशत हिस्सा है।
फेसबुक के प्रवक्ता ने कहा कि यह रिपोर्ट पूरी तरह झूठ है।
दावा
'फेक अकाउंट को लेकर झूठ बोल रही है कंपनी'
आरोन ग्रीनस्पान नामक व्यक्ति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि फेसबुक ने 2004 से अपने यूजर्स की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर बताई है।
ग्रीनस्पान 2002-04 तक हावर्ड यूनिवर्सिटी में जकरबर्ग के क्लासमेट रहे थे।
उन्होंने दावा किया कि वे फेसबुक के असली संस्थापक थे और फेसबुक ने उन्हें 2009 में सेटलमेंट के तौर पर अघोषित राशि दी थी।
उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि फेसबुक फेक अकाउंट को लेकर झूठ बोल रही है। इनकी संख्या फेसबुक के कुल यूजर्स की आधी है।
रिपोर्ट
क्या होते हैं 'डुप्लिकेट' और 'यूजर-मिसक्लासीफाइड अकाउंट'
ग्रीनस्पान ने अपनी रिपोर्ट में 'डुप्लिकेट' और 'यूजर-मिसक्लासीफाइड' अकाउंट के बारे में बात की थी।
साल 2017 की दूसरी तिमाही में फेसबुक ने डुप्लिकेट अकाउंट के बारे में कहा था कि यह ऐसा अकाउंट होता है जो यूजर फेसबुक पर अपने मुख्य अकाउंट के अलावा रखते हैं।
यह कंपनी के मंथली एक्टिव यूजर्स का छह प्रतिशत हिस्सा है।
वहीं यूजर-मिसक्लासीफाइड वह अकाउंट होता है जो स्पैमिंग के मकसद से बनाया जाता है।
आंकड़े
फेसबुक के आंकड़ों में भी विरोधाभास
फेसबुक के ट्रांसपेरेंसी पोर्टल से पता चलता है कि कंपनी ने 2017 की अंतिम तिमाही में 32.6 प्रतिशत फेक अकाउंट के खिलाफ कार्रवाई की।
साल 2018 की तीसरी तिमाही में यह संख्या बढ़कर 33.2 प्रतिशत हो गई।
हालांकि, सिक्योरिटी और एक्सचेंज कमीशन को भेजी गई फेसबुक की ताजा रिपोर्ट दूसरी तस्वीर पेश करती है।
फेसबुक ने इसमें बताया कि कंपनी के सिर्फ 3-4 प्रतिशत अकाउंट फेक है। यह ग्रीनस्पान के बताए गए 50 प्रतिशत के आंकड़ें से काफी कम है।