
20 से ज्यादा एंड्रॉयड ऐप्स में मिला खतरनाक स्पाईवेयर, ऐसे सुरक्षित रखें अपना फोन
क्या है खबर?
एंड्रॉयड डिवाइसेज को टारगेट करने के लिए इन दिनों 'फोनस्पाई' (PhoneSpy) नाम का एक नया स्पाईवेयर इस्तेमाल किया जा रहा है।
फोनस्पाई कैंपेन के जरिए पहले साउथ कोरिया के ढेरों एंड्रॉयड डिवाइसेज को निशाना बनाया गया और अब यह स्पाईवेयर दुनियाभर में फैल रहा है।
यह स्पाईवेयर असली जैसी किसी ऐप की शक्ल में एंड्रॉयड डिवाइसेज में छुप जाता है और यूजर्स की जासूसी करता है।
20 से ज्यादा योगा इंस्ट्रक्शंस या वीडियो स्ट्रीमिंग ऐप्स में यह स्पाईवेयर मौजूद है।
स्पाईवेयर
समझें, क्या होता है स्पाईवेयर?
स्मार्टफोन यूजर्स की जासूसी करने के लिए स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया जाता है और इन्हें आसानी से टारगेट डिवाइस तक भेजा जा सकता है।
स्पाईवेयर के साथ यूजर के माइक्रोफोन और कैमरा का ऐक्सेस भी हैकर्स को मिल जाता है और वह रियल-टाइम पर स्मार्टफोन में की जाने वाली ऐक्टिविटी रिकॉर्ड कर सकता है।
बीते दिनों पेगासस स्पाईवेयर चर्चा में रहा था, जिसने दुनियाभर के हजारों यूजर्स के व्हाट्सऐप अकाउंट्स में सेंध लगाई थी।
खतरा
मोबाइल सिक्योरिटी ऐप्स डिलीट कर देता है फोनस्पाई
मोबाइल सिक्योरिटी फर्म जिम्पेरियम के रिसर्चर्स ने बताया है कि फोनस्पाई स्पाईवेयर एंड्रॉयड फोन मे मौजूद सिक्योरी ऐप्स को अनइंस्टॉल या डिलीट कर सकता है।
इस तरह डिवाइस में इसकी मौजूदगी का पता नहीं चल पाता।
रिपोर्ट में बताया गया है कि सामान्य ऐप्स जैसी लगने वाली करीब 23 ऐप्स में यह स्पाईवेयर मिला है।
इसका काम दूसरी एंड्रॉयड ऐप्स की पहचान चोरी कर ज्यादा से ज्यादा यूजर्स को नुकसान पहुंचाना है।
जासूसी
रियल टाइम में ऐक्सेस कर सकता है मोबाइल कैमरा
रिसर्चर्स ने बताया है कि फोनस्पाई बेहद खतरनाक है और यूजर्स को पता लगे बिना उनके एंड्रॉयड डिवाइस का कैमरा रियल टाइम में ऐक्सेस कर सकता है।
यानी कि यूजर्स के फोन का कैमरा उनकी जासूसी करते हुए वीडियो रिकॉर्ड कर रहा होता है और उन्हें पता भी नहीं चलता।
इस तरह पर्सनल फोटोज और वीडियोज की मदद से पर्सनल या कॉर्पोरेट ब्लैकमेलिंग की जा सकती है और यूजर्स का फोन किसी साइबर स्पाइंग टूल की तरह काम करता है।
सावधानी
ऐप परमिशंस देते वक्त रहें सतर्क
बेशक स्पाईवेयर का खतरा डराने वाला हो लेकिन जरा सी सावधानी से इससे बचा जा सकता है।
नई ऐप इंस्टॉल करते वक्त और उसको परमिशंस देने से पहले कुछ बातों पर गौर करना आपको जासूसी का शिकार नहीं होने देगा।
अगर कोई ऐप गैर जरूरी परमिशंस मांग रही है तो यह आपके लिए पहला रेड फ्लैग होना चाहिए।
उदाहरण के लिए, किसी वीडियो स्ट्रीमिंग ऐप को कैमरा या माइक्रोफोन परमिशंस देने की कोई जरूरत नहीं है।
रिपोर्ट
मेन्यू से गायब हो जाती है स्पाईवेयर वाली ऐप
जिम्पेरियम रिसर्चर रिचर्ज मलिक ने टेकक्रंच से बताया कि अगर यूजर्स ऐप इंस्टॉल करने की प्रक्रिया में लापरवाही बरतते हैं तो फोनस्पाई को डिवाइस का कंट्रोल मिल जाता है।
एक बार इंस्टॉल होने के बाद फोनस्पाई खुद को डिवाइस के ऐप मेन्यू से हाइड कर लेता है और इसका कोई आइकन लिस्ट में नहीं दिखता।
यानी कि यूजर्स इसे आसानी से डिलीट नहीं कर सकते और बैकग्राउंड में डाटा चोरी करने के इसके फंक्शन को प्रभावित नहीं किया जा सकता।
राहत
गूगल प्ले स्टोर तक नहीं पहुंचा है स्पाईवेयर
बड़ी राहत यह है कि फोनस्पाई स्पाईवेयर अब तक गूगल प्ले स्टोर तक नहीं पहुंचा है और दूसरे मार्केटप्लेसेज पर लिस्टेड ऐप्स भी सुरक्षित हैं।
हालांकि, रिपोर्ट की मानें तो यह स्पाईवेयर डिवाइसेज में वेब ट्रैफिक रीडायरेक्शन से जुड़े तरीकों से फैल रहा है।
आसान भाषा में बताएं तो थर्ड-पार्टी लिंक्स पर क्लिक करवाते हुए और डाउनलोड्स के जरिए ऐसा हो रहा है।
जरूरी है कि ऐप्स केवल आधिकारिक गूगल प्ले स्टोर से ही डाउनलोड और इंस्टॉल की जाएं।