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    ISRO का सैटेलाइट EOS-09 लॉन्च हुआ असफल, तीसरा चरण नहीं कर पाया पार 
    ISRO ने EOS-09 सैटेलाइट लॉन्च किया है (तस्वीर: एक्स/@isro)

    ISRO का सैटेलाइट EOS-09 लॉन्च हुआ असफल, तीसरा चरण नहीं कर पाया पार 

    लेखन दिनेश चंद शर्मा
    May 18, 2025
    06:52 am

    क्या है खबर?

    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज (18 मई) पृथ्वी अवलोकन उपग्रह-09 (EOS-09) को लॉन्च किया, लेकिन सफल नहीं हो सका।

    EOS-09 (RISAT-1B) को पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV-C61) के माध्यम से सुबह 5:59 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया।

    ISRO के प्रमुख वी. नारायणन ने कहा, "PSLV रॉकेट तकनीकी खामी के कारण तीसरा चरण पार नहीं कर पाया। अब हम इस डाटा का विश्लेषण करेंगे और फिर मिशन पर लौटेंगे।"

    मिशन 

    ISRO का 101वां रॉकेट लॉन्च

    यह ISRO का 101वां रॉकेट लॉन्च था, जो असफल हो पाया। यह EOS-04 का रिपीट संस्करण था और इसका उद्देश्य रिमोट सेंसिंग डाटा प्रदान करना था

    इसका वजन 1,696 किलोग्राम था और इसे पृथ्वी की सतह से 500 किलोमीटर ऊपर की कक्षा में स्थापित किया जाना था।

    इसमें उन्नत C-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) और 5 इमेजिंग मोड शामिल हैं, जिनमें हाई-रिजॉल्यूशन स्पॉटलाइट और मीडियम रिजॉल्यूशन स्कैनSAR हैं।

    यह निगरानी से लेकर पर्यावरण निगरानी तक की क्षमताएं प्रदान करते हैं।

    विशेषता 

    सैटेलाइट में ये थी खासियत 

    यह उपग्रह बादलों के आर-पार देखने के साथ रात के अंधेरे में भी हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरें ले सकता है। इसके जरिए भारत की अंतरिक्ष से निगरानी क्षमता और अधिक मजबूती मिलती।

    यह हाल ही भारत-पाकिस्तान तनाव को देखते हुए देश की सुरक्षा के लिहाज से भी बड़ा कदम बताया जा रहा था।

    पहले भारत के पास प्रमुख इमेजिंग सैटेलाइट कार्टोसैट-3 है, जो रात में तस्वीरें नहीं ले पाता है। यह मिशन सफल होता तो समस्या दूर हो जाती।

    उपयोग 

    इन कामों में होता सैटेलाइट का उपयोग

    इस सैटेलाइट को बेंगलुरु में ISRO के UR राव सैटेलाइट सेंटर में स्वदेशी तकनीक से तैयार किया गया। इसकी C-बैंड SAR तकनीक बादलों, बारिश, कोहरे और धूल के पार देखने में सक्षम बनाती है।

    सैटेलाइट वाहनों की हरकतों या मिट्टी की गड़बड़ी जैसे सूक्ष्म जमीनी बदलावों का पता लगा सकता है, जिसका रिजॉल्यूशन एक मीटर तक होता है।

    यह कृषि, वानिकी, जल विज्ञान और शहरी नियोजन में सहायता करके राष्ट्रीय विकास को भी बढ़ावा देता है।

    सुरक्षा 

    धरती से लेकर समुद्र तक निगरानी के लिए था सैटेलाइट 

    यह जासूसी सैटेलाइट भारत के उस सैटेलाइट सिस्टम का हिस्सा बन गया, जिसमें पहले से ही 50 से अधिक सैटेलाइट अंतरिक्ष में तैनात हैं।

    इनमें से 7 रडार सैटेलाइट्स सीमाओं की निगरानी में सक्रिय हैं। EOS-9 समुद्र में अवैध गतिविधि की निगरानी कर सकता है।

    इसके अलावा तेल रिसाव को ट्रैक कर सकता है और देश की 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा पर जहाजों की पहचान कर सकता है। मानव निर्मित संरचनाओं- टेंट या छिपे हुए कैंप की भी जानकारी देगा।

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