
चंद्रमा पर ISRO का क्रू मिशन 2 'सूर्या' रॉकेट से होगा लॉन्च
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 2040 तक चंद्रमा पर इंसान भेजने वाले मिशन पर काम कर रहा है।
इस मिशन में 2 'सूर्या' रॉकेट का उपयोग किया जाएगा, जिनमें से पहला रॉकेट पृथ्वी प्रस्थान चरण (EDS) को लॉन्च करेगा, जो अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की ओर भेजने में मदद करेगा।
दूसरा रॉकेट क्रू मॉड्यूल, लूनर मॉड्यूल और सपोर्ट मॉड्यूल सहित पूरे सिस्टम को ले जाएगा। ये दोनों रॉकेट पृथ्वी की कक्षा में मिलने के बाद चंद्रमा की ओर रवाना होंगे।
लॉन्च व्हीकल
यह होगा भारत का सबसे शक्तिशाली लॉन्च व्हीकल
ISRO इस मिशन के लिए 92 मीटर ऊंचे सूर्या रॉकेट को बना रहा है, जिसका पहला चरण रियूजेबल होगा।
इस रॉकेट का वजन 2,000 टन होगा और इसमें 3 चरण होंगे, जिनमें हर चरण में 575 टन ईंधन होगा। इसकी क्षमता मौजूदा LVM3 से कहीं अधिक होगी।
यह अब तक का सबसे बड़ा और ताकतवर भारतीय रॉकेट होगा, जो इंसानों को चंद्रमा तक सुरक्षित पहुंचाने और वापस लाने में मदद करेगा। इसकी डिजाइनिंग और विकास की प्रक्रिया जारी है।
लागत
मिशन की अनुमानित लागत और जटिलता
चंद्र क्रू मिशन की अनुमानित लागत 1.5 लाख करोड़ रुपये होगी, जो इसे ISRO का अब तक का सबसे महंगा मिशन बना सकती है।
यह मिशन तकनीकी रूप से बेहद जटिल होगा, क्योंकि इंसानों को चंद्रमा पर भेजना और फिर सुरक्षित वापस लाना एक बड़ी चुनौती है।
इसके लिए एक विशेष लैंडर तैयार किया जाएगा, जो चंद्रमा की सतह पर उतर सकेगा और वहां से क्रू मॉड्यूल को फिर से जोड़कर वापसी यात्रा संभव बनाएगा।
परीक्षण
मिशन से पहले होंगे कई अहम परीक्षण
ISRO 2036 और 2040 के बीच इस क्रू मिशन से पहले कई अहम परीक्षण करेगा। सबसे पहले, एक बिना इंसानों वाला लैंडर भेजा जाएगा, जिससे लैंडिंग प्रक्रिया का परीक्षण किया जाएगा।
इसके बाद, एक इंसानों वाला ऑर्बिटर भेजा जाएगा, ताकि अंतरिक्ष में लाइफ सपोर्ट सिस्टम की जांच की जा सके। इन परीक्षणों के सफल होने के बाद ही असली क्रू मिशन लॉन्च किया जाएगा।
यह मिशन भारत को मानव अंतरिक्ष यात्रा में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।