रॉकेट में आई तकनीकी खामी के चलते चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग फिलहाल टली
क्या है खबर?
लॉन्चिंग से कुछ मिनट पहले GSLV-MkIII रॉकेट में आई तकनीकी खामी के चलते भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को फिलहाल टाल दिया है।
यह भारत का चांद की सतह पर स्पेसक्राफ्ट उतारने का पहला मिशन था।
इस तकनीकी खामी का जिक्र किए बिना ISRO ने कहा कि लॉन्चिंग की नई तारीख का ऐलान बाद में किया जाएगा।
माना जा रहा है कि लॉन्चिंग की नई तारीख घोषित होने में कई दिन का वक्त लग सकता है।
लॉन्चिंग
नई लॉन्चिंग में लग सकते हैं महीनों
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ISRO अधिकारियों ने बताया कि रॉकेट में आई खामी की गंभीरता का पता लगाने में कई दिन लग सकते हैं।
इस वजह से यह साफ है कि आने वाले कुछ दिनों में इसे लॉन्च नहीं किया जाएगा क्योंकि चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के लिए 16 जुलाई तक सबसे सही मौका था।
ऐसे में माना जा रहा है कि अब चंद्रयान-2 को कई महीनों बाद लॉन्च किया जाएगा।
ट्विटर पोस्ट
बाद में होगा नई तारीखों का ऐलान
A technical snag was observed in launch vehicle system at 1 hour before the launch. As a measure of abundant precaution, #Chandrayaan2 launch has been called off for today. Revised launch date will be announced later.
— ISRO (@isro) July 14, 2019
तकनीकी खामी
56 मिनट पहले रोका गया काउंटडाउन
रॉकेट में खामी का पता लगने के बाद लॉन्चिंग काउंटडाउन को 56 मिनट पहले रोक दिया गया।
ISRO ने इस खामी के बारे में जानकारी नहीं दी है, लेकिन माना जा रहा है कि रॉकेट के ऊपरी हिस्से में लगे क्रायोजेनिक इंजन में कुछ खामी आई थी, जिसमें कुछ समय पहले ही लिक्विड हाइड्रोजन भरी गई थी।
बता दें, GSLV-MkIII ISRO का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है जो 4000 किलोग्राम तक का पेलोड लेकर पृथ्वी की कक्षा में जा सकता है।
GSLV-MKIII
दो सफलतापूर्वक लॉन्चिंग कर चुका है GSLV-MKIII
अभी तक यह रॉकेट दो सफलतापूर्वक लॉन्चिंग को अंजाम दे चुका है।
इस रॉकेट की मदद से जून 2017 में कम्यूनिकेशन सैटेलाइट GSAT-19 लॉन्च किया गया था, जिसका वजन 3,000 किलोग्राम से ज्यादा था।
इसके बाद इस रॉकेट की मदद से पिछले साल नवंबर में 3423 किलोग्राम वजनी एक और कम्यूनिकेशन सैटेलाइट GSAT-29 लॉन्च किया गया था।
GSLV-MkIII को ISRO का अगली पीढ़ी का रॉकेट माना जाता है। तीन दशकों की मेहनत के बाद इसे तैयार किया गया था।
इंजन
इंजन में इस्तेमाल होती है लिक्विड हाइड्रोजन
सभी रॉकेट ईंधन में से हाइड्रोजन सबसे ज्यादा थ्रस्ट पैदा करती है, लेकिन हाइड्रोजन को इसकी नैचुरल गैस फॉर्म में संभाल पाना मुश्किल काम होता है।
हालांकि, हाइड्रोजन को लिक्विड फॉर्म में इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए -250 डिग्री सेल्सियस का तापमान चाहिए।
इस स्टेज में हाइड्रोजन को जलाने के लिए लिक्विड फॉर्म में ऑक्सीजन की जरूरत होती है, जिसका तापमान -90 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए।
रॉकेट में इतना कम तापमान बनाए रखना मुश्किल भरा काम है।