ISRO दे रहा है चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग लाइव देखने को मौका, करना होगा यह काम
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक और इतिहास रचने की तैयारी कर रहा है। ISRO के चंद्रयान 2 मिशन की तैयारियां अंतिम चरणों में हैं। अगले कुछ दिनों में जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल MkIII (GSLV-MkIII) ऑर्बिटर, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को लेकर चंद्रमा पर जाएगा। ISRO लोगों को इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने का मौका दे रहा है। अगर आप चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग देखना चाहते हैं तो इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू हो रहा है।
4 जुलाई से शुरू होगा रजिस्ट्रेशन
ISRO ने ट्वीट कर जानकारी दी कि चंद्रयान 2 मिशन को देखने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन 4 जुलाई को रात 12 बजे से शुरू होगा। हालांकि, इस ट्वीट में कोई लिंक या वेबसाइट नहीं दी गई है, जहां लोग रजिस्ट्रेशन कर सकेंगे। माना जा रहा है कि ISRO जल्द ही इस बारे में जानकारी उपलब्ध करवा दी जाएगी। रजिस्ट्रेशन करवाने वाले लोग श्रीहरिकोटा में बनी ISRO की लॉन्च व्यूईंग गैलरी से इस ऐतिहासिक लॉन्चिंग को देख सकेंगे।
गैलरी में एक साथ बैठ सकते हैं 5000 लोग
ISRO ने कुछ महीने पहले इस गैलरी के निर्माण का ऐलान किया है। संगठन स्पेस टेक्नोलॉजी को लेकर लोगों को जागरुक करने का प्रयास कर रहा है और यह गैलरी उन्हीं प्रयासों का एक हिस्सा है। लॉन्चिंग देखने के इच्छुक लोग इस गैलरी से आकर ISRO को इतिहास रचते देख सकते हैं। स्टेडियम की तरह बनाई गई इस गैलरी में एक साथ 5,000 लोग बैठ सकते हैं। PSLV-C45 की लॉन्चिंग को लगभग 1200 लोगों ने गैलरी में बैठकर देखा था।
15 जुलाई को लॉन्च होगा चंद्रयान 2
चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से दोपहर 2.51 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो लैंडर 6 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर पहुंच जाएगा।
ISRO ने जारी की थी तस्वीरें
हाल ही में ISRO ने इस मिशन पर भेजेे जाने वाले मॉड्यूल की तस्वीरें जारी की थी। मिशन पर तीन मॉड्यूल भेजे जाएंगे। इनमें एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर होगा। कुल 3.8 टन होगा वाले इस यान को पूरी तरह भारत में तैयार किया गया है। ISRO ने बताया कि इसमें 13 पेलोड्स (ऑर्बिटर में आठ, लैंडर में तीन और रोवर में दो) होंगे और एक NASA का प्रयोग होगा।
ये होंगे ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर के काम
ऑर्बिटर चांद की सतह से 100 किलोमीटर की दूरी पर चक्कर लगाएगा, जबकि लैंडर चांद के दक्षिण ध्रुव के पास सतह पर उतरेगा और रोवर चांद की सतर पर प्रयोग करेगा। लॉन्चिंग के वक्त रोवर लैंडर के अंदर रहेगा और ऑर्बिटर और लैंडर को साथ रखा जाएगा। इस मॉड्यूल को ISRO के GSLV MK-III लॉन्च व्हीकल से लॉन्च किया जाएगा। धरती की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर प्रोपल्शन मॉड्यूल की मदद से यह चांद की कक्षा में पहुंचेगा।
मिशन पर टिकी हैं दुनियाभर की नजरें
चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद लैंडर ऑर्बिटर से अलग होकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहले से निर्धारित स्थान पर लैंड करेगा। इसके बाद लैंडर से बाहर निकल रोवर सतर पर वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा। ISRO ने बताया कि रोवर के अलावा ऑर्बिटर और लैंडर पर भी उपकरण लगाए गए हैं ताकि जरूरी प्रयोग किए जा सकें। भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया की नजरें इस मिशन पर टिकी हैं।
हर 15 मिनट पर डाटा भेजेगा रोवर
रोवर चंद्रमा पर 14 दिन रहेगा। 6 पहिये वाले रोवर का वजन 20 किलो है। यह अत्याधुनिक उपकरणों से लैस होगा। वह इस दौरान चंद्रमा की सतह का विश्लेषण करेगा और ऑर्बिटर के जरिए हर 15 मिनट में खनिज एवं अन्य पदार्थों के बारे में डाटा और तस्वीरें भेजेगा। अगर यह मिशन सफल रहा तो भारत चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अब तक रूस, अमेरिका और चीन ही ये कारनामा कर पाये हैं।