
डोनाल्ड ट्रंप सरकार के महत्वपूर्ण सुरक्षा अधिकारियों की निजी जानकारी हुई ऑनलाइन लीक
क्या है खबर?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के कई वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकारों की निजी जानकारी इंटरनेट पर लीक हो गई है।
जर्मन पत्रिका डेर स्पीगेल के रिपोर्टरों ने मोबाइल नंबर, ईमेल एड्रेस और पासवर्ड खोज लिए। इनमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज, खुफिया निदेशक तुलसी गैबार्ड और रक्षा सचिव पीट हेगसेथ शामिल थे।
ये डाटा व्यावसायिक सर्च इंजनों और लीक हुए डाटाबेस से मिले, जिसमें कुछ ईमेल और नंबर अब भी सक्रिय हैं।
नंबर
व्हाट्सऐप और सिग्नल से जुड़े हैं नंबर
लीक हुए नंबरों का उपयोग व्हाट्सऐप और सिग्नल अकाउंट्स से किया गया था।
द अटलांटिक की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि इन अधिकारियों ने सिग्नल ग्रुप में खुफिया और सैन्य हमलों पर चर्चा की थी। गैबार्ड और वाल्ट्ज के नंबर सार्वजनिक रूप से सुलभ थे।
रिपोर्टर्स को हेगसेथ का डाटा आसानी से मिला, जो उन्होंने व्यावसायिक संपर्क प्रदाता से प्राप्त किया। कई पासवर्ड भी पुराने डाटा लीक में पाए गए, जिससे हैकिंग का खतरा बढ़ गया।
आशंका
विदेशी एजेंटों द्वारा डाटा के दुरुपयोग की आशंका
विशेषज्ञों के अनुसार, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध यह डाटा साइबर हमलों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
शत्रुतापूर्ण खुफिया एजेंसियां इसे हैकिंग, स्पाइवेयर इंस्टॉल करने और राजनीतिक ब्लैकमेल के लिए उपयोग कर सकती हैं। डीपफेक जैसी तकनीक से अधिकारियों के वर्चुअल मीटिंग्स में शामिल होने की संभावना भी जताई गई।
कुछ रिपोर्टों के अनुसार, इस डाटा के जरिए अमेरिकी सैन्य योजनाओं पर चर्चा लीक होने की भी आशंका है।
लीक
डाटा कैसे लीक हुआ?
गैबार्ड ने अपने डाटा को छिपाने की कोशिश की, लेकिन उनका ईमेल विकीलीक्स और रेडिट पर पाया गया। वाल्ट्ज और हेगसेथ के ईमेल और पासवर्ड 20 से अधिक सार्वजनिक लीक में मौजूद थे।
रिपोर्टरों ने हेगसेथ का व्हाट्सऐप अकाउंट खोजा, जो हाल ही में हटाया गया था। उनकी प्रोफाइल फोटो को चेहरे की पहचान तकनीक से सत्यापित किया गया। इससे पता चला कि यह वास्तव में उनकी ही तस्वीर थी।
प्रतिक्रिया
सरकारी प्रतिक्रिया अब तक नहीं आई
रिपोर्ट के अनुसार, डेर स्पीगेल ने गैबार्ड, हेगसेथ और वाल्ट्ज को इस मामले की जानकारी दी, लेकिन अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
रक्षा विभाग, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और खुफिया विभाग से भी टिप्पणी मांगी गई, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। व्हाट्सऐप और सिग्नल पर भेजे गए व्यक्तिगत पूछताछ मैसेज भी पढ़े गए, लेकिन उनका उत्तर नहीं दिया गया।
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह अमेरिका की साइबर सुरक्षा में एक गंभीर चूक है।