केवल पांच रुपये में बिक रहा है आपका पर्सनल डाटा! CID ने दी चेतावनी
क्या है खबर?
साइबर अपराध और डाटा चोरी जैसे मामलों के लिए भारत में अलग से कोई कानून नहीं है और अब क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CID) की ओर से चौंकाने वाली जानकारी दी गई है।
CID ने दावा किया है कि केवल पांच रुपये कीमत में इंटरनेट यूजर्स का पर्सनल डाटा बेचा जा रहा है।
चेतावनी दी गई है कि एक बार डाटा मिलने के बाद उसकी मदद से अलग-अलग तरह के फ्रॉड को अंजाम दिया जाता है और यूजर्स सुरक्षित नहीं हैं।
मामला
बंगाल में बेचा गया झारखंड से चोरी डाटा
डाटा डीलिंग का नया मामला झारखंड से जुड़ा है, जहां के यूजर्स का डाटा चोरी कर बंगाल जैसे राज्यों में बेचा गया।
झारखंड को साइबर अपराध का हब और यहां के जमतारा शहर को साइबर अपराधियों की यूनिवर्सिटी कहा जा रहा है।
ऐसा इसलिए क्योंकि झारखंड के युवा जमतारा में साइबर अपराध की ट्रेनिंग लेने के बाद देशभर में फैल रहे हैं और हजारों इंटरनेट यूजर्स को निशाना बना रहे हैं।
बयान
केवल पांच रुपये है पर्सनल डाटा की कीमत
CID के SP एस. कार्तिक ने एक बयान में कहा कि साइबर अपराध की दुनिया में एक व्यक्ति के डाटा की कीमत महज पांच रुपये रखी गई है।
यह डाटा अपराधियों तक बैंकों, शॉपिंग मॉल्स, टेलिकॉम कंपनियों, इंश्योरेंस और फोटोकॉपी जैसे तरीकों से पहुंचता है।
इस डाटा के बदले साइबर अपराधी डाटा देने वाली पार्टी को भारी रकम का भुगतान करते हैं और बाद में डाटा का इस्तेमाल ऑनलाइन फ्रॉड के लिए किया जाता है।
डाटा
साइबर अपराधियों के पास यह पर्सनल डाटा
भारत के साइबर सेल को साइबर अपराधियों से जुड़ी जरूरी जानकारी बीते दिनों मिली है।
कोलकाता और इसके आसपास के शहरों में पर्सनल डाटा केवल पांच रुपये प्रतिव्यक्ति के हिसाब से बेचा जा रहा है।
इस डाटा में नाम, मोबाइल नंबर, बैंक अकाउंट डीटेल्स, आधार नंबर और दूसरी जानकारी शामिल हो सकती है।
डाटा का इस्तेमाल करते हुए साइबर अपराधी बैंक मैनेजर या इंश्योरेंस एजेंट बनकर विक्टिम से बात करते हैं और उसे फंसाते हैं।
चिंता
ढेरों यूजर्स ने साइबर अपराधियों को किया भुगतान
साइबर अपराध के मामले में फंसने वाले ढेरों यूजर्स अब ऑनलाइन भुगतान करने में सुरक्षित महसूस नहीं करते।
दरअसल, विक्टम का भरोसा जीतने के बाद अपराधी उससे रकम का भुगतान करवा लेते हैं और डिजिटल भुगतान के तरीके आजमाते हैं।
रोज सैकड़ों इंटरनेट यूजर्स ऐसे फ्रॉड का शिकार बन रहे हैं और भुगतान कर देते हैं।
साइबर सेल की मदद से ढेरों विक्टम्स के पैसे रिकवर किए जा सके हैं, वहीं बाकियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
समझदारी
अपने डाटा पर रखें पूरा नियंत्रण
तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराध के दौर में जरूरी है कि अपना पर्सनल डाटा पब्लिक प्लेटफॉर्म्स पर शेयर ना करें।
इसके अलावा किसी भी कॉल पर भरोसा करने से पहले उसकी सत्यता जांच लें।
अपने डिवाइस में कोई अनजान ऐप इंस्टॉल ना करें और ना ही किसी के साथ वन-टाइम-पासवर्ड (OTP) शेयर करें।
तय करें कि आपका पर्सनल और सेंसिटिव डाटा पूरी तरह आपके नियंत्रण में रहे और चोरी ना किया जा सके।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
नॉर्टनलाइफलॉक की नॉर्टन साइबर सेफ्टी इनसाइट्स रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 59 प्रतिशत भारतीय वयस्क भी एक साल के अंदर किसी तरह के साइबरक्राइम का शिकार हुए हैं। वहीं, 36 प्रतिशत भारतीय वयस्क यूजर्स के अकाउंट या डिवाइस में अनऑथराइज्ड ऐक्सेस की बात सामने आई।