#NewsBytesExplainer: चांद पर बढ़ रहा ट्रैफिक, नहीं रोका गया तो हो सकती है मुश्किल
पृथ्वी से परे अंतरिक्ष की खोज इंसान के सबसे रोमांचक और चुनौतीपूर्ण कार्यों में से एक रही है। सौरमंडल के ग्रहों, उनके प्राकृतिक चांद और एस्ट्रोयड आदि का पता लगाने के लिए कई देश वर्षों से अंतरिक्ष मिशन चला रहे हैं। अंतरिक्ष एजेंसियों के सबसे ज्यादा मिशन चांद और मंगल ग्रह से जुड़े हैं। ऐसे में चांद और अंतरिक्ष में ट्रैफिक बढ़ रहा है और इसके कई नुकसान हो सकते हैं। आइये आज इसी बारे में जानते हैं।
औद्योगिक उद्देश्यों वाले मिशनों से बढ़ रहे हैं खतरे
अभी तक अधिकतर चांद मिशन वैज्ञानिक उद्देश्यों और जानकारी जुटाने से जुड़े होते थे, लेकिन अब औद्योगिक उद्देश्यों के लिए भी अंतरिक्ष मिशन लॉन्च किए जा रहे हैं। ऐसे में अगले कुछ वर्षों में चांद के चारों तरफ गतिविधियां बढ़ने की संभावना है। इससे ग्रहों के ऑर्बिट में ट्रैफिक बढ़ने के साथ अन्य खतरे भी बढ़ेंगे। अभी गिनती के मिशन होने पर भी ऑर्बिट में अंतरिक्षयानों को टकराने से बचाना पड़ता है।
अभी तक 6 लूनर ऑर्बिट हैं एक्टिव
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले महीने तक 6 लूनर ऑर्बिट एक्टिव हैं। नासा के आर्टिमिस P1 और आर्टिमिस P2 दोनों कम झुकाव वाले ऑर्बिट में काम करते हैं, वहीं नासा का चांद टोही ऑर्बिटर (LRO) लगभग थोड़ा अंडाकार ऑर्बिट में परिक्रमा करता है। इसी तरह ISRO का दूसरा चांद मिशन चंद्रयान-2 और कोरिया पाथफांइंडर लूनर ऑर्बिटर (KPLO) भी 100 किलोमीटर की ऊंचाई के ऑर्बिट में संचालित हो रहे हैं।
वर्ष 2025 तक लॉन्च होंगे कई और चांद मिशन
अब रूस का लूना-25 एक लैंडर और रोवर के साथ 16 अगस्त, 2023 तक 100 किलोमीटर की लूनर ऑर्बिट में और 21 अगस्त को चांद की सतह पर होगा। इधर 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद की सतह पर होगा। इसके अलावा 2023 से लेकर 2025 तक रूस, अमेरिका, इजराइल, चीन और जापान के लगभग 11 और चांद मिशन लॉन्च किए जाने हैं। इससे चांद पर और भीड़ बढ़ेगी और इन मिशनों के टकराने का खतरा भी बढ़ेगा।
टकराव से बचाने के लिए किए जाते हैं मैन्युवर
अभी परिक्रमा करने वाले गिनती के अंतरिक्षयानों जैसे टोही ऑर्बिटर (LRO), कोरिया पाथफाइंडर (KPLO) और चंद्रयान 2 (CH2O) के बार-बार टकराने का अनुभव किया जाता है क्योंकि चांद के निचले ऑर्बिट में उनकी कक्षीय व्यवस्थाएं ओवरलैप होती हैं। जुलाई, 2023 तक चंद्रयान-2 ने LRO और KPLO से टकराव से बचने के लिए टकराव टालने वाले 3 मैन्युवर किए हैं। ऐसे में चांद पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अध्ययन जरूरी है।
आगामी मिशनों से बिगड़ सकती है स्थिति
चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल के आने वाले कई वर्षों तक लगभग 150 किलोमीटर ऊंचाई के गोलाकार LLO में चांद के चारों तरफ परिक्रमा लगाने की उम्मीद है। इसके अलावा अन्य देशों के अंतरिक्ष अभियानों की भी लैंडिंग से पहले कुछ दिनों या हफ्तों के लिए अस्थायी रूप से LLO में रहने की संभावना है। ऐसे में संभावित रूप से लॉन्च किए जाने वाले विभिन्न मिशनों से स्थिति और बिगड़ सकती है।
टकराव से बचने के लिए काम कर रहीं अंतरिक्ष एजेंसियां
अंतरिक्ष से जुड़ी वस्तुओं की संख्या पृथ्वी के ऑर्बिट के साथ ही चांद के वातावरण में भी बढ़ रही है। हालांकि, टकराव से बचने के लिए विभिन्न देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां काम कर रही हैं। ISRO भी इससे जुड़ा विश्लेषण कर रहा है।
अंतरिक्ष मलबे में भी हो रही है वृद्धि
बढ़ते अंतरिक्ष मिशनों के साथ ही अंतरिक्ष में मलबा भी बढ़ रहा है। यह मलबा अंतरिक्ष से जुड़ी गतिविधियों के लिए एक बड़ा खतरा है। अंतरिक्ष में परिक्रमा कर रहे सभी मलबे बाहरी अंतरिक्ष और भविष्य के मिशनों को प्रभावित करेंगे। ये सैटेलाइट के लिए भी खतरा हैं क्योंकि इनके टकराने से सैटेलाइट नष्ट हो सकते हैं। ऐसे में लूनर ऑर्बिट (चांद की कक्षा) में अंतरिक्ष सामग्री की बढ़ती संख्या को देखते हुए इस पर अध्ययन करना दिलचस्प होगा।
निष्क्रिय अंतरिक्ष यान भी मलबे के रूप में अंतरिक्ष में हैं मौजूद
जापान का अंतरिक्ष यान ओउना और वर्ष 2008 में लॉन्च किया गया चंद्रयान-1 दोनों ही निष्क्रिय अंतरिक्ष यान मलबे के रूप में अंतरिक्ष में हैं। इनके अलावा अन्य सभी ऑर्बिटर या तो चांद के ऑर्बिट से बाहर चले गए हैं या चांद की सतह पर हैं। उदाहरण के लिए मई, 2018 में चीन द्वारा लॉन्च किया गया चांग ई 4 मिशन का डाटा रिले सैटेलाइट क्यूकियाओ बाद में पृथ्वी-चंद्रमा L2 बिंदु के पास एक हेलो कक्षा में ले जाया गया।
अंतरिक्ष मलबे के लिए बनी है एजेंसी
अंतरिक्ष मलबे के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सरकारी मंच अंतर-एजेंसी अंतरिक्ष मलबा समन्वय समिति (IADC) भी है। इसका उद्देश्य विभिन्न अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच अंतरिक्ष मलबा अनुसंधान में सहयोग को सुविधाजनक बनाना और मलबे को कम करने के विकल्पों की पहचान करना है। संयुक्त राष्ट्र ने अंतरिक्ष मलबे को कम करने के साथ ही बाह्य अंतरिक्ष गतिविधियों की दीर्घकालिक स्थिरता के लिये दिशा-निर्देश विकसित करने हेतु एक समिति 'बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग (COPUOS)' की भी स्थापना की है।