ISRO ने लॉन्च किया स्वदेशी नेविगेशन सैटेलाइट NVS-01, जानें क्या है इसका काम
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज सोमवार को अपना GSLV-F12/NVS-01 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। मिशन को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से सुबह 29, मई को सुबह 10:42 बजे लॉन्च किया गया। इस मिशन में नेविगेशन सैटेलाइट NVS-01 को जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल यानी GSLV-F12 से अंतरिक्ष में भेजा गया। लॉन्च के करीब 18 मिनट बाद रॉकेट से पेलोड अलग होगा। ये NVS-01 सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में डिप्लॉय करेगा।
NVS-01 लेगा इस सैटेलाइट की जगह
NVS-01 सैटेलाइट भारत के नेविगेशन सिस्टम नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन (NavIC-नाविक) के लिए काम करेगा। ये पूर्व में लॉन्च किए गए IRNSS-1G सैटेलाइट की जगह लेगा। नाविक को पहले इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) के रूप में जाना जाता था। NVS-01 L1 बैंड के साथ काम करेगा जो सिविलियन सेक्टर में तेजी से पैठ बनाने में मदद करेगा। नाविक सिविलियन के लिए स्टैंडर्ड पोजीशन सर्विस (SPS) और स्ट्रैटजिक यूजर्स के लिए रेस्ट्रिक्टेड सर्विस (RS) सर्विस देता है।
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12 साल है मिशन की लाइफ
GSLV अपनी 15वीं उड़ान में 2,232 किलोग्राम वजनी NVS-01 सैटेलाइट को लेकर रवाना हुआ। GSLV ने अपनी पहली अंतरिक्ष उड़ान 2001 में भरी थी। NVS-01 सेकेंड जनरेशन नेविगेशन सैटेलाइट सीरीज की पहली सैटेलाइट है। इस मिशन की लाइफ 12 साल तक की है।
GPS की तरह है नाविक
नेविगेशन के लिए आमतौर पर मोबाइल और कार में जो नेविगेशन सिस्टम यूज किया जाता है उसे ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) कहते हैं। GPS अमेरिका का नेविगेशन सिस्टम है। इसी तरह भारत का नेविगेशन सिस्टम नाविक है। नाविक 1,500 किलोमीटर के दायरे में सटीक रियल टाइम नेविगेशन प्रदान करता है। इसके सिग्नल इस तरह से डिजाइन हैं कि इसकी पोजीशन एक्यूरेसी 5-20 मीटर है। रूस, चीन और जापान आदि के पास भी नेविगेशन के लिए अपना नेविगेशन सिस्टम हैं।
पहली बार लॉन्च में इस्तेमाल हुई स्वदेशी परमाणु घड़ी
यह पहली बार है जब स्वदेशी रूप से विकसित रुबिडियम परमाणु घड़ी का सोमवार के लॉन्च में इस्तेमाल किया गया है। ISRO ने इस बारे में पहले ही जानकारी दी थी। अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक, वैज्ञानिक पहले तारीख और स्थान का निर्धारण करने के लिए आयातित रूबिडियम परमाणु घड़ियों का इस्तेमाल करते थे। अब सैटेलाइट में अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र द्वारा विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी लगी होगी। यह एक महत्वपूर्ण तकनीक है जो कुछ ही देशों के पास है।
IRNSS का नाम बदलकर किया NavIC
भारत की इस सैटेलाइट नेविगेशन परियोजना को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2006 में अनुमोदित किया गया था और इसके वर्ष 2015-16 तक पूरा और कार्यान्वित होने की उम्मीद थी। इसका पहला उपग्रह (IRNSS-1A) 1 जुलाई, 2013 को और 7वां व अंतिम उपग्रह (IRNSS-1G) को 28 अप्रैल, 2016 को लॉन्च किया गया था। IRNSS-1G के अंतिम लॉन्च के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा IRNSS का नाम बदलकर नाविक कर दिया गया।