जहांगीरपुरी में बुलडोजर चलाने का आदेश देने वाले राजा इकबाल सिंह कौन हैं?
दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में सांप्रदायिक हिंसा के बाद अतिक्रमण हटाने के लिए चले बुलडोजरों ने खूब सुर्खियां बटोरी हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बुलडोजरों का पंजा थमा है। इस अतिक्रमण हटाओ अभियान के पीछे उत्तरी दिल्ली नगर निगम (NDMC) के मेयर राजा इकबाल सिंह की बड़ी भूमिका है। उनकी देखरेख में ही बुधवार को जहांगीपुरी में बुलडोजर चले थे। आइये जानते हैं कि राजा इकबाल सिंह कौन हैं और उनका अब तक का सफर कैसा रहा है।
पहले शिरोमणि अकाली दल में थे सिंह
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सिंह पहले शिरोमणि अकाली दल में शामिल थे और NDMC के सिविल लाइंस जोन के प्रमुख थे। सितंबर, 2020 में जब कृषि कानूनों पर मतभेद के बाद अकाली दल ने भाजपा का साथ छोड़ा तो सिंह से भी इस्तीफा देने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया। इसके नौ महीने बाद भाजपा ने उन्हें NDMC का मेयर बना दिया। उनकी इस पदोन्नति ने कई भाजपा नेताओं को चौंका दिया था।
राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं सिंह
सिंह को मेयर बनाने के फैसले पर एक भाजपा नेता ने कहा कि किसान आंदोलन के समय भाजपा को सिख विरोधी पार्टी के तौर पर दिखाया जा रहा था। इसलिए पार्टी संदेश देना चाहती थी कि वो सिख समुदाय के साथ है। सिंह का परिवार लंबे समय से अकाली दल से जुड़ा रहा है और उनके ससुर जहांगीरपुरी के पार्षद रहे थे। उनके दूसरे रिश्तेदार भी अकाली दल से जुड़े हुए हैं।
कम बोलने वाले नेता के तौर पर पहचान रखते हैं सिंह
सिंह को कम बोलने वाले और वक्त आने पर अपने पत्ते खोलने वाले नेता के तौर पर जाना जाता है। जहांगीरपुरी में हुई हिंसा के बाद ऐसा देखने को भी मिला। अन्य भाजपा नेताओं की तरह उन्होंने 'दंगाईयों पर कार्रवाई' को लेकर कोई बयान नहीं दिया। उनका पहला बयान मंगलवार रात को सामने आया, जब उन्होंने अतिक्रमण हटाओ अभियान के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग की थी। अगले दिन कार्रवाई की शुरुआत के समय वो मौके पर मौजूद थे।
सिंह ने किया कार्रवाई का बचाव
20 अप्रैल को जब बुलडोजर जहांगीरपुरी पहुंचे तब सिंह ने मीडिया से इस कार्रवाई के बारे में बातचीत की। उन्होंने कहा कि यह अतिक्रमण हटाने का अभियान है। इसे धार्मिक नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए। स्थानीय लोगों की शिकायतें मिलने के बाद अस्थायी अतिक्रमणों को हटाने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने इस अभियान का 16 अप्रैल को हुई सांप्रदायिक हिंसा से किसी भी तरह संबंध होने से इनकार किया।
कार्रवाई पर क्यों उठे सवाल?
उत्तरी दिल्ली नगर निगम की इस कार्रवाई पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि भाजपा पर मांग पर समुदाय विशेष को निशाना बनाने के लिए नगर निगम ने यह कार्रवाई की है। दरअसल, दिल्ली भाजपा प्रमुख ने सिंह को पत्र लिखकर हिंसा के आरोपियों के अवैध कब्जों पर बुलडोजर चलाने की मांग की थी। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी कार्रवाई न रोकने को लेकर निगम निशाने पर है।