उत्तर प्रदेश सरकार में नए उपमुख्यमंत्री बनने वाले ब्रजेश पाठक कौन हैं?
क्या है खबर?
विधानसभा चुनाव में जोरदार बहुमत हासिल करने के बाद योगी आदित्यनाथ लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए हैं।
उन्होंने शुक्रवार को लखनऊ के इकाना स्टेडियम में हुए समारोह में मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की।
इसी तरह पिछली सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे केशव प्रसाद मौर्य के साथ इस बार ब्रजेश पाठक ने भी उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।
आइये जानते हैं कि आखिर कौन है ब्रजेश पाठक और कैसा रहा है उनका राजनीतिक करियर।
पिछली सरकार
पिछली सरकार में कानून मंत्री थे ब्रजेश पाठक
ब्रजेश पाठक उत्तर प्रदेश की राजनीति के बड़े ब्राह्मण चेहरे माने जाते हैं और इस बार लखनऊ कैंट विधानसभा से 39,512 वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे हैं।
योगी सरकार के पिछले कार्यकाल में भी विधायी, न्याय एवं ग्रामीण अभियन्त्रण सेवा विभाग में कैबिनेट मंत्री थे।
इस बार मुख्यमंत्री ने ब्राह्मण-ठाकुर की सियासत के लिए चर्चित इस राज्य में उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाकर जातीय समीकरण को संतुलित करने का प्रयास किया है।
राजनीति
पाठक ने छात्र जीवन से ही रख दिया था राजनीति में कदम
25 जून, 1964 को हरदोई जिले के मल्लावां कस्बे में जन्मे ब्रजेश पाठक शुरु से ही प्रतिभाशाली रहे हैं।
उन्होंने अपने छात्र जीवन में ही राजनीति में कदम रख दिया था। यही कारण रहा कि उन्होंने साल 1989 में लखनऊ यूनिवर्सिटी में हुए छात्र संघ के उपाध्यक्ष का चुनाव जीता और फिर 1990 में अध्यक्ष पर का भी चुनाव जीत गए।
उनके पास Bcom और LLB की डिग्री भी है। विधायक बनने से पहले वह पेशे से वकील रहे हैं।
पहला चुनाव
पाठक ने कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था पहला विधानसभा चुनाव
छात्र राजनीति में सफलता के झंडे गाड़ने के 12 साल बाद यानी साल 2002 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया था।
उनके प्रभाव को देखते हुए पार्टी ने 2002 के विधानसभा चुनाव में उन्हें उनके गृह नगर मल्लावां विधानसभा सीट से टिकट भी दे दिया।
इसमें उन्होंने जमकर प्रचार किया और जीत के प्रयास किए, लेकिन वह महज 130 वोटों अंतर बेहद करीबी अंतर से चुनाव हार गए, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी।
बसपा
साल 2004 में थाम लिया था बसपा का दामन
कांग्रेस के टिकट पर हार मिलने के बाद पाठक ने साल 2004 के लोकसभा चुनाव से पहले बसपा का दामन थाम लिया। उनके प्रदर्शन को देखते हुए बसपा ने उन्हें उन्नाव से टिकट दे दिया।
इस बार पाठक को सफलता मिल गई और वह संसद पहुंच गए। इतना ही नहीं बसपा ने उन्हें लोकसभा में अपना उपनेता भी बना दिया।
इसके बाद 2009 में पाठक को बसपा ने राज्यसभा भेज दिया। वहां भी वो पार्टी के मुख्य सचेतक रहे।
जानकारी
2014 में मोदी लहर के कारण मिली पाठक को हार
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भी बसपा ने पाठक ने उन्नाव लोकसभा सीट से दूसरी बार टिकट देकर मैदान में उतार दिया, लेकिन इस बाद उनकी किस्मत ने साथ नहीं दिया और मोदी लहर के कारण के उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा।
भाजपा
साल 2016 में थाम लिया था भाजपा का दामन
राजनीति में लंबे अनुभव के कारण पाठक ने सत्ता के रुख को परखना सीख लिया था। यही कारण रहा कि 2017 के विधानसभा चुनाव से करीब 6 महीने पहले उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया।
पार्टी ने उन पर भरोसा जताते हुए लखनऊ सेंट्रल से टिकट दे दिया और उन्होंने सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे रविदास मेहरोत्रा को 5,000 से अधिक वोटों से हरा दिया। भाजपा प्रबंधन ने उन्हें इसका इनाम कैबिनेट मंत्री बनाकर दिया था।