पंजाब चुनाव: पार्टियों ने महिलाओं के लिए किए बड़े वादे, लेकिन टिकट देने में रहीं पीछे
क्या है खबर?
चुनावों में राजनीतिक दल महिलाओं को लुभाने के लिए महिला सशक्तिकरण की बड़ी-बड़ी बातें करते हुए उनके लिए तमाम तरह की घोषणाएं करते हैं, लेकिन जब टिकट देने की बारी आती है तो उन्हें किनारे कर दिया जाता है।
पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भी ऐसा ही देखा जा रहा है। यहां चुनाव मैदान में उतरे सभी दलों ने महिलाओं के लिए बड़े-बड़े वादे किए हैं, लेकिन टिकट देने के मामले में कंजूस साबित हुए हैं।
समीकरण
पंजाब में क्या है मतदाताओं का समीकरण?
राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, पंजाब विधानसभा चुनाव में इस बार कुल 2,12,75,066 लोग मतदान करने के लिए पात्र होंगे। इनमें से 47.41 प्रतिशत यानी 1,00,86,514 महिला मतदाता हैं।
इसी तरह 52.58 प्रतिशत यानी 1,11,87,857 पुरुष और 695 थर्ड जेंडर वाले मतदाता हैं। ऐसे में राज्य की राजनीति में महिलाओं का वोट शेयर काफी महत्व रखता है।
इसको देखते हुए राजनीतिक दल उन्हें लुभाने के लिए नए-नए हथकंडे अपनाने से पीछे नहीं हटते हैं।
वादा
कांग्रेस और AAP सहित सभी दलों ने किए बड़े-बड़े वादे
बता दें कि पंजाब में महिलाओं के वोट शेयर को देखते हुए सभी पार्टियों ने उन्हें लुभाने के लिए कई घोषणाएं की हैं।
इनमें आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सरकार बनने पर महिलाओं को हर महीने 1,000 रुपये, शिरोमणि अकाली दल (SAD) अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने ब्लू कार्ड धारक परिवारों की महिला मुखियाओं को 2,000 रुपये महीना और कांग्रेस ने भी 2,000 रुपये महीना और आठ सिलेंडर देने का वादा किया है।
टिकट
महिलाओं को टिकट देने में फिसड्डी रही हैं पार्टियां
महिलाओं को लुभाने के लिए महिला शक्तिकरण और आर्थिक सहायता का वादा करने वाली पार्टियां उन्हें राजनीति में बराबरी पर लाने या तवज्जो देने में फिसड्डी ही साबित हुए हैं।
इस बार होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस ने 117 विधानसभा सीटों में से महज 9.40 प्रतिशत यानी महज 11 महिलाओं को टिकट दिया है।
इसी तरह AAP ने 12, भाजपा गठबंधन ने 10 और SAD ने महज छह महिलाओं को ही टिकट दिया है।
जानकारी
2017 में भी काफी खराब रही थी स्थिति
साल 2017 के चुनावों में भी पार्टियों ने टिकट देने में महिलाओं की अनदेखी की थी। उस दौरान महज सात प्रतिशत महिलाओं को टिकट दिए थे। इसमें कांग्रेस ने 11, भाजपा ने दो, SAD ने पांच और AAP ने नौ महिलाओं को टिकट दिया था।
किसान संगठन
किसान संगठनों ने भी की महिलाओं की अनदेखी
समाजशास्त्री प्रो मंजीत सिंह महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षण के पक्षधर हैं और उनका मानना है कि महिलाओं की सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी होनी चाहिए।
वह पंजाब चुनाव के लिए 22 किसान संगठनों द्वारा बनाए गए संयुक्त समाज मोर्चा (SSM) के भी सदस्य हैं। इसके बाद भी इस संगठन ने महज चार महिला उम्मीदवारों को ही टिकट दिया है।
ऐसे में स्पष्ट है महिलाओं के उत्थान की बातें करने वाले टिकट देने में उनकी अनदेखी करते हैं।
हालात
पुरुषों के चुनाव लड़ने में अड़चन पर ही महिलाओं को टिकट
पंजाब चुनाव के लिए दाखिल नामांकनों के विश्लेषण में सामने आया है कि कोई भी दल राजनीतिक पृष्ठभूमि से अलग परिवार की महिलाओं को टिकट देने का इच्छुक नहीं है।
अधिकतर उन्हीं महिलाओं को टिकट दिया जाता है जो राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से हैं। इसमें भी उसी स्थिति में टिकट दिया जाता है जब पुरुष कानूनी अड़चन के कारण चुनाव नहीं लड़ पता है।
ऐसे में उनके प्रतिनिधत्व के लिए पत्नी या अन्य महिला को टिकट दिया गया है।
राजनीति
वादे करने में भी बरती जाती है राजनीति
राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो दलों के महिलाओं को लेकर किए जाने वाले वादों में भी राजनीति होती है।
इसका कारण है कि राज्य में विभिन्न दलों द्वारा महिलाओं के लिए किए जाने वाले अधिकतर वादे 18 साल से अधिक उम्र की महिला यानी मतदान करने वाली के लिए ही किए गए हैं।
इसका सीधा अर्थ है कि राजनीतिक दल ऐसे वादे कर महिलाओं के वोट खरीदने का प्रयास करते हैं। प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए महिलाओं को इसे समझना होगा।
विधानसभा चुनाव
पंजाब में कब हैं चुनाव?
117 विधानसभा सीटों वाले पंजाब में 20 फरवरी को एक चरण में चुनाव होगा और 10 मार्च को नतीजे घोषित किए जाएंगे।
पंजाब में कांग्रेस जहां अपना किला बचाने की कोशिश में है, वहीं आम आदमी पार्टी और अकाली दल पिछली हार को भूलकर सत्ता में आने के प्रयास कर रही हैं।
कांग्रेस से अलग होने के बाद अमरिंदर सिंह ने अपनी अलग पार्टी बनाई है और वो भाजपा के साथ मिलकर सत्ता की दावेदारी पेश कर रहे हैं।