गठबंधन को बाय-बाय, अपने दम पर 2022 विधानसभा चुनाव लड़ेगी समाजवादी पार्टी
लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली समाजवादी पार्टी 2022 विधानसभा चुनाव में अकेले उतरेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पार्टी नेतृत्व ने मन बना लिया है कि वो मायावती के साथ आने का इंतजार नहीं करेंगे। बता दें, लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के लिए मायावती ने यादवों का वोट नहीं मिलने की बात कही थी। उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनावों को लेकर दोनों पार्टियां पहले ही अपने-अपने दम पर लड़ने की बात कह चुकी हैं।
अखिलेश ने कार्यकर्ताओं के साथ की बैठक
बीते हफ्ते कार्यकर्ताओं के साथ हुई बैठक में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्हें विधानसभा उपचुनावों और 2022 विधानसभा चुनावों की तैयारी करने को कहा है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से 2022 में सपा की जीत सुनिश्चित करने को कहा है।
कार्यकर्ताओं को घर-घर जाने के निर्देश
इस बारे में बात करते हुए सपा के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने इंडियन एक्सप्रेस को बतााया कि पार्टी प्रमुख ने कार्यकर्ताओं को 2022 चुनावों की तैयारी, जमीनी स्तर पर काम करने और घर-घर जाकर लोगों से मिलने को कहा है। पार्टी राज्य में सरकार बनाने की तैयारी कर रही है और हर सीट पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी के दूसरे नेता ने बताया कि जब गठबंधन टूट गया है तो भविष्य के बारे में कुछ कहना ठीक नहीं है।
गठबंधन से हुआ बसपा को फायदा- सपा नेता
पार्टी के एक और नेता ने बताया लोकसभा चुनावों में सपा ने मान लिया था कि वह प्रधानमंत्री पद की रेस में नहीं है इसलिए पार्टी ने सीटों पर भी समझौता कर लिया था। समाजवादी पार्टी ने शहरी सीटों पर चुनाव लड़ा, जहां पार्टी हमेशा से कमजोर रही है। यह विधानसभा चुनावों में नहीं हो सकता। लोगों को समाजवादी पार्टी से उम्मीदें हैं। पार्टी विधानसभा चुनावों में अकेले उतरेगी। गठबंधन से केवल बहुजन समाज पार्टी को फायदा हुआ है।
मायावती ने किया था गठबंधन टूटने का ऐलान
इस महीने की शुरुआत में बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया था। मायावती ने कहा कि उपचुनाव में पार्टी ने कुछ सीटों पर अकेले उपचुनाव लड़ने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि गठबंधन पूर्ण रूप से नहीं टूटा है। सपा प्रमुख अपने राजनीतिक कार्यों में सफल होते हैं तो वो फिर साथ आ सकते हैं। बता दें, गठबंधन में सपा ने 37 और बसपा ने 38 सीटों पर चुनाव लड़ा था।
सपा को वोट बैंक बसपा को नहीं मिला- मायावती
मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनावों में यादवों का वोट सपा के साथ टिका नहीं रह सका। यादव बहुल्य सीटों पर भी सपा के मजबूत उम्मीदवार हारे हैं। उन्होंने कहा कि डिंपल यादव और धर्मेंद्र यादव की हार उन्हें सोचने पर मजबूर करती है। उन्होंने चुनावी नतीजों में EVM की भूमिका पर संदेह जताते हुए कहा कि जब सपा-बसपा मिलकर चुनाव लड़ रही थी तो उन्हें जीत मिलनी चाहिए थी। सपा का वोट बैंक बसपा के समर्थन में नहीं आया।
ये रहे थे उत्तर प्रदेश के नतीजे
उत्तर प्रदेश की कुल 80 लोकसभा सीटों में से भारतीय जनता पार्टी को 62 और उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल को 2 सीटें मिली हैं। गठबंधन को 15 (बसपा- 10, सपा- 5) और कांग्रेस को 1 सीट पर जीत मिली है। 2014 के मुकाबले भाजपा को राज्य में केवल 9 सीटों का नुकसान हुआ है, लेकिन पार्टी का वोट शेयर बढ़ा है। पिछले चुनावों में उत्तर प्रदेश में भाजपा को 42.6% वोट मिले थे, जो इस बार 49.5% हो गए।