NewsBytes Hindi
    English Tamil Telugu
    अन्य
    चर्चित विषय
    क्रिकेट समाचार
    नरेंद्र मोदी
    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
    राहुल गांधी
    #NewsBytesExplainer
    IPL 2025
    ऑपरेशन सिंदूर
    English Tamil Telugu
    NewsBytes Hindi
    User Placeholder

    Hi,

    Logout

    देश
    राजनीति
    दुनिया
    बिज़नेस
    खेलकूद
    मनोरंजन
    टेक्नोलॉजी
    करियर
    अजब-गजब
    लाइफस्टाइल
    ऑटो
    एक्सक्लूसिव
    विज़ुअल खबरें

    एंड्राइड ऐप डाउनलोड

    हमें फॉलो करें
    • Facebook
    • Twitter
    • Linkedin
    होम / खबरें / राजनीति की खबरें / जम्मू-कश्मीर में गैर कश्मीरियों को वोट डालने का अधिकार देने के क्या मायने हैं?
    अगली खबर
    जम्मू-कश्मीर में गैर कश्मीरियों को वोट डालने का अधिकार देने के क्या मायने हैं?
    जम्मू-कश्मीर में गैर कश्मीरियों को मिला वोट डालने का अधिकार।

    जम्मू-कश्मीर में गैर कश्मीरियों को वोट डालने का अधिकार देने के क्या मायने हैं?

    लेखन भारत शर्मा
    Aug 19, 2022
    04:32 pm

    क्या है खबर?

    जम्मू-कश्मीर में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सरकार ने बड़ा कदम उठाया है।

    सरकार ने अनुच्छेद 370 और 35A को हटाए जाने का फायदा उठाते हुए अब वहां रह रहे अन्य राज्यों के लोगों (गैर कश्मीरियों) को भी चुनाव में वोट डालने का अधिकार दे दिया है।

    इस निर्णय ने केंद्र शासित प्रदेश की राजनीतिक पार्टियों में उथल-पुथल मचा दी है।

    आइये जानते हैं कि गैर कश्मीरियों को वोट डालने का अधिकार देने के मायने क्या हैं।

    पृष्ठभूमि

    मुख्य चुनाव अधिकारी ने क्या की है घोषणा?

    जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) हृदेश कुमार ने गुरुवार को कहा कि राज्य में रहने वाले गैर कश्मीरी लोग (कर्मचारी, छात्र, मजदूर आदि) मतदाता सूची में अपना शामिल कराकर वोट डाल सकते हैं। इसके लिए उन्हें निवास प्रमाण पत्र देने की भी जरूरत नहीं होगी।

    उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में तैनात सुरक्षाबलों के जवान भी मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वा सकते हैं। ऐसे में वह ड्यूटी पर होते हुए भी मतदान कर सकेंगे।

    परिणाम

    सरकार की इस घोषणा के क्या होंगे परिणाम?

    इस घोषणा से जम्मू-कश्मीर की मतदाता सूची में 25-27 लाख नए मतदाता जुड़ने की संभावना है।

    साल 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां कुल 78.4 लाख मतदाता था, लेकिन अब लद्दाख के अलग होने के बाद यह संख्या 76.7 लाख रह गई है।

    ऐसे में यदि अब 25-27 लाख नए मतदाता जुड़ते हैं तो यहां मतदाताओं की कुल संख्या एक करोड़ के पार पहुंच जाएगी।

    बता दें कि यहां 2014 से 2019 के बीच 6.5 लाख नए मतदाता जुड़े थे।

    फायदा

    गैर कश्मीरियों के वोट डालने से किसको होगा फायदा?

    जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35A हटाए जाने से पहले चुनावों में केवल स्थानीय नागरिकों को ही वोट डालने का अधिकार था। गैर कश्मीरी चाहकर भी वोट नहीं डाल पाते थे, जबकि वहां उनकी संख्या बहुत अधिक है।

    अब सरकार के निर्णय से वो भी वोट डाल सकेंगे, लेकिन इसका फायदा भाजपा या कांग्रेस को ही होगा।

    इसका कारण है कि गैर कश्मीरी लोगों का PDP, नेशनल कान्फ्रेंस सहित अन्य स्थानीय पार्टियों से कोई लगाव नहीं है।

    विरोध

    स्थानीय राजनीतिक दलों ने शुरू किया निर्णय का विरोध

    जम्मू-कश्मीर के स्थानीय राजनीतिक दलों ने सरकार के इस निर्णय का विरोध शुरू कर दिया है।

    पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि भाजपा जम्मू-कश्मीर के असली मतदाताओं के समर्थन को लेकर असुरक्षित है और जीतने के लिए अस्थायी मतदाताओं को आयात करना चाहती है।

    इसी तरह महबूबा मुफ्ती ने कहा कि बाहरी लोगों को मतदाता सूची में शामिल करने के पीछे की मंशा स्पष्ट है कि भाजपा चुनाव परिणामों को प्रभावित करना चाहती है।

    बैठक

    फारूक अब्दुल्ला ने बुलाई सर्वदलीय बैठक

    इस मामले में नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने 22 अगस्त को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।

    इसी तरह जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने कहा कि यह खतरनाक है। ऐसा करना बहुत विनाशकारी होगा।उन्हें नहीं पता कि सरकार क्या हासिल करना चाहती है। 1987 को याद करें। लोग अभी तक इससे बाहर नहीं आए हैं। 1987 को फिर से न दोहराएं।

    कारण

    क्या राजनीतिक दलों के विरोध का कारण?

    दरअसल, स्थानीय राजनीतिक दलों को कश्मीर घाटी में तो सफलता मिल जाती है, लेकिन जम्मू क्षेत्र में उनका कोई जोर नहीं चलता है।

    2014 में यहां कुल 83 विधानसभा सीटें थीं। इसमें जम्मू में 37 और कश्मीर घाटी में 46 सीटें थीं। परिसीमन में सात सीटें बढ़ाने के बाद कुल 90 सीटें हो गईं। इसमें जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 सीटें हैं।

    स्थानीय दलों का मानना है कि इस निर्णय से भाजपा राज्य में सरकार बना सकती है।

    जानकारी

    जम्मू क्षेत्र में रहा है भाजपा का बोलबाला

    जम्मू क्षेत्र में शुरू से ही भाजपा का बोलबाला रहा है। 2014 के चुनाव में जम्मू की 37 में से 25 सीटें भाजपा ने जीती थीं। स्थानीय दलों को डर है कि गैर कश्मीरियों के वोट डालने से प्रदेश में उनका एकाधिकार खत्म हो जाएगा।

    निष्कर्ष

    सरकार के इस निर्णय के क्या है मायने?

    राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो सरकार इस निर्णय के जरिए कश्मीर घाटी में अपना वोट शेयर बढ़ा रही है। यदि इससे कश्मीर में भाजपा को दो-चार सीटों का भी लाभ मिलता है तो वह जम्मू क्षेत्र में कायम अपने प्रभाव के दम पर सत्ता हासिल कर सकती है।

    हालांकि, इस निर्णय के बाद हालात बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। इसका कारण है कि द लश्कर-ए-तैयबा समर्थित आतंकी समूह कश्मीर फाइट ने गैर कश्मीरियों पर हमलों की धमकी दी है।

    Facebook
    Whatsapp
    Twitter
    Linkedin
    सम्बंधित खबरें
    ताज़ा खबरें
    जम्मू-कश्मीर
    लोकसभा
    लश्कर-ए-तैयबा
    फारूक अब्दुल्ला

    ताज़ा खबरें

    NDA इतिहास में पहली बार 17 महिला कैडेट्स का बैच हुआ पास भारतीय सेना
    शशि थरूर ने कोलंबिया में कोलंबिया को घेरा, बोले- आतंकियों के मरने पर शोक क्यों जताया ऑपरेशन सिंदूर
    IPL 2025: कुलदीप यादव का इस संस्करण कैसा रहा प्रदर्शन? जानिए आंकड़े  IPL 2025
    'हाउसफुल' समेत इन बॉलीवुड फिल्मों के बने सबसे ज्यादा सीक्वल, एक के तो 8 भाग आए हाउसफुल फिल्म

    जम्मू-कश्मीर

    कश्मीर: सुरक्षाबलों ने ढेर किए दो आतंकी, आम नागरिक और सरकारी कर्मचारी का हत्यारा शामिल कश्मीर में आतंकवाद
    कश्मीर: अल्पसंख्यकों पर आतंकी हमले जारी, कुलगाम में प्रवासी महिला शिक्षक की गोली मारकर हत्या कश्मीर में आतंकवाद
    जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति को लेकर अमित शाह ने शुक्रवार को बुलाई अहम बैठक गृह मंत्रालय
    कश्मीर: कुलगाम में हिंदू बैंक मैनेजर की गोली मारकर हत्या, तीन दिन में दूसरा आतंकी हमला कश्मीर में आतंकवाद

    लोकसभा

    बिपिन रावत हेलीकॉप्टर क्रैश: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया पूरा घटनाक्रम राजनाथ सिंह
    नागालैंड फायरिंग: AFSPA और अमित शाह के खिलाफ ग्रामीणों का प्रदर्शन, दोषियों पर कार्रवाई की मांग सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम (AFSPA)
    रोजाना 300 लोग छोड़ रहे भारत की नागरिकता, 7 सालों में 8.81 लाख पर पहुंचा आंकड़ा भारत की खबरें
    लोकसभा: विपक्ष के विरोध के बीच आधार और वोटर कार्ड को लिंक करने वाला विधेयक पारित आधार कार्ड

    लश्कर-ए-तैयबा

    26/11 आतंकी हमला: पूर्व कमिश्नर का खुलासा, आतंकियों द्वारा हिन्दुओं को बदनाम करने की थी योजना मुंबई
    मुंबई: चार फाइव-स्टार होटलों बम से उड़ाने की धमकी, मांगे बिटकॉइन मुंबई
    दिल्ली: IS से संबंध के शक में कश्मीरी दंपत्ति को हिरासत में लिया गया दिल्ली पुलिस
    दिल्ली दंगे: क्या दिल्ली को दहलाने के लिए इंडोनेशिया के NGO से मिली थी फंडिंग? इंडोनेशिया

    फारूक अब्दुल्ला

    जम्मू-कश्मीर पर केंद्र सरकार के फैसलों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे शाह फैसल और शहला राशिद जम्मू-कश्मीर
    उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को परिवार से मिलने दिया गया, नजरबंद हैं दोनों पूर्व मुख्यमंत्री इंटरनेट
    सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को नोटिस, पूछा- क्या हिरासत में हैं फारूक अब्दुल्ला? कश्मीर
    BDC चुनावों से पहले रिहा किए गए जम्मू के नेता, घाटी के नेता अभी भी नजरबंद जम्मू-कश्मीर
    पाकिस्तान समाचार क्रिकेट समाचार नरेंद्र मोदी आम आदमी पार्टी समाचार अरविंद केजरीवाल राहुल गांधी फुटबॉल समाचार कांग्रेस समाचार लेटेस्ट स्मार्टफोन्स दक्षिण भारतीय सिनेमा भाजपा समाचार बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कोरोना वायरस रेसिपी #NewsBytesExclusive ट्रैवल टिप्स IPL 2025
    हमारे बारे में प्राइवेसी पॉलिसी नियम हमसे संपर्क करें हमारे उसूल शिकायत खबरें समाचार संग्रह विषय संग्रह
    हमें फॉलो करें
    Facebook Twitter Linkedin
    All rights reserved © NewsBytes 2025