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26/11 आतंकी हमला: पूर्व कमिश्नर का खुलासा, आतंकियों द्वारा हिन्दुओं को बदनाम करने की थी योजना

26/11 आतंकी हमला: पूर्व कमिश्नर का खुलासा, आतंकियों द्वारा हिन्दुओं को बदनाम करने की थी योजना

Feb 18, 2020
02:22 pm

क्या है खबर?

26/11 मुंबई आतंकी हमले में जिंदा पकड़े गए आतंकी मोहम्मद अजमल कसाब को भले ही सालों पहले फांसी पर लटका दिया हो, लेकिन उसको लेकर मुंबई के पूर्व कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी आत्मकथा 'Let Me Say It Now' में सनसनीखेज खुलासा किया है। उन्होंने अपनी किताब में दावा किया है कि आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने कसाब सहित सभी 10 आतंकियों को हिन्दू की पहचान देकर हिन्दू आतंकवाद के नाम पर हिन्दुओं को बदनाम करने की योजना बनाई थी।

खुलासा

कसाब को दी जानी थी समीर चौधरी की पहचान

राकेश मारिया ने अपनी किताब में दावा किया है कि हमले से पहले कसाब सहित सभी 10 आतंकियों को हिंदू साबित करने के लिए हैदराबाद के अरुणोदय कॉलेज के उनके फर्जी पहचान-पत्र बनाए गए थे। इनमें कसाब के लिए बेंगलुरू निवासी समीर दिनेश चौधरी के नाम पर पहचान-पत्र बनाया गया था। यही कारण था कि कसाब के दाएं हाथ की कलाई पर लाल धागा (मोली) भी बांधा गया था, ताकि उनकी मौत के बाद उसे हिन्दू साबित किया जा सके।

शुरुआत

हथियार चलाने का प्रशिक्षण लेने के लिए लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हुआ था कसाब

राकेश मारिया ने किताब में दावा किया है कि कसाब का जिहाद से कोई लेना-देना नहीं था। वह अपने दोस्त मुजफ्फर लाल खान के साथ अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए सिर्फ डकैती डालना चाहता था। इसी के लिए वह आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था। संगठन ने उसे जिहादी बनाया था। उसे यह यकीन दिलाया गया था कि भारत में मुसलमानों को नमाज नहीं अदा करने दी जाती है और मस्जिदों पर ताला लगा दिया जाता है।

अचंभित

भारत में नमाज होती देखकर अचंभित रह गया था कसाब

राकेश ने दावा किया कि जब कसाब अपराध शाखा के लॉक-अप में बंद था और उसे दिन में पांच बार अजान की आवाज सुनाई देती थी तो उसे लगता था कि वह असली आवाज नहीं है और केवल उनसे मन का वहम है। इसके बाद राकेश ने जांच अधिकारी रमेश महाले को कसाब को पास की मस्जिद तक ले जाने को कहा था। वहां जब कसाब ने नमाज होती देखी तो वह पूरी तरह से अचंभित रह गया था।

सुपारी

दाऊद इब्राहिम गैंग को मिली थी कसाब को मारने की सुपारी

मुंबई हमले में कसाब ही एकमात्र जिंदा आतंकी था। आत्मकथा के अनुसार ऐसे में इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) और लश्कर-ए-तैयबा सबूत मिटाने के लिए उसे मारना चाहते थे। इसके लिए आतंकी संगठन ने दाऊद इब्राहिम की गैंग को उसे मारने की सुपारी दी थी। यही कारण था कि कसाब की सुरक्षा उनकी पहली प्राथमिकता बन गई थी। और इसी कारण पुलिस कसाब की कोई भी जानकारी मीडिया में लीक नहीं होने देना चाहती थी।

मामला

मुंबई में 11 साल पहले हुए थे हमले

गौरतलब है कि 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में पाकिस्तान से समंदर के रास्ते भारत पहुंचे कसाब सहित 10 आतंकियों ने कई जगहों पर हमला किया था। इनमें मुंबई का प्रमुख ताज होटल भी शामिल था। हमलों में 160 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। आतंकी कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया था। बाद में 21 नवंबर, 2012 को पुणे की यरवडा जेल में कसाब को फांसी पर लटका दिया गया था।