#NewsBytesExplainer: अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है और किसके खिलाफ लाया जा सकता है?
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दोनों सदनों में खूब हंगामा हो रहा है। विपक्षी पार्टियों ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के ऊपर पक्षपात करने के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि धनखड़ विपक्ष को बोलने का मौका नहीं दे रहे हैं। विपक्ष ने धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का नोटिस भी दिया है। अगर मंजूरी मिलती है तो प्रस्ताव को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। आइए जानते हैं अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है।
क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव?
संविधान में अविश्वास प्रस्ताव का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है। हालांकि, संविधान के अनुच्छेद 75 के मुताबिक, केंद्रीय मंत्रिमंडल सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होता है। यानी प्रधानमंत्री और उनके मंत्री तब तक अपने पद पर बने रह सकते हैं, जब तक उन्हें लोकसभा के अधिकांश सदस्यों का विश्वास प्राप्त है। अविश्वास प्रस्ताव के जरिए यह देखा जाता है कि अधिकांश सांसदों को प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल पर विश्वास है या नहीं।
किसके खिलाफ लाया जा सकता है अविश्वास प्रस्ताव?
संसद में मौजूद कई सदस्यों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। अगर विपक्षी पार्टियों को लगता है कि प्रधानमंत्री और उनकी सरकार अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से नहीं निभा रही है तो वे अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं। इसके अलावा केंद्रीय मंत्रियों, लोकसभा के स्पीकर, राज्यसभा के सभापति और राज्य सरकार के खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। अविश्वास प्रस्ताव का उद्देश्य सरकार या व्यक्ति की जवाबदेही तय करना होता है।
क्या होती है अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया?
केंद्र सरकार या राज्यसभा सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया अलग-अलग होती है। लोकसभा में प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन जरूरी है। इसके बाद स्पीकर प्रस्ताव पर चर्चा के लिए समय निर्धारित करते हैं। चर्चा के बाद प्रस्ताव पर मतदान होता है। अगर सदन में मौजूद कुल सदस्यों में से आधे से एक ज्यादा सदस्य प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करते हैं तो सरकार गिर जाती है।
राज्यसभा सभापति के खिलाफ कैसे लाया जाता है प्रस्ताव?
राज्यसभा सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए भी कम से कम 50 सदस्यों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं। इसके लिए 14 दिन पहले लिखित नोटिस भी देना होता है। अनुमति मिलने के बाद प्रस्ताव को पहले राज्यसभा में पेश किया जाता है। यहां इसे पारित होने के लिए सदन की संख्या से कम से कम आधे वोट मिलना जरूरी है। चूंकि, सभापति देश के उपराष्ट्रपति भी हैं, इसलिए प्रस्ताव को लोकसभा में भी पारित कराना जरूरी है।
फिर विश्वास मत क्या होता है?
संसद में अविश्वास प्रस्ताव हमेशा विपक्षी पार्टियों द्वारा लाया जाता है, जबकि विश्वास हमेशा सत्ताधारी पार्टी या गठबंधन लेकर आता है। सरकार इससे ये साबित करती है कि उसके पास बहुमत है। इसके अलावा सरकार खुद भी किसी महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव, लोकप्रियता में गिरावट, किसी घोटाले या विवाद के बाद भी सदन में विश्वास मत ला सकती है। विश्वास मत पेश करने के लिए स्पीकर की मंजूरी लेना जरूरी है।
कब लाया गया था पहला अविश्वास प्रस्ताव?
लोकसभा में 1963 में सबसे पहला अविश्वास प्रस्ताव प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय लाया गया था। इस प्रस्ताव के पक्ष में केवल 62, जबकि विरोध में 347 वोट पड़े थे। नेहरू के बाद लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी की सरकार को भी 2 बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। अब तक 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाए गए हैं।