इस कांग्रेस नेता ने कहा था, 'अगर मुस्लिम गटर में रहना चाहते हैं, तो रहने दो'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में अपने भाषण के दौरान कहा कि कांग्रेस के एक नेता ने कहा था कि मुस्लिमों को ऊपर उठाना उनकी पार्टी का काम नहीं है और अगर वो गटर में रहना चाहते हैं तो वहीं रहने दो। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस दावे के लिए शाहबानो केस के समय केंद्रीय मंत्री रहे आरिफ मोहम्मद खान के एक इंटरव्यू का हवाला दिया। आइए हम आपको उस पूरे प्रकरण के बारे में बताते हैं।
क्या है शाहबानो केस?
1985 के बेहद चर्चित शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिला शाहबानो के पति को उसे गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। तत्कालीन कांग्रेस सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री आरिफ मोहम्मद खान ने प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कहने पर संसद में अपने भाषण में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जोरदार वकालत की। लेकिन फिर राजीव मुस्लिम रूढ़िवादियों के दवाब में झुक गए और इसी फैसले के खिलाफ संसद में कानून ले आए।
पीवी नरसिम्हा राव ने कही थी ये बात
कांग्रेस सरकार के इस फैसले के विरोध में आरिफ ने इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद कई वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें मनाने की कोशिश की। इन्हीं नेताओं में पीवी नरसिम्हा राव थे, जिन्होंने मुस्लिमों को गटर में ही रहने देने की बात कही।
आरिफ ने कहा, समाज का बंटवारा था फैसले का मकसद
अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' से बात करते हुए आरिफ ने कहा कि शाहबानो केस पर एक टीवी कार्यक्रम के दौरान 7-8 साल पहले उन्होंने राव के इस बयान के बारे में खुलासा किया था। उन्होंने कहा कि मोदी ने संसद में ये बात कहकर ठीक किया क्योंकि ये उन सभी कार्यों के पीछे के मकसद को उजागर करती है, जो समाज का बंटवारा करना था। राव ने आरिफ को इस्तीफा वापस लेने के लिए मनाते वक्त ये बात कही थी।
राव ने कहा था- शाहबानो ने भी रुख बदल लिया, तुम क्यों जिद कर रहे हो
आरिफ ने बताया, "राव ने मुझसे कहा, 'तुम युवा, तेज और इतने अच्छे वक्ता हो, तुम्हारा करियर तुम्हारे सामने हैं। तुम इस्तीफा कैसे दे सकते हो?' फिर उन्होंने मुझसे कहा कि शाहबानो ने भी अपने रुख को बदल लिया है, जोकि यही बात थी।"
फिर राव ने कही गटर में रहने देने की विवादित बात
आरिफ ने कहा, "मैं शाहबानो के लिए नहीं लड़ रहा हूं। मैं अपने व्यक्तिगत ईमान के लिए लड़ रहा हूं। प्रधानमंत्री के कहने पर मैंने संसद में 55 मिनट तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले की वकालत की। अब इस फैसले को पलटने के लिए बिल लाया जा रहा है।" राव ने कहा, "समझने की कोशिश करो। हम समाज सुधारकों की पार्टी नहीं हैं। अगर मुस्लिम गटर में रहना चाहते हैं तो उन्हें रहने दो। तुम इस्तीफा क्यों दे रहे हो?"
बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है शाहबानो केस
शाहबानो केस को मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के मामले में बेहद महत्वपूर्ण मामला माना जाता है। लेकिन मुस्लिम रूढ़िवादियों को ये प्रगतिशील फैसला पसंद नहीं आया था और उन्होंने इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ में कोर्ट की दखलअंदाजी माना था। पहले आरिफ के जरिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तारीफ करने वाली राजीव सरकार ने रूढ़िवादियों के दवाब में झुकते हुए कानून लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अप्रभावी कर दिया था।