टीपू सुल्तान के वंशज की चेतावनी- राजनीतिक लाभ के लिए नाम का इस्तेमाल न करें
टीपू सुल्तान के एक वंशज ने राजनीतिक पार्टियों को चेतावनी देते हुए कहा कि वे टीपू के नाम का इस्तेमाल राजनीति के लिए न करें। उन्होंने कहा कि अगर पार्टियां इसी तरह बयानबाजी करती रहीं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। दरअसल, कर्नाटक में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इससे पहले भाजपा और कांग्रेस के बीच टीपू को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। इसी से परेशान होकर टीपू सुल्तान के वंशज ने ये बात कही है।
पूर्वजों को अपमानित किया तो कोर्ट जाएंगे- वंशज
टीपू सुल्तान के 7वीं पीढ़ी के वंशज शहजादा मंसूर अली ने कहा, "पार्टियां वोट के लिए हमारे पूर्वजों को अपमानित कर रही हैं। चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, दोनों ने ही टीपू सुल्तान के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने केवल राजनीतिक फायदे के लिए उनके नाम का इस्तेमाल किया है। हमने इसे रोकने के लिए पार्टियों के खिलाफ मानहानि का केस दायर करने का फैसला लिया है।"
टीपू सुल्तान को लेकर कर्नाटक में जारी है बयानबाजी
कर्नाटक में चुनाव आते ही टीपू सुल्तान को लेकर विवादित बयानबाजी बढ़ जाती है। हाल ही में राज्य भाजपा प्रमुख नलिन कुमार कतील ने कहा था कि टीपू सुल्तान के अनुयायियों को जीवित नहीं होना चाहिए। एक रैली में उन्होंने कहा था, "इस बार कर्नाटक में चुनाव भाजपा और कांग्रेस के बीच नहीं, बल्कि टीपू और सावरकर की विचारधारा के बीच है। हम भगवान राम और हनुमान के भक्त हैं, टीपू सुल्तान की संतान नहीं हैं।"
कतील के बयान पर क्या बोले थे ओवैसी?
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने नलिन कुमार कतील के बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा था कि क्या वे अपनी पार्टी के नेता के बयान से सहमत हैं। उन्होंने कहा था, "मैं टीपू सुल्तान का नाम ले रहा हूं, बताओ क्या करोगे? मारोगे मुझे? मिटा दोगे मुझे? आप भ्रष्टाचार को मिटा नहीं पाए। कतील का ये बयान हिंसा और नरसंहार के लिए खुला आमंत्रण है।"
कौन थे टीपू सुल्तान?
टीपू सुल्तान 1782 से लेकर 1799 तक मैसूर के सुल्तान (राजा) रहे थे। वे अंग्रेजों के कड़े विरोधी थे और उन्होंने अहम युद्धों में ईस्ट इंडिया कंपनी को पराजित भी किया था। हालांकि, 1799 में हुए चौथे एंग्लो-मैसूर युद्ध में वह मारे गए। टीपू को रॉकेट की तकनीक विकसित करने का श्रेय दिया जाता है और उन्होंने युद्ध के दौरान कई छोटी-छोटी रॉकेट से अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए। उन पर हिंदुओं के नरसंहार के आरोप भी लगते रहे हैं।
कर्नाटक में अप्रैल-मई में होने हैं चुनाव
कर्नाटक में अप्रैल-मई 2023 में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। राज्य में कुल 224 विधानसभा सीटें हैं। 2018 में हुए चुनावों में भाजपा को 104 और कांग्रेस को 80 सीटों पर जीत मिली थी, वहीं जनता दल सेक्युलर (JDS) ने 37 सीटों पर जीत हासिल की थी। चुनाव के बाद कांग्रेस और JDS ने सरकार बनाई थी, लेकिन विधायकों की बगावत के बाद कुछ समय बाद ही वो गिर गई। इसके बाद भाजपा ने सरकार बनाई।