इस मांग को लेकर भड़के कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा, दे डाली इस्तीफे की धमकी
कांग्रेस-JDS गठबंधन सरकार की दीवार को गिराकर फिर से सत्ता पर काबिज होने वाले मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को इसी माह अपने मंत्रीमंडल का विस्तार करना है, लेकिन उससे पहले उनके सामने परेशानियां खड़ी होना शुरू हो गई हैं। मंगलवार को हरिहर में आयोजित पंचमसली संप्रदाय के एक कार्यक्रम में भाजपा विधायक को मंत्री बनाए जाने की मांग पर वह इतना भड़क गए कि उन्होंने पद से इस्तीफा देने की धमकी दे दी।
लिंगायत समाज के संत स्वामी वचनानंद ने रखी मांग
मुख्यमंत्री येदियुरप्पा लिंगायतों के पंचमसली संप्रदाय के एक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। वहीं मंच पर लिंगायत समाज के संत स्वामी वचनानंद भी मौजूद थे। अपने उद्बोधान के दौरान स्वामी वचनानंद ने लिंगायत समुदाय के भाजपा नेता मुरुगेश निरानी को मंत्री बनाने की मांग रख दी। इतना ही नहीं, उन्होंने मुरुगेश निरानी को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करने पर पंचमाली लिंगायत संप्रदाय द्वारा भाजपा को समर्थन नहीं करने की धमकी भी दे दी।
मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने स्वामी वचनानंद को दिया करारा जवाब
लिंगायत समाज के संत स्वामी वचनानंद की ओर से समर्थन नहीं देने और संप्रदाय के क्रोध का सामना करने की धमकी दिए जाने के बाद मुख्यमंत्री येदियुरप्पा उखड़ गए। उन्होंने वचनानंद को करारा जवाब देते हुए कहा कि उन्हें कोई खतरा नहीं है। आप सलाह दे सकते हैं, लेकिन इस तरह खुले मंच पर धमकी नहीं दे सकते हैं। या तो वो सरकार का सहयोग करें, नहीं तो वह पद से इस्तीफा दे देंगे। वह सत्ता के भूखे नहीं है।
येदियुरप्पा ने शांत होने के बाद बताई अपनी मजबूरी
मुख्यमंत्री के भड़कने के बाद गृहमंत्री बसवराज बोम्मई और अन्य नेताओं ने उन्हें शांत किया। इसके बाद येदियुरप्पा ने अपने संबोधन में कहा कि कुछ मंत्रियों सहित 17 विधायकों ने बलिदान दिया और वह वनवास काट रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर वह उपचुनाव के बाद नए विधायकों को मंत्रीमंडल में शामिल नहीं करते तो कर्नाटक में भाजपा की सरकार बननी मुश्किल थी। ऐसे में संप्रदाय को उनकी मजबूतरी समझते हुए शेष तीन वर्ष के लिए उनकी सहायता करनी चाहिए।
उप चुनाव के बाद बढ़ी येदियुरप्पा की परेशानी
भाजपा के पास वर्तमान में 225 सदस्यीय विधानसभा (एक नामित सदस्य सहित) में 117 सीटों का पूर्ण बहुमत है, लेकिन पार्टी द्वारा उप चुनावों में 15 में से 12 सीटें जीतने के बाद येदियुरप्पा के सामने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने में परेशानी खड़ी हो रही है। भाजपा हाईकमान को भी येदियुरप्पा द्वारा सभी 11 बागी (कांग्रेस-JDS कैबिनेट में शामिल) विधायकों को मंत्रीमंडल में शामिल करने के चुनावी वादे को पूरा करने के लिए हरी झंडी देनी है।
युदियुरप्पा ने 26 जुलाई को संभाली थी राज्य की कमान
कर्नाटक की कांग्रेस-JDS गठबंधन और भाजपा के बीच एक जुलाई 2019 से शुरू हुआ सियासी घमासान 24 जुलाई को सरकार गिरने के साथ खत्म हुआ था। गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने विश्वास मत पास करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन वह इसे पूरा नहीं कर पाए थे। उनके प्रस्ताव के पक्ष में 99 तथा विपक्ष में 105 वोट पड़़े थे। इसके दो दिन बाद ही भाजपा की ओर से येदियुरप्पा ने मख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी।
कर्नाटक की राजनीति में लिंगायत समुदाय का है बड़ा दबदबा
कर्नाटक की राजनीति में लिंगायत समुदाय का बड़ा दबदबा है। स्वयं मुख्यमंत्री येदियुरप्पा भी इसी समुदाय से आते हैं और उनकी इसकी 17 प्रतिशत आबादी पर पकड़ है। इतना ही नहीं, कर्नाटक विधानसभा की 224 सीटों में से 80 सीटों पर इसी समुदाय का प्रभाव है। दक्षिण के कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और केरल तक फैले इस समुदाय को काफी प्रभावशाली माना जाता है। यह समुदाय कई बार हिन्दू धर्म से अलग होने की मांग भी कर चुका है।