लखीमपुर खीरी में किसानों को रौंदने की घटना के गवाह पर हमला, बाल-बाल बचे
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों को रौंदने की घटना के गवाह और भारतीय किसान यूनियन (BKU) के एक पदाधिकारी पर मंगलवार देर रात हमला हुआ, जिसमें वो बचने में सफल रहे। पुलिस ने बताया कि मंगलवार को दो अज्ञात हथियारबंद युवकों ने BKU के लखीमपुर खीरी के जिलाध्यक्ष दिलबाग सिंह के वाहन को रोक लिया और गोलियां चलाईं। राहत की बात यह रही कि इनमें से कोई भी गोली सिंह को नहीं लगी।
लखीमपुर खीरी में क्या हुआ था?
लखीमपुर में पिछले साल 3 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के दौरे के समय हिंसा हुई थी, जिसमें चार आंदोलनकारी किसानों समेत कुल आठ लोगों की मौत हुई। मिश्रा कार्यक्रम के लिए लखीमपुर स्थित अपने पैतृक गांव पहुंचे थे। आरोप है कि लौटते वक्त मिश्रा के बेटे आशीष ने किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी, जिसमें चार किसान मारे गए। बाद में भीड़ ने दो भाजपा कार्यकर्ताओं और ड्राइवर को पीट-पीट कर मार दिया। एक पत्रकार भी मारा गया था।
सिंह की गाड़ी में लगी गोलियां
सिंह ने बताया कि अपने बेटे की तबियत खराब होने के चलते हमले के वक्त उनका सुरक्षा गार्ड उनके साथ मौजूद नहीं था। उन्होंने बताया कि हमलावरों ने उनके वाहन पर गोलियां चलाई थीं, जिससे उसका एक टायर पंक्चर हो गया। हमलावरों ने वाहन की खिड़की खोलने की भी कोशिश की, लेकिन वो कामयाब नहीं हो सके। कई राउंड गोलियां चलाने के बाद दोनों हमलावर मौके से भाग निकले। पुलिस को इस हमले की जानकारी दे दी गई है।
राकेश टिकैत को भी दी गई हमले की जानकारी
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, दिलबाग सिंह ने बताया कि शिकायत करने के बाद पुलिस ने घटनास्थल पर जाकर जांच की है। उन्होंने किसान नेता राकेश टिकैत को भी इस हमले के बारे में सूचित कर दिया है।
FIR दर्ज, जांच में जुटी पुलिस
लखीमपुर खीरी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह ने बताया कि सिंह की शिकायत पर FIR दर्ज कर ली गई है। सबूत जुटाने के लिए फॉरेंसिंक टीम को मौके पर भेजा गया है। उन्होंने गार्ड की छुट्टी को लेकर पहले पुलिस को सूचित नहीं किया था। उन्होंने कहा, "पुलिस ने हमले के बाद घटनास्थल का दौरा किया और सिंह से बात कर उनका बयान दर्ज कर लिया है। जांच और हमलावरों की पहचान के प्रयास जारी हैं।"
पहले भी गवाहों ने लगाए हैं हमले के आरोप
पिछले साल से चल रहे इस मामले के गवाहों ने पहले भी हमले के आरोप लगाए थे। आशीष मिश्रा की जमानत रद्द कराने कोर्ट पहुंचे पीड़ितों ने कहा था कि मार्च में एक गवाह पर हमला किया गया और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत के बाद हमलावरों ने गवाहों को धमकियां दीं। गवाहों ने अपनी याचिका में मिश्रा के जमानत पर बाहर रहने पर उनसे जान के खतरे की बात कही थी।
अप्रैल में मिश्रा ने किया था सरेंडर
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत रद्द करने और एक हफ्ते के भीतर सरेंडर करने के आदेश के बाद आशीष मिश्रा ने 24 अप्रैल को जेल में सरेंडर किया था। इससे पहले 10 फरवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट से उन्हें जमानत मिली थी।