हिमाचल प्रदेश में टला कांग्रेस सरकार पर छाया संकट, सुखविंदर सिंह सुक्खू बने रहेंगे मुख्यमंत्री
हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर आया संकट टलता दिखाई दे रहा है। सुखविंदर सिंह सुक्खू ही राज्य के मुख्यमंत्री बने रहेंगे। हिमाचल में पर्यवेक्षक बनाकर भेजे गए कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने इस बात का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि सब लोगों से बात करने के बाद सभी मतभेद दूर हो गए हैं। शिवकुमार ने कहा कि पार्टी और संगठन में समन्वय के लिए एक समिति बनाई जाएगी।
राज्यसभा सीट खोने का अफसोस- हुड्डा
पर्यवेक्षक भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, "जो राज्यसभा का चुनाव हुआ, पार्टी को अफसोस है कि पार्टी ने एक सीट खो दी। सारे विधायकों से सहमति बनी है। आगे से एक होकर लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। समन्वय समिति बनाई जाएगी, जिसमें 6 लोग होंगे। मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, प्रदेश कांग्रेस समिति अध्यक्ष और 3 अन्य लोग होंगे। इनका काम आपस में सहमति बनाना होगा। हम सभी एक हैं। यहां 'ऑपरेशन लोटस' नहीं चलेगा।"
साथ नजर आए प्रतिभा सिंह और सुक्खू
प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक-दूसरे के विरोधी माने जाने वाले हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और मुख्यमंत्री सुक्खू साथ नजर आए। दोनों ने साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया। प्रतिभा सिंह ने कहा, "लोकसभा चुनाव हमारी अगली चुनौती है। राज्यसभा में मिली हार पर हमें दुख है। पार्टी पहले भी मजबूत थी और आज भी मजबूत है। हिमाचल की चारों लोकसभा सीट जीतेंगे। हम तालमेल चाहते हैं।"
सुक्खू बोले- भाजपा ओछी राजनीति कर रही
सुक्खू ने कहा, "भाजपा किस बहुमत की बात कर रही है। षड्यंत्र के तहत मेरे इस्तीफे की झूठी खबर फैलाई गई। बागी विधायक हिमाचल की जनता का सामना नहीं कर पाएंगे। हमारी सरकार 5 साल चलेगी। भाजपा ओछी राजनीति कर रही है, सरकार गिराने की कोशिश कर रही है। जनता जवाब देगी। बागियों की गलती माफ की जा सकती है। वो कांग्रेस में आना चाहें तो स्वागत है। मेरी कमी रही कि मैं शराफत में रह गया।"
अयोग्यता के खिलाफ हाई कोर्ट जा सकते हैं विधायक
हिमाचल प्रदेश विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने आज कांग्रेस के 6 बागी विधायकों को दल-बदल कानून के तहत अयोग्य ठहराया था। अब ये सभी विधायक अयोग्यता के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख कर सकते हैं। बता दें कि इन विधायकों ने राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी की जगह भाजपा उम्मीदवार को वोट दिया था। इससे सिंघवी को बहुमत के बावजूद हार का सामना करना पड़ा था।