सुखविंदर सिंह सुक्खू को इन कारणों से मिली हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी
सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल प्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे और रविवार को उन्हें शपथ दिलाई जाएगी। विधानसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत के बाद कांग्रेस हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाने जा रही है। दो दिन के विचार-विमर्श के बाद सुक्खू के नाम का ऐलान किया गया है। सुक्खू ने इस कुर्सी पर पहुंचने के लिए प्रतिभा सिंह जैसे बड़े नामों को पछाड़ा है। आइये जानते हैं कि किन कारणों के चलते सुक्खू को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी जा रही है।
आधे से ज्यादा विधायकों का समर्थन
कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों में से 40 अपने नाम की है। इन 40 में से आधे से अधिक विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं। विधायकों के इसी रुख को भांपते हुए आलाकमान ने सुक्खू के नाम को हरी झंडी दिखा दी। इससे पहले नवनिर्वाचित विधायकों ने एक लाइन का प्रस्ताव पारित कर आलाकमान को मुख्यमंत्री का नाम घोषित करने के लिए अधिकृत किया था।
राहुल गांधी की पसंद है सुखविंदर सिंह सुक्खू
सुखविंदर सिंह सुक्खू उन नेताओं में गिने जाते हैं, जो टीम राहुल का हिस्सा रहे हैं। 2013 में उन्हें राहुल गांधी ने ही हिमाचल प्रदेश कांग्रेस समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया था। इसके अलावा सुक्खू ने बतौर कार्यकर्ता के तौर पर कांग्रेस में अपने सफर की शुरुआत की थी। उन्हें कुर्सी सौंपकर कांग्रेस ने यह संदेश देने की भी कोशिश की है कि जमीन पर काम करने वालों पुरस्कृत किया जाएगा।
जातीय समीकरणों का रखा गया ध्यान
हिमाचल में ठाकुर/राजपूत आबादी का एक तिहाई हिस्सा है और कांग्रेस की राजनीति में हमेशा उनका दबदबा रहा है। ऐसे में उसी समुदाय से आने वाले सुक्खू को कुर्सी सौंपने से जातिगत समीकरणों पर असर नहीं पड़ेगा। संतुलन साधने के लिए कांग्रेस ने ब्राह्मण चेहरे मुकेश अग्निहोत्री को उपमुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया है। 2011 की जनगणना के अनुसार, हिमाचल की आबादी में से 33 प्रतिशत राजपूत और 18 प्रतिशत ब्राह्मण हैं।
अपने दम पर बनाई छवि
प्रतिभा सिंह और मुकेश अग्निहोत्री के उलट सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने दम पर अपनी छवि बनाई है। सिंह और अग्निहोत्री जहां दिवंगत वीरभद्र सिंह के सानिध्य में आगे बढ़े, वहीं पूर्व छात्र नेता रहे चुके सुक्खू ने दूध बेचने से लेकर राजनीति में अपनी अलग छाप छोड़ने तक का सफर अपने दम पर तय किया है। संतुलन साधने के लिए हिमाचल कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह के बेटे को अहम पोर्टफोलिया दिया जा सकता है।
सुखविंद सिंह सुक्खू ने हर स्तर पर किया है काम
नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया से लेकर यूथ कांग्रेस और फिर प्रदेश कांग्रेस समिति प्रमुख। सुक्खू ने कांग्रेस के लगभग हर स्तर पर काम किया है और आज वो मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। वकालत की पढ़ाई कर चुके सुक्खू को फायरब्रांड नेता के तौर पर पहचाना जाता है। जीत के बाद जब उनसे पूछा गया कि प्रतिभा सिंह के समर्थक नारे लगा रहे हैं तो उन्होंने कहा कि नारों से कोई मुख्यमंत्री नहीं बनता।
क्षेत्र का भी पड़ा असर
सरकार में रहते हुए वीरभद्र परिवार पर राजधानी शिमला को ज्यादा तवज्जो देने का आरोप लगा था। सुक्खू हमीरपुर से आते हैं और उन्हें कुर्सी सौंपकर कांग्रेस ने बड़े क्षेत्र तक अपनी पहुंच मजबूत की है। इसके अलावा पार्टी ने उस छवि को बदलने की कोशिश की है कि हर बार पुराने चेहरों को आगे कर दिया जाता है। मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस अध्यक्ष और सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस ने संदेश दिया है कि वह बदलाव कर सकती है।