औरंगाबाद का नाम बदलने को लेकर शिवसेना और कांग्रेस में तकरार बढ़ी, एक-दूसरे पर साधा निशाना
औरंगाबाद का नाम बदलकर 'संभाजीनगर' करने को लेकर महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल शिवसेना और कांग्रेस में तकरार बढ़ती जा रही है। रविवार को शिवसेना ने कहा कि अगर किसी को क्रूर मुगल बादशाह औरंगजेब प्रिय लगता है तो यह धर्मनिरपेक्षता नहीं है। जबाव में कांग्रेस ने शिवसेना और भाजपा पर जगहों के नाम बदलने की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए सवाल किया कि उन्होंने अपनी पांच साल की सरकार के दौरान ऐसा क्यों नहीं किया।
क्या है पूरा मामला?
औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे संभाजी के नाम पर 'संभाजीनगर' करना शिवसेना की एक पुरानी वैचारिक प्रतिबद्धता है और हालिया समय में उसने ऐसा करने की कवायद तेज की है। हालांकि वैचारिक रूप से शिवसेना के विपरीत कांग्रेस को ये प्रस्ताव पसंद नहीं आया है और इसके कारण सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल दोनों पार्टियों में तकरार देखने को मिली है। रविवार को इस तकरार की एक और नई कड़ी देखने को मिली।
संजय राउत ने लेख लिख साधा कांग्रेस पर निशाना
रविवार को शिवसेना सांसद संजय राउत ने पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में लेख लिखते हुए कहा कि कांग्रेस जैसी धर्मनिरपेक्ष पार्टियां औरंगाबाद का नाम बदलने के विरोध में इसलिए हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे मुस्लिम नाराज होंगे और उनके वोटबैंक और धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि औरंगजेब एक धर्मनिरपेक्ष नहीं, बल्कि क्रूर प्रशासक था। उन्होंने कहा, 'औरंगजेब धार्मिक रूप से अंधा था और अन्य धर्मों के प्रति नफरत पालता था।"
महाराष्ट्र में औरंगजेब के नाम पर कोई शहर नहीं हो सकता- राउत
राउत ने आगे कहा कि औरंगजेब छत्रपति शिवाजी महाराज को अपना दुश्मन मानता था और छत्रपति संभाजी महाराज को नृशंसता से मारा। उन्होंने कहा, "कम से कम महाराष्ट्र में तो औरंगजेब के नाम पर कोई शहर नहीं होना चाहिए। आप इसे 'शिव भक्ति' कहिए या इतिहास के प्रति महाराष्ट्र का आत्मसम्मान। जिन्हें औरंगजेब प्रिय लगता है, उनके सामने झुकना, यह धर्मनिरपेक्षता नहीं है।" वहीं समाचार एजेंसी ANI से उन्होंने कहा कि ये लोगों की भावनाओं का मामला है।
कांग्रेस ने पूछा- भाजपा-शिवसेना जब सत्ता में थे, तब नाम क्यों नहीं बदला
शिवसेना के इन दलीलों का जबाव देते हुए महाराष्ट्र सरकार में राजस्व मंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने कहा कि जो पिछले पांच साल से महाराष्ट्र और केंद्र में सत्ता थे अब नाम बदलने को लेकर राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि जब शिवसेना और भाजपा सत्ता में थे, तब उन्होने नाम क्यों नहीं बदला और स्थानीय लोगों को गुमराह करने के लिए अब ये मुद्दा उठाया जा रहा है।
शिवसेना अपने वोटों को लेकर चिंतित- थोराट
शिवसेना पर निशाना साधते हुए थोराट ने कहा कि उनकी सहयोगी शिवसेना अपने वोटों को लेकर चिंतित है और इसलिए नाम बदलने का ये खेल शुरू किया है। उन्होंने कहा कि जो लोग छत्रपति शिवाजी और छत्रपति संभाजी महाराज के नाम पर राजनीति करते हैं, उन्हें उनको और कांग्रेस को इन दोनों के बारे में सिखाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, "हम मराठी हैं और छत्रपति शिवाजी और संभाजी हमारे देवता हैं। हम उनके नाम पर वोट नहीं मांगते।"
थोराट बोले- मतभेद लेकिन राज्य सरकार स्थित और मजबूत
शिवसेना और कांग्रेस के बीच इस तनाव के बीच थोराट ने साफ किया कि राज्य सरकार स्थिर और मजबूत है। उन्होंने कहा कि (इस मतभेद को लेकर) किसी को भी ज्यादा खुशी महसूस नहीं करनी चाहिए।