विपक्ष को एकजुट करने के लिए शरद पवार के साथ हाथ मिलाएं राहुल गांधी- शिवसेना
शिवसेना ने कहा है कि केंद्र में भाजपा का सामना करने के लिए राहुल गांधी को शरद पवार के साथ मिलकर विपक्षी पार्टियों को एकजुट करना चाहिए। पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा गया है कि राहुल गांधी नियमित तौर पर केंद्र और उसकी नीतियों का विरोध करते हैं, लेकिन यह सिर्फ ट्विटर पर हो रहा है। राहुल गांधी को विपक्षी पार्टियों की बैठक आयोजित करनी चाहिए थी। आइये, जानते हैं कि इसमें और क्या लिखा गया है।
कमजोर विपक्ष के कारण सरकार को खतरा नहीं- शिवसेना
महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चला रही शिवसेना के मुखपत्र में दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री मोदी की बॉडी लैंग्वेज अब बदल गई है। इसमें लिखा गया है, 'वो जानते हैं कि देश में हालात उनके नियंत्रण से बाहर हो चुके हैं। लोगों के गुस्से के बावजूद भाजपा और सरकार को इस बात का भरोसा है कि कमजोर और बिखरे हुए विपक्ष के चलते उन्हें कोई खतरा नहीं है।'
राहुल को बुलानी चाहिए थी विपक्षी दलों की बैठक- शिवसेना
शरद पवार ने मंगलवार को आठ विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी। इसे लेकर सामना ने लिखा कि विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने के लिए राहुल को पवार के साथ हाथ मिलाना चाहिए। विपक्षी दलों की यह बैठक राहुल गांधी को बुलानी चाहिए थी। सामना ने लिखा कि पवार विपक्ष को एकजुट कर सकते हैं, लेकिन तब नेतृत्व का सवाल रहता है। अगर कांग्रेस से यह भूमिका निभाने की उम्मीद करें तो उसके पास राष्ट्रीय अध्यक्ष भी नहीं है।
बैठक पर कसा तंज
सामना ने व्यंग्यपूर्ण लहजे में लिखा कि शरद पवार के घर हुई बैठक विपक्षी दलों की असली स्थिति बयां करती है। मीडिया द्वारा पर्याप्त कवरेज देने के बावजूद लगभग ढाई घंटे तक चली बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला। इस बैठक की वजह से पता चला है कि राष्ट्रीय मंच नामक कोई भी संगठन भी है। सामना ने लिखा कि इस बैठक में केवल वही लोग शामिल हुए थे, जो बातचीत और बहस को काम से ज्यादा महत्व देते हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष गायब- शिवसेना
शिवसेना के मुखपत्र में लिखा गया है कि आज मौजूदा सरकार के कारण देश के सामने चुनौतियों का अंबार लगा हुआ है। वैकल्पिक नेतृत्व इन समस्याओं के बारे में क्या सोच रहा है? संसदीय लोकतंत्र के लिए मजबूत विपक्ष होना जरूरी है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा विपक्ष गायब है। सामना ने लिखा है कि कुछ क्षेत्रीय पार्टियां ही भाजपा को टक्कर देने के लिए खड़ी हुई हैं और उसे चुनावों में मात दी है।