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बंगाल: पीरजादा अब्बास सिद्दीकी के साथ गठबंधन से कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों को क्या फायदा होगा?

बंगाल: पीरजादा अब्बास सिद्दीकी के साथ गठबंधन से कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों को क्या फायदा होगा?

Mar 13, 2021
06:50 pm

क्या है खबर?

पश्चिम बंगाल में एक साथ लड़ रहीं कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) केे साथ गठबंधन किया है। इस गठबंधन को लेकर कुछ सवाल भी उठे हैं, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस-वामपंथी पार्टियां इस पर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। आइए आपको बताते हैं कि कांग्रेस और वामपंथी पार्टियां इस गठबंधन पर इतनी अडिग क्यों हैं और उन्हें इससे क्या फायदा होगा।

कारण

लगभग 100 सीटों पर अब्बास सिद्दीकी का अच्छा-खासा असर

चुनावी राजनीति में हर किसी की अहमियत इस बात से तय होती है कि वह कितने वोट ला सकता है और अब्बास सिद्दीकी और ISF इस पैमाने पर कांग्रेस-वामपंथी गठबंधन के लिए बहुत अहम साबित होते हैं। दरअसल, सिद्दीकी जिस फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा है, उसका बंगाल की लगभग 100 विधानसभा सीटों पर अच्छा-खासा असर है। उसका ये असर गठबंधन के लिए बेहद उपयोग साबित हो सकता है और वह मुख्य रेस में आ सकता है।

वामपंथी खेमा

फिर से मुस्लिम समुदाय का भरोसा जीतना चाहती हैं वामपंथी पार्टियां

अलग-अलग पार्टियों की बात करें तो वामपंथी पार्टियां ISF के साथ हाथ मिलाकर एक बार फिर से मुस्लिम समुदाय का भरोसा जीतना चाहती हैं। एक समय राज्य में मुस्लिम समुदाय वामपंथी पार्टियां को वोटबैंक हुआ करता था, लेकिन फिर यह सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) के साथ चला गया। TMC के सत्ता में बने रहने का यह एक बड़ा कारण है। हालांकि हालिया समय में मुस्लिमों में TMC के प्रति नाराजगी बढ़ी है और वामपंथी पार्टियां इसका फायदा उठाना चाहती हैं।

कांग्रेस

कांग्रेस को ISF के समर्थन से यह उम्मीद

कांग्रेस की बात करें तो उसे राज्य के उत्तरी इलाके में स्थित मुर्शिदाबाद, मालदा और उत्तरी दिनाजपुर में तो मुस्लिम समुदाय का समर्थन मिलता है, लेकिन दक्षिणी इलाकों में उसे समुदाय के वोट के लिए संघर्ष करना पड़ता है। पार्टी को उम्मीद है कि ISF के साथ गठबंधन के बाद इस स्थिति में बदलाव आएगा। हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस अपनी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा और सिद्दीकी के कट्टर और विवादित बयानों के बीच सामंजस्य कैसे बैठाती है।

विवाद

कांग्रेस में आंतरिक कलह की वजह बन चुका है ISF का गठबंधन

गौरतलब है कि ISF के साथ गठबंधन कांग्रेस में आंतरिक कलह की वजह बन चुका है और पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने ट्वीट करते हुए इस पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि ISF के साथ गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा, गांधीवाद और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। उनकी इस आलोचना का जवाब देते हुए बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि शर्मा भाजपा की भाषा बोल रहे हैं।

चुनावी कार्यक्रम

बंगाल में 27 मार्च से आठ चरणों में विधानसभा चुनाव

पश्चिम बंगाल की 294 विधानसभा सीटों पर 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच आठ चरणों में विधानसभा चुनाव होने हैं और 2 मई को नतीजे आएंगे। इन चुनावों में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ TMC और भाजपा के बीच माना जा रहा है और कांग्रेस-वामपंथी गठबंधन अपना अस्तित्व बचाने के लिए लड़ रहा है। 2019 लोकसभा चुनाव में इस गठबंधन को मात्र 13 प्रतिशत वोट मिले थे और वह केवल दो सीटों पर जीत दर्ज कर पाया था।