ED ने संजय राउत को गिरफ्तार किया, किस मामले में हुई गिरफ्तारी?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पात्रा चॉल भूमि घोटाले में कई घंटे की पूछताछ के बाद शिवसेना नेता संजय राउत को गिरफ्तार कर लिया है। राउत ने दावा किया कि वो निर्दोष हैं उन्हें फंसाया जा रहा है। राज्यसभा के सांसद राउत ने कहा कि शिवसेना और महाराष्ट्र को कमजोर करने की साजिश रची जा रही थी। इससे पहले रविवार दोपहर को ED उन्हें हिरासत में लेकर अपने कार्यालय गई थी। आइये पूरा मामला जानते हैं।
किस मामले में हुई है गिरफ्तारी?
2007 में हाउसिंग डेवलेपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HDIL) की सिस्टर कंपनी गुरुआशीष कंस्ट्रक्शन को महाराष्ट्र हाउसिंग एंड डेवलेपमेंट अथॉरिटी (MHADA) ने पात्रा चॉल को पुनर्निर्माण का ठेका दिया था। गुरुआशीष कंस्ट्रक्शन को पात्रा चॉल के 672 निवासियों के लिए फ्लैट बनाने थे और करीब 3,000 फ्लैट्स बनाकर MHADA को देने थे। इन फ्लैट्स के निर्माण के बाद बची जगह को गुरुआशीष कंस्ट्रक्शन के पास बेचने या इसे विकसित करने का अधिकार था।
15 सालों से लोगों को फ्लैट्स का इंतजार
पात्रा चॉल को सिद्धार्थ नगर नाम से भी जाना जाता है और यह गोरेगांव उपनगरीय इलाके में स्थित है। करीब 15 साल पहले हुए इस इलाके को विकसित करने के समझौते के बाद आज भी लोग यहां फ्लैट्स का इंतजार कर रहे हैं।
गुरुआशीष कंस्ट्रक्शन पर क्या आरोप है?
ED का दावा है कि संजय राउत के करीबी प्रवीण राउत और गुरुआशीष कंस्ट्रक्शन ने एक भी फ्लैट्स का निर्माण नहीं किया। कंपनी के निदेशकों में से एक प्रवीण राउत को संजय राउत का करीबी बताया जा रहा है। आरोप है कि गुरुआशीष कंस्ट्रक्शन ने फ्लैट्स के निर्माण की बजाय जमीन को नौ निजी डेवलेपरों को करीब 902 करोड़ रुपये में बेच दिया। इसके अलावा कंपनी ने एक नया प्रोजेक्ट शुरू कर फ्लैट बुकिंग के 138 करोड़ रुपये जुटा लिए।
2018 में कंपनी को मिला टर्मिनेशन नोटिस
प्रोजेक्ट में देरी और फ्लैट न मिलने के चलते पात्रा चॉल के निवासियों ने शिकायत करना शुरू कर दिया। दरअसल, समझौते के तहत डेवलपरों को प्रोजेक्ट पूरा होने तक निवासियों को किराया चुकाना था, लेकिन उन्होंने 2014-15 तक ही किराया चुका। इसी समय यह सामने आया कि गुरुआशीष कंस्ट्रक्शन ने यह जमीन निजी डेवलपरों को बेच दी है। इन शिकायतों के बाद जनवरी, 2018 में MHADA ने गुरुआशीष कंस्ट्रक्शन को टर्मिनेशन नोटिस भेज दिया।
कोर्ट पहुंचा मामला
मामले में बढ़ती पेचिदगियों के बीच जमीन खरीदने वाले डेवलपर बॉम्बे हाई कोर्ट चले गए और प्रोजेक्ट बीच में रह गया। 2020 में महाराष्ट्र सरकार ने 672 किरायेदारों के किराये और अधूरे पड़े प्रोजेक्ट का समाधान सुझाने के लिए पूर्व मुख्य सचिव जॉनी जोसेफ के नेतृत्व में एक सदस्यीय समिति का गठन किया। इसके बाद पिछले साल जून में सरकार ने एक बार फिर इस चॉल के पुनर्निर्माण की मंजूरी दी। इसी साल इस पर दोबारा काम शुरू हुआ है।
ED को कहां गड़बड़ी लग रही?
ED का कहना है कि गुरुआशीष कंस्ट्रक्शन को 'गैरकानूनी गतिविधियों' से कुल 1,039.79 करोड़ रुपये की आय हुई। जांच में सामने आया कि प्रवीण राउत को HDIL से कुल 100 करोड़ रुपये मिले थे। आरोप है कि उन्होंने यह पैसा अपनी करीबियों, रिश्तेदारों और कारोबारी संस्थाओं को भेज दिया। पैसा पाने वालों में संजय राउत के परिवार का नाम भी लिया जा रहा है। इस मामले में ED लंबे समय से जांच कर रही है।
संजय राउत और प्रवीण के परिवार के बीच संदिग्थ लेनदेन
ED का आरोप है कि प्रवीण की पत्नी माधुरी ने संजय राउत की पत्नी वर्षा को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 83 लाख रुपये भेजे थे, जिनका इस्तेमाल दादर में अपार्टमेंट खरीदने के लिए किया गया था। जांच शुरू होने के बाद वर्षा ने 55 लाख रुपये माधुरी को भेज दिए। इसी दौरान किहिम बीच पर वर्षा राउत और उनके करीबी सहयोगी सुजीत पटकड़ की पत्नी स्वपना पटकड़ के नाम पर आठ प्लॉट खरीदे गए।
ED ने इस मामले में क्या कार्रवाई की?
ED इस मामले में संजय राउत को गिरफ्तार कर चुकी है। कई समन भेजने के बाद एजेंसी ने रविवार संजय राउत के मुंबई स्थित आवास पर छापेमारी की थी। इससे पहले एजेंसी ने उनकी दादर और अलीबाग में स्थित संपत्ति जब्त कर ली थी। 1 जुलाई को राउत अपने बयान दर्ज करवाने के लिए ED कार्यालय गए थे, लेकिन उसके बाद मिले समनों को उन्होंने नजरअंदाज कर दिया और कहा कि वो 7 अगस्त के बाद पेश हो सकते हैं।
ED राउत से क्या जानना चाह रही है?
ED संजय राउत से प्रवीण राउत के साथ उनके कारोबारी और दूसरे लिंक और उनकी पत्नी की संपत्तियों के सौदे के बारे मे जानना चाह रही है। सूत्रों ने कहा कि पूछताछ के दौरान संजय राउत एजेंसी का सहयोग नहीं कर रहे थे।