#NewsBytesExplainer: पूर्वोत्तर राज्यों में तेजी से भाजपा का प्रभाव बढ़ने के पीछे क्या वजह हैं?
पूर्वोत्तर राज्यों में भाजपा का प्रभाव करिश्माई रूप से बढ़ रहा है। 2018 से पहले पूर्वोत्तर में भाजपा महत्वहीन थी, लेकिन अब वह यहां अपनी पैठ बनाने में कामयाब हुई है। पिछले कुछ सालों में भाजपा ने अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर और त्रिपुरा में अकेले दम पर सरकार बनाई है। इसके अलावा मेघालय और नागालैंड में क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन करके सत्ता हासिल की है। आइए पूर्वोत्तर में भाजपा के बढ़ते प्रभाव के पीछे की प्रमुख वजह जानते हैं।
गुरुवार को आए नतीजों में क्या रही भाजपा की स्थिति?
2023 विधानसभा चुनाव में त्रिपुरा में भाजपा ने बहुमत हासिल किया है और नागालैंड में भाजपा-NDDP गठबंधन ने बहुमत का आंकड़ा पा लिया है। मेघालय में भाजपा NPP के साथ मिलकर सरकार बनाने को तैयार है। खास बात ये है कि मेघालय और नागालैंड ईसाई बहुल राज्य हैं, जहां लगभग 90 प्रतिशत ईसाई आबादी है। इसके बावजूद भी भगवा पार्टी (भाजपा) ने तीनों राज्यों में उपस्थिति दर्ज कराई है और इस चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत भी बढ़ा है।
बीते सालों में भाजपा का बढ़ा मत प्रतिशत
साल 2013 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में 2 प्रतिशत से भी कम वोट मिले थे, जबकि 2018 में मेघालय में पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़कर 10, नागालैंड में 15 और त्रिपुरा में 44 प्रतिशत हो गया। इस बार के चुनाव में भाजपा ने मेघालय में अपना वोट प्रतिशत लगभग बनाए रखा, नागालैंड में 4 प्रतिशत अधिक वोट प्राप्त किए और त्रिपुरा में वोट प्रतिशत गिरने के बावजूद अकेले बहुमत पाकर सत्ता बरकरार रखी।
पूर्वोत्तर में भाजपा का जनाधार बढ़ने की क्या हैं वजह?
विकास कार्य और सामाजिक कल्याण कार्यक्रम भाजपा के बढ़ते जनाधार के पीछे प्रमुख वजह हैं। पूर्वोत्तर राज्यों के विकास पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष जोर और नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलाइंस (NEDA) के उपस्थिति से इसे समझा जा सकता है। इन राज्यों में विकास और कल्याणकारी योजनाओं के बूते भाजपा यहां पैठ बनाने में कामयाब हुई है। इसके अलावा इन राज्यों में भाजपा के संगठनात्मक कार्यों को भी नकारा नहीं जा सकता है और उसका संगठन मजबूत हुआ है।
पूर्वोत्तर में राजनीतिक संवाद बदलने में सक्षम रही भाजपा- सर्वे
इंडिया टुडे के चुनावी सर्वेक्षण के मुताबिक, पूर्वोत्तर में मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा राजनीतिक संवाद को बदलने में सक्षम रही है। सड़कों आदि में ढांचागत निवेश में वृद्धि के साथ भाजपा ने उन राज्यों में भी आधार बढ़ाने में सक्षम रही है, जहां हिंदू अल्पसंख्यक हैं। तीनों राज्यों में युवाओं और महिलाओं ने विकास के नाम पर भाजपा को खुलकर वोट दिया है। भाजपा के लिए युवा मतदाता और महिलाओं का समर्थन अन्य पार्टियों की तुलना में अधिक रहा।
भाजपा गठबंधन को महिलाओं का मिला सर्मथन- आंकड़े
आंकड़ों के अनुसार, त्रिपुरा चुनाव में भाजपा गठबंधन को पुरुषों (41 प्रतिशत) की तुलना में महिला मतदाताओं (49 प्रतिशत) का अधिक समर्थन मिला है। यहां वाम-कांग्रेस गठबंधन की तुलना में 19 प्रतिशत अधिक महिलाओं ने भाजपा का समर्थन किया, वहीं पुरुषों में यह अंतर महज 7 प्रतिशत रहा। नागालैंड में भाजपा और NDDP गठबंधन के लिए महिलाओं का समर्थन 47 प्रतिशत रहा, जो इसके मुख्य प्रतिद्वंद्वी नागा पीपुल्स फ्रंट (NPF) से 33 प्रतिशत अधिक है।
पूर्वोत्तर में संगठनात्मक शक्ति और "मोदी मैजिक" से आसान हुई राह
देश के अन्य राज्यों की तरह पूर्वोत्तर में भी भाजपा की सफलता के पीछे उसकी संगठनात्मक शक्ति और "मोदी मैजिक" भी प्रमुख कारण है। प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता और अमित शाह के सांगठिक कौशल ने भाजपा को पूर्वोत्तर में काफी ताकत दी है। दोनों शीर्ष नेताओं ने पूर्वोत्तर में हेमंत बिस्वा सरमा को NEDA का नेतृत्व करने की क्षमता दी है और इसके कारण 8 पूर्वोत्तर राज्यों में से 6 में भाजपा आज सत्ता पर काबिज है।
न्यूजबाइट्स प्लस
त्रिपुरा में भाजपा-IPFT गठबंधन ने 60 सीटों में से 33 सीटें, वाम-कांग्रेस के गठबंधन ने 14 सीटें और टिपरा मोथा पार्टी ने 13 सीटें जीतीं है। नागालैंड में भाजपा-NDDP गठबंधन ने 59 में से 37 सीटों पर जीत दर्ज की है, वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी NPF ने 2 सीटें जीती हैं। मेघालय में NPP ने 59 सीटों में से 26 सीटें जीतीं हैं, जबकि कांग्रेस और TMC ने 5-5 सीटें और भाजपा ने 2 सीटें हासिल की हैं।