उत्तर प्रदेश: लोकसभा चुनाव में भाजपा को क्यों लगा झटका? रिपोर्ट में सामने आई ये वजहें
लोकसभा चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा झटका लगा है। 2019 लोकसभा चुनाव में राज्य की 80 में से 62 सीटों पर कब्जा जमाने वाली भाजपा इस बार सिर्फ 33 सीटों पर ही सिमट गई। इस हार पर पार्टी में संगठन से लेकर आलाकमान तक में मंथन हो रहा है। अब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने करीब 40,000 कार्यकर्ताओं से बात कर एक रिपोर्ट तैयार की है। इसमें हार की कई वजहें सामने आई हैं।
पेपर लीक से छिटके युवा मतदाता
रिपोर्ट में हार का सबसे बड़ा कारण बीते 6 साल से लगातार सरकारी नौकरियों में पेपर लीक होने को बताया गया है। कहा गया कि इससे युवा वोटर पार्टी से छिटक गए। इसके अलावा युवा संविदात्मक नौकरियां प्रदान करने में असमर्थता से भी नाराज थे। न्यूज 18 से एक सूत्र ने कहा, "पिछले कुछ वर्षों में लोगों में यह स्पष्ट हो गया था कि सरकार पेपर लीक को नियंत्रित करने या प्रतियोगी परीक्षा आयोजित करने में सक्षम नहीं थी।"
कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी
रिपोर्ट में जिक्र है कि राज्य सरकार के प्रति कार्यकर्ताओं में असंतोष भी खराब प्रदर्शन की वजह बना। ये मुद्दा लखनऊ में हुई प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भी उठ चुका है। बैठक में पदाधिकारियों ने आरोप लगाया था कि अधिकारी सरकार चला रहे हैं और मंत्री मजबूर हैं, जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल कम हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया कि चुनाव लंबा खिंचने से आखिरी चरणों के मतदान तक कार्यकर्ताओं के उत्साह में कमी आ गई थी।
संविधान बदलने के बयानों ने पहुंचाया नुकसान
राजपूत समाज की नाराजगी भी हार के कारणों में से एक बताई गई है। चुनाव से पहले भाजपा के खिलाफ राजपूत समाज की नाराजगी की खबरें सामने आई थीं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी के बहिष्कार का ऐलान तक हो गया था। इसके अलावा पार्टी ने माना है कि संविधान बदलने को लेकर नेताओं के बयानों ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया। विपक्ष ने इस मुद्दे को काफी भुनाया और भाजपा इसका जवाब नहीं दे सकी।
पार्टी के वोट शेयर में आई कमी
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के सभी 6 क्षेत्रों में भाजपा के वोट शेयर में कम से कम 8 प्रतिशत की कमी आई है। यह भी कहा गया है कि कुर्मी और मौर्य जातियां भाजपा से दूर चली गईं और पार्टी केवल एक तिहाई दलित वोट ही हासिल कर पाई। बहुजन समाज पार्टी (BSP) का कोर वोटर जाटव और भाजपा को मिलने वाले और खटिक और पासी समाज के वोट शेयर में अच्छी खासी कमी आई।
रिपोर्ट में ये भी बताई गई हार की वजहें
रिपोर्ट में जल्दी और गलत टिकट वितरण को भी वजह माना गया है। कहा गया कि जिन्हें दोबारा टिकट मिला था, वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसे बैठे रहे और कई प्रत्याशी अति आत्मविश्वास से हार गए। जनता में नाराजगी के बावजूद मौजूदा सांसदों को टिकट देना पार्टी को भारी पड़ा। इसके अलावा विपक्ष द्वारा अग्निपथ योजना और आरक्षण खत्म करने के मुद्दे ने भी जनता को भाजपा से दूर किया।