लोकसभा चुनाव परिणाम 2024: कौन है सुरेश गोपी, जिन्होंने केरल में खत्म किया भाजपा का सूखा?
क्या है खबर?
लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम का दिन केरल में भाजपा के लिए ऐतिहासिक रहा।
यहां की राजनीति में पार्टी के लिए सालों से चला आ रहा सूखा आखिरकार खत्म हो गया और यह काम किया है अभिनेता से नेता बने सुरेश गोपी ने।
उन्होंने केरल की सांस्कृतिक राजधानी त्रिशूर से भाजपा के टिकट पर न केवल चुनाव लड़ा, बल्कि 74,686 वोटों से जीत भी दर्ज की।
आइए जानते हैं कौन है सुरेश गोपी और उन्होंने कैसे यह कमाल किया।
परिणाम
गोपी ने कांग्रेस नेता को तीसरे स्थान पर धकेला
गोपी की जीत का महत्व इसलिए भी ज्यादा है कि उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे राज्य के दिग्गज और अनुभवी नेता के. मुरलीधरन को तीसरे स्थान पर धकेल दिया।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, चुनाव में गोपी को कुल 4,12,338 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम CPI के प्रतिद्वंद्वी सुनील कुमार को 3,37,652 वोट मिले।
इसी तरह कांग्रेस नेता मुरलीधरन को 3,28,124 वोटों से ही संतोष करना पड़ा। इसके बाद राज्य में पहली बार कमल खिल गया।
बयान
जीत के बाद गोपी ने क्या दिया बयान?
जीत की घोषणा के बाद गोपी ने कहा, "मैं सभी देवताओं को प्रणाम करता हूं क्योंकि यह मेरे लिए बहुत बड़ा संघर्ष था और देवताओं ने मुझे आशीर्वाद दिया। त्रिशूर के लोगों ने मुझ पर अपना आशीर्वाद बरसाया है।"
उन्होंने कहा, "मुझे यह जीत क्षेत्र के धर्मनिरपेक्ष मतदाताओं की बदौलत मिली है और वह उनके सामने नतमस्तक हैं। उनकी जीत के साथ अंततः केरल में कमल खिल गया है, जबकि 140 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा का कोई विधायक नहीं है।"
परिचय
कौन है सुरेश गोपी?
सुरेश गोपी का जन्म 1958 में केरल के अलप्पुझा में हुआ था। उन्होंने जुलॉजी से बैचलर डिग्री हासिल करने के बाद अंग्रेजी साहित्य से स्नातकोत्तर भी किया है।
गोपी एक अभिनेता होने के साथ प्लेबैक सिंगर भी हैं। वह मलयालम सिनेमा का बड़ा नाम होने के साथ तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी फिल्मों में भी अपनी छाप छोड़ चुके हैं।
उनका फिल्मी करियर 32 साल का है। उन्होंने अपने करियर में 250 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया है।
राजनीति
गोपी ने साल 2016 में भाजपा के साथ शुरु की थी राजनीतिक पारी
गोपी अक्टूबर 2016 में भाजपा के साथ अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी। उन्होंने राज्य में लगातार भाजपा के लिए काम किया और लोगों को पार्टी की अच्छाइयां गिनाई।
इसके बाद भी उनका राज्य की भाजपा ईकाई से अच्छा संबंध नहीं रहा।
हालांकि, वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजरों में विशेष जगह बनाने में सफल रहे। यही कारण रहा कि उनकी बेटी की शादी में भी प्रधानमंत्री खुद शामिल हुए थे।
संघर्ष
गोपी को करना पड़ा है बड़ा राजनीतिक संघर्ष
गोपी को अपने राजनीतिक करियर में बड़ा संघर्ष करना पड़ा है। उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने टिकट दिया था, लेकिन वह तीसरे नंबर पर रहे थे।
उसके बाद उन्होंने चुनाव न लड़ने का निर्णय किया था, लेकिन शीर्ष नेतृत्व के समझाने पर वह चुनाव लड़ने को तैयार हो गए।
उसके बाद उन्होंने 2021 में केरल में हुए विधानसभा में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन उसमें भी उन्हें तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था।
बदलाव
गोपी ने आखिर कैसे रचा इतिहास?
दो हार के बाद गोपी ने खुद को फिर से मजबूत करने का प्रयास किया। मलयालम और अंग्रेजी दोनों में उनकी महारत ने उन्हें अपने विरोधियों पर अलग बढ़त दिलाई।
स्क्रीन पर उनकी कड़क पुलिसकर्मी की छवी ने भी लोगों को उनकी ओर आकर्षित किया।
इसी तरह धर्मार्थ गतिविधियों से जुड़े रहने और अलुवा में जन सेवा शिशु भवन के संचालन ने त्रिशुर के हिंदु मतदाताओं को उनकी ओर मोड़ दिया और यही उनकी जीत का अहम कारण रहा।