पंजाब: नई कैबिनेट ने ली शपथ, कई नए चेहरों को मिली जगह
चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद आज पंजाब कैबिनेट विस्तार हो गया है। रविवार को कुल 15 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। मंत्री पद की शपथ लेने वालों में ब्रह्म मोहिंद्रा, मनप्रीत सिंह बादल, तृप्त सिंह बाजवा, अरुणा चौधरी, सुखबिंदर सरकारिया, राणा गुरजीत सिंह, रजिया सुल्ताना, विजय इंद्र सिंगला, भारत भूषण आशू, रणदीप सिंह नाभा, राजकुमार वेरका, संगत सिंह गिलजियान, परगट सिंह, अमरिंदर सिंह वारिंग और गुरकीरत सिंह कोटली का नाम शामिल है।
मंत्रिमंडल में कैप्टन के करीबी भी, विरोधी भी
ब्रह्म मोहिंद्रा को पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का करीबी समझा जाता है और वो पंजाब में पार्टी के बड़े हिंदू नेता हैं। मनप्रीत बादल ने बादल परिवार के खिलाफ बगावत कर कांग्रेस का हाथ थामा था। पूर्व सरकार में वो वित्त मंत्री थे। तृप्त सिंह बाजवा ने नवजोत सिंह सिद्धू के समर्थन में अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावत की थी। अमरिंदर सरकार में वो शक्तिशाली मंत्री माने जाते थे। अरुणा चौधरी दिनानगर से विधायक हैं।
पुराने मंत्रियों को भी मिली जगह
सुखबिंदर सरकार को कैप्टन का करीबी माना जाता था और वो राजस्व मंत्री थे, लेकिन उन्होंने सिद्धू का समर्थन किया था। रजिया सुल्ताना कैबिनेट में शामिल की गईं एकमात्र मुस्लिम विधायक है। अमरिंदर सिंह के साथ उनके समीकरण ठीक नहीं थे। विजय इंद्र सिंगला गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं और उनके पास पहले शिक्षा मंत्रालय था। भारत भूषण आशू पुराने कांग्रेसी हैं। लुधियाना से आने वाले आशू पूर्व सरकार में भी मंत्री थे।
परगट सिंह को भी मिली जगह
रणदीप सिंह नाभा फतेहगढ़ की अमलोह विधानसभा से लगातार चौथी बार विधायक हैं। उन्हें कुलदीप सिंह नागरा की जगह मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। राजकुमार वेरका अमृतसर पश्चिम से लगातार तीन बार के विधायक हैं। संगत सिंह गिलजियान कैप्टन के धुर विरोधी माने जाते हैं। उरमार से लगातार तीसरी विधायक बने हैं। परगट सिंह पंजाब कांग्रेस प्रमुख सिद्धू के करीबी नेताओं में से एक हैं। पूर्व हॉकी खिलाड़ी सिंह दो बार के विधायक है।
वारिंग को भी बनाया गया मंत्री
अमरिंदर सिंह वारिंग 2012 में पहली बार विधायक बने और उन्हें कैप्टन का विरोधी माना जाता है। वहीं गुरकीरत सिंह कोटली पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते हैं और खन्ना विधानसभा से विधायक हैं।
राणा गुरजीत सिंह के नाम को लेकर हुआ विवाद
राणा गुरजीत सिंह के नाम को लेकर छह विधायकों ने विरोध जताया और उनकी जगह किसी अनुसूचित जाति के विधायक को कैबिनेट में शामिल करने की मांग की थी। इन विधायकों ने अपनी मांग को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू को पत्र लिखा था। बता दें कि राणा पंजाब के सबसे अमीर विधायक हैं। वो कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार में मंत्री थे, लेकिन 2018 में अवैध खनन के आरोप सामने आने के बाद उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था।
रावत बोले- बाकी विधायकों को संगठन में मिलेगी जगह
पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने मंत्रिमंडल विस्तार के बाद कहा कि जिन विधायकों को मंत्री नहीं बनाया गया है, उन्हें सरकार और संगठन में जगह दी जाएगी। रावत ने बताया कि मंत्रिमंडल में युवा चेहरों को लाने, सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन साधने के लिए यह प्रक्रिया की गई है। जानकारी के लिए बता दें कि पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और नई कैबिनेट के पास काम करने के लिए कुछ ही महीनों का समय है।
रो पड़े बलबीर सिंह सिद्धू
मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने के बाद अमरिंदर सिंह सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे बलबीर सिंह सिद्धू रो पड़े। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, "कोरोना काल में मैंने दिन रात काम किया। मैं हाईकमान से इतना पूछना चाहता हूं कि मेरा कसूर क्या था कि मुझे मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया। मैं सोनिया गांधी का सिपाही हूं। मुझे बस यह जवाब चाहिए कि मुझे मंत्रिमंडल से बाहर क्यों किया गया है?"
20 सितंबर को चन्नी ने ली थी शपथ
पंजाब कांग्रेस में लंबे समय से चली आ रही खींचतान के बीच 18 सितंबर को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया और उन्होंने 20 सितंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। चन्नी के शपथ ग्रहण समारोह के बाद नए मंत्रियों के नामों पर एक राय नहीं बन पाई थी और उन्हें दो बार आलाकमान से बैठक के लिए दिल्ली जाना पड़ा था।