जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने का मतलब क्या है? जानें
केंद्र सरकार के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त कर दी और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटने का आदेश जारी किया। जम्मू-कश्मीर की अपनी अलग विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा। इसके साथ ही देश में केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या बढ़कर 9 हो गई है। जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के असली मायने आखिर क्या है, आइए आपको बताते हैं।
ऐसे काम करती है विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार
जम्मू-कश्मीर के पास अपनी विधानसभा होगी और अभी देश में ऐसे केवल दो केंद्र शासित प्रदेश हैं- दिल्ली और पुडुचेरी। इन प्रदेशों में एक चुनी हुई सरकार और मुख्यमंत्री होता है, वहीं उपराज्यपाल, राष्ट्रपति (केंद्र सरकार) के प्रतिनिधि के तौर पर काम करता है। राज्यपाल मुख्यमंत्री और उसके मंत्रिमंडल की सिफारिशों के हिसाब से फैसले लेता है, लेकिन उसे हर मुद्दे पर फैसले के लिए मंत्रिमंडल की सहमति की जरूरत नहीं होती।
केंद्र सरकार की ताकत बढ़ेगी, राज्य विधानसभा की ताकत जाएगी
अगर दिल्ली का उदाहरण लें तो दिल्ली सरकार जमीन, कानून और पुलिस पर कोई फैसला नहीं ले सकती और राज्यपाल इन सभी मुद्दों पर अपनी मर्जी से सीधे फैसला ले सकते हैं। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद कुछ ऐसी ही व्यवस्था जम्मू-कश्मीर में देखने को मिल सकती है। इसका सीधा मतलब हुआ कि वहां महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रशासन सीधे केंद्र सरकार के हाथों में होगी और जम्मू-कश्मीर विधानसभा की शक्तियों में बड़ी कमी आएगी।
लद्दाख में राज्यपाल के जरिए केंद्र सरकार का सीधा शासन
वहीं, दूसरी ओर लद्दाख की बात करें तो उसके पास अपनी विधानसभा नहीं होगी। इसका मतलब है कि वहां राज्यपाल के जरिए केंद्र सरकार का सीधा शासन होगा। ऐसे केंद्र शासित प्रदेशों में राज्यपाल अपने सलाहकारों की मदद से प्रशासन का जिम्मा संभालते हैं औऱ केंद्र सरकार उनके जरिए अपने फैसले लागू करती है। चंडीगढ़, दादर और नागर हवेली, दमन और दियू, लक्षद्वीप, अंडबार-निकोबार द्वीप समूह के बाद छठवां ऐसा केंद्र शासित प्रदेश होगा।
हर पांच साल में होंगे चुनाव
अनुच्छेद 370 के चलते, जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा होता है। जो अब नहीं रहेगा। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल छह वर्षों से घटकर भारत के अन्य राज्यों के जैसे पांच साल का हो जायेगा।
कश्मीर में आम लोगों के लिए क्या बदलेगा?
अब तक सिर्फ 'स्थायी नागरिक' का दर्जा प्राप्त कश्मीरी ही वहां जमीन खरीद सकते थे, लेकिन 370 हटने के बाद वहां वे लोग भी जमीन खरीद सकेंगे जिनके पास 'स्थायी नागरिक' का दर्जा नहीं है। अब तक सिर्फ 'स्थायी नागरिक' ही राज्य सरकार की नौकरियों के लिए आवेदन कर सकते थे, लेकिन अब यह सबके लिए खुल जाएगा। जम्मू-कश्मीर की महिलाओं पर लागू राज्य के पर्सनल कानून अब लागू नहीं होंगे।