
पंजाब विधानसभा में CAA के खिलाफ प्रस्ताव पारित, ऐसा करने वाला केरल के बाद दूसरा राज्य
क्या है खबर?
पंजाब विधानसभा में आज नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया।
इसी के साथ पंजाब नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला केरल के बाद दूसरा राज्य बन गया है।
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ भी जल्द ही इस सूची में शामिल हो सकते हैं। पंजाब की तरह इन दोनों राज्यों में भी कांग्रेस की सरकार है।
ये प्रस्ताव पारित करने के बाद पंजाब सरकार नागरिकता कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी जा सकती है।
ट्विटर पोस्ट
पंजाब विधानसभा में CAA के खिलाफ प्रस्ताव पारित
Resolution moved by Punjab government against #CitizenshipAmendmentAct has been passed in the state assembly. https://t.co/QZHb7mIIIf
— ANI (@ANI) January 17, 2020
प्रस्ताव
स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म मोहिंदा ने पेश किया प्रस्ताव
पंजाब सरकार में स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने विधानसभा में नागरिकता कानून के खिलाफ ये प्रस्ताव पेश किया।
प्रस्ताव पेश करते हुए उन्होंने कहा, "संसद द्वारा बनाए गए CAA की वजह से देशभर में गुस्सा और सामाजिक अशांति पैदा हुई है और इसके खिलाफ देशभर में प्रदर्शन हुए हैं। इस कानून के खिलाफ पंजाब में भी विरोध प्रदर्शन हुए जो कि शांतिपूर्ण थे और इसमें समाज के सभी तबके के लोगों ने हिस्सा लिया था।"
विरोध
नागरिकता कानून का लगातार विरोध कर रहे हैं मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह
बता दें कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह नागरिकता कानून का विरोध करते हुए पहले ही कह चुके हैं कि उनकी सरकार इस विभाजनकारी कानून को पंजाब में लागू नहीं होने देगी।
उन्होंने कहा था कि वो और कांग्रेस धार्मिक अत्याचार के शिकार अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उनका विरोध इसमें मुस्लिमों समेत कुछ अन्य धार्मिक समुदायों के प्रति किए गए भेदभाव को लेकर है।
उन्होंने इस देश के धर्मनिरपेक्ष तानेबाने के खिलाफ बताया था।
केरल विधानसभा
31 दिसंबर को केरल विधानसभा से पारित किया था प्रस्ताव
इससे पहले 31 दिसंबर को केरल विधानसभा ने नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था।
राज्य में वामपंथी पार्टियों के गठबंधन लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) की सरकार है और खुद मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने ये प्रस्ताव पेश किया था।
उन्होंने इसे संविधान के आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए कहा था कि ये NRC के साथ मिलकर अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को दूसरे दर्जे का नागरिक बना देगा।
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में भी दी CAA को चुनौती
केरल सरकार ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर नागरिकता कानून को चुनौती दी थी।
इस कानून को असंवैधानिक घोषित करने की मांग करते हुए केरल सरकार ने अपनी याचिका में इसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला कानून बताया है।
केरल सरकार ने ये याचिका भारतीय संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत डाली है जिसमें केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच किसी विवाद के निपटारे का अधिकार सुप्रीम कोर्ट को दिया गया है।