नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ 60 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को नागरिकता कानून को चुनौती देेने वाली 60 याचिकाओं पर सुनवाई होगी। तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, कांग्रेस नेता जयराम रमेश, साामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर, अरुणा रॉय, निखिल डे, इतिहासकार इरफान हबीब, अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक समेत असम गण परिषद और कमल हासन की पार्टी मक्कल निधि माईयम आदि ने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। गौरतलब है कि नए कानून के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं।
कानून को असंवैधानिक करार देने की मांग
इन याचिकाओं में कहा गया है कि धर्म के आधार पर नागरिकता देने देश के संविधान के खिलाफ है। आजादी के बाद से धार्मिक बहुलतावाद और धर्म निरपेक्षता देश का आधार रही है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि नागरिकता संसोधन कानून संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करता है। यह सम्मान से जीने के अधिकार के खिलाफ है। याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट से इस कानून को असंवैधानिक करार देने की मांग की गई है।
CJI की अध्यक्षता वाली बेंच करेगी सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसए बोबड़े के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय बेंच इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। बेंच में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं। बता दें कि शीतकालीन छुट्टियां शुरू होने से पहले यह सुप्रीम कोर्ट में कार्रवाई का आखिरी दिन है। कल से कोर्ट की शीतकालीन छुट्टियां शुरू हो जाएगी। छुट्टियों के बाद कोर्ट एक जनवरी, 2020 को खुलेगा। ऐसे में बुधवार की सुनवाई के दौरान क्या होता है, इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।
नागरिकता संशोधन कानून क्या है?
नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अत्याचार का सामना कर रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को आसानी से भारत की नागरिकता देने का रास्ता साफ हुआ है। ऐसे लोगों को केवल छह साल भारत में रहने के बाद नागरिकता मिल सकेगी। इसका विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि यह धार्मिक आधार पर नागरिकता देता है जो संविधान के खिलाफ है।
कानून के विरोध में राष्ट्रपति से मिल चुके हैं विपक्षी दल
नागरिकता कानून और इसे लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों को लेकर मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति से मुलाकात की। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के अलावा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी), राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) शामिल थी। राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद सोनिया गांधी ने छात्रों पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई का जिक्र करते हुए मोदी सरकार पर हमला बोला।
कानून के विरोध में देशभर के छात्र
देशभर की यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र नागरिकता कानून के विरोध में उतर आए हैं। दिल्ली, चंडीगढ़, चेन्नई, कोलकाता, मुंबई आदि शहरों की कई यूनिवर्सिटी में बड़े स्तर पर प्रदर्शन हो रहे हैं। दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हुए प्रदर्शनों को कुचलने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे। विदेशों में पढ़ रहे छात्र भी पत्र जारी कानून का विरोध कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में जामिया प्रदर्शन का मामला
जामिया यूनिवर्सिटी में छात्रों पर हुई पुलिस की बर्बरता का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। मंगलवार को इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से संबंधित राज्यों के हाई कोर्ट्स जाने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि मामले की प्रकृति और विशाल विवादित क्षेत्र को देखते हुए जांच के लिए विभिन्न राज्यों के स्तर पर एक समिति बनाना सही रहेगा। इससे अलग-अलग राज्यों से सबूत इकट्ठा किए जा सकेंगे।