बंगाल उपचुनाव: भाजपा ने भवानीपुर से प्रियंका टिबरेवाल को बनाया उम्मीदवार, ममता बनर्जी को देंगी टक्कर
भारतीय जनता पार्टी ने 30 सितंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए तीन उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने प्रियंका टिबरेवाल को भवानीपुर, मिलन घोष को समसेरगंज और सुजीत दास को जंगीपुर से उम्मीदवार बनाया है। तीनों सीटों के परिणाम 3 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। प्रियंका का मुकाबला पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से होगा। बता दें कि ममता को मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए यह चुनाव जीतना बेहद जरूरी है।
कौन हैं ममता को टक्कर देने वाली प्रियंका?
पश्चिम बंगाल भारतीय जनता युवा मोर्चा (BYJM) की उपाध्यक्ष प्रियंका टिबरेवाल पेशे से वकील हैं। वो पूर्व भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो की कानूनी सलाहकार रह चुकी हैं और उन्हीं के मार्गदर्शन में भाजपा से जुड़ी थीं। प्रियंका को पिछले साल BYJM का उपाध्यक्ष बनाया गया था और वो अलग-अलग मुद्दों पर ममता बनर्जी को घेरती रही हैं। इस सीट के लिए लॉकेट चटर्जी का नाम भी रेस में था, लेकिन प्रियंका ने यह बाजी मार ली।
शिक्षा और राजनीतिक सफर
कोलकाता में पैदा हुईं प्रियंका टिबरेवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और फिर कलकत्ता यूनिवर्सिटी के तहत आने वाले हाजरा लॉ स्कूल से कानून में डिग्री ली है। उन्होंने थाईलैंड से MBA भी किया है। उन्होंने 2015 में कोलकाता नगर निगम चुनाव से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। उन्होंने इस साल एंटली से विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत हासिल नहीं कर सकीं। तृणमूल कांग्रेस के स्वर्ण कमल साहा ने उन्हें 58,257 मतों के अंतर से हरा दिया था।
चुनाव बाद हुई हिंसा के मामले को लेकर अदालत गईं
प्रियंका टिबरेवाल उन याचिकाकर्ताओं में शामिल है, जो विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामलों को अदालत लेकर गए थे। कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच CBI को सौंपी है, जो अब तक कई FIR दर्ज कर चुकी है।
ममता बनर्जी के लिए जीतना बेहद जरूरी
ममता बनर्जी के लिए भवानीपुर से जीत दर्ज करना बेहद जरूरी है। दरअसल, विधानसभा चुनावों में ममता को नंदीग्राम सीट से भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। हार के बाद भी वह मुख्यमंत्री बनी हुई हैं। ऐसे में उन्हें इस पद पर बने रहने के लिए नियुक्ति के छह महीनों (नवंबर तक) के भीतर चुनाव जीतना होगा। अगर वो ऐसा नहीं कर पाती हैं तो उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ सकता है।
क्या है संवैधानिक बाध्यता?
संविधान के अनुच्छेद 164 (4) के तहत, अगर कोई व्यक्ति बिना सांसद या विधायक बने मंत्री बनता है तो उसके लिए छह महीने के भीतर विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना जरूरी होता है। अगर वह ऐसा नहीं कर पाता तो उसे पद छोड़ना होता है। चूंकि पश्चिम बंगाल में विधान परिषद नहीं है इसलिए ममता बनर्जी को हर हाल में विधानसभा सीट जीतकर 4 नवंबर से पहले विधायक बनना ही होगा।
कांग्रेस नहीं उतारेगी उम्मीदवार
कांग्रेस भवानीपुर सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी। कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि पार्टी भवानीपुर से चुनाव नहीं लड़ेगी। गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस और ममता के बीच सहयोग मजबूत होता दिख रहा है।