डेटा पर अत्यधिक निर्भरता के कारण लोकसभा चुनाव हारी कांग्रेस, सारे अनुमान निकले बिल्कुल गलत
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के शुरुआती विश्लेषण में डेटा एनालिटिक्स विभाग के आंकड़ों पर ज्यादा निर्भरता को हार का एक बड़ा कारण माना गया है। इस विभाग ने ही राफेल विमान सौदे से लेकर न्याय योजना के चुनावी प्रयोग पर सलाह दी थी। विभाग ने कुछ राज्यों में उम्मीदवारों के चयन में भी भूमिका अदा की थी। लेकिन अंत में उसके सारे आंकड़े धरे के धरे रह गए और कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा।
चुनाव प्रचार में रही अहम भूमिका
मामले से जुड़े पार्टी के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों ने बुधवार को ये जानकारी दी। 'हिंदुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार, डेटा एनालिटिक्स विभाग ने 2019 चुनाव अभियान में कई स्तरों पर महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं के भ्रष्टाचार के सबूत के तौर पर राफेल विमान सौदे का उपयोग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को लुभाने के लिए न्याय योजना के लॉन्च का समय निर्धारित करने में इस विभाग की अहम भूमिका रही।
अनुमानों को भविष्यवाणी मानने लगा था शीर्ष नेतृत्व
पदाधिकारियों के अनुसार, कांग्रेस नेतृत्व ने विभाग के आंकड़ों और अनुमानों पर इतना अधिक भरोसा किया किया कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते गए, पार्टी के नेतृत्व ने विभाग की बातों को भविष्यवाणी के तौर पर देखना शुरू कर दिया।
बिल्कुल गलत साबित हुआ सीटों का अनुमान
डेटा एनालिटिक्स विभाग का चुनाव में सीटों का अनुमान भी बेहद गलत साबित हुआ। कांग्रेस पदाधिकारियों के अनुसार, विभाग ने अनुमान लगाया था कि भाजपा 2014 में अपने 282 सीट के आंकड़े के आधे पर सिमट जाएगी और 44 सीटें जीतने वाली कांग्रेस की सीटों की संख्या तीन गुना बढ़ जाएगी। अंत में परिणाम इसके बिल्कुल विपरीत आया और भाजपा की सीटें 282 से बढ़कर 303 हो गईं और कांग्रेस 52 सीट तक ही पहुंच पाईं।
शक्ति प्लेटफॉर्म का हुआ फैसला लेने में इस्तेमाल
एक कांग्रेस नेता ने कहा, "विभाग के फ्लैगशिप शक्ति प्लेटफॉर्म के डेटा और पहुंच का इस्तेमाल बेहद महत्वपूर्ण फैसले लेने के लिए किया जाने लगा। मूल रूप से शक्ति को राय इकट्ठा करने के एक उपकरण के तौर पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए था, लेकिन यह फैसले लेने वाला उपकरण बन गया।" उन्होंने बताया कि 2018 में तेलंगाना में तेलुगू देशम पार्टी से गठबंधन का विनाशकारी फैसला भी शक्ति की मदद से लिया गया था।
राहुल ने अध्यक्ष बनने के बाद किया था विभाग का गठन
बता दें कि डेटा एनालिटिक्स विभाग का गठन कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी के सबसे पहले फैसलों में से एक था। अध्यक्ष बनने के 2 महीने बाद 5 फरवरी 2018 को उन्होने ट्वीट करते हुए इसके गठन की सूचना दी थी। पूर्व निवेश बैंकर और शोधकर्ता प्रवीन चक्रवर्ती को इसका प्रमुख बनाया गया था। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव चक्रवर्ती का पहला टेस्ट थे, जिसमें वह पास होने में कामयाब रहे।
राहुल के इंटरव्यूज पर भी आंकड़ों का प्रभाव
भाजपा के साथ सीधी लड़ाई में इस जीत के बाद कांग्रेस नेतृत्व का विभाग पर भरोसा बढ़ गया। इसका असर लोकसभा चुनाव प्रचार में राहुल के भाषणों में भी दिखा और वह कई इंटरव्यूज में इसके आंकड़ों के आधार पर बात करते हुए नजर आए। न्याय योजना के निर्धारण में अहम भूमिका निभाने वाले चक्रवर्ती जनता में इसके प्रभाव पर भी चूक कर गए और लगातार जनता में इसकी भारी चर्चा की बात कहते रहे।
इसलिए गलत साबित हुए सारे अनुमान
चुनाव में कांग्रेस की करारी हार ने साफ कर दिया कि विभाग के दावे सच्चाई से कोसों दूर थे। इसका कारण शक्ति प्लेटफॉर्म द्वारा इकट्ठा किए गए डेटा के जाली होने को माना जा रहा है। पदाधिकारियों के अनुसार, ये डेटा कांग्रेस कार्यकर्ताओं से इकट्ठा किया गया था, इसलिए इसके पार्टी के पक्ष में पूर्वाग्रहित होने की संभावना थी। शीर्ष नेतृत्व और विभाग ने इन पूर्वाग्रहों को छांटने के लिए कुछ नहीं किया और इसलिए इसके अनुमान गलत साबित हुए।