खुद प्रधानमंत्री ने बताया, 2014 और 2019 के मोदी में क्या है मुख्य अंतर, जानें
2014 में प्रधानमंत्री बनने से अब 2019 लोकसभा चुनाव तक, नरेंद्र मोदी में क्या बदलाव आए हैं, इस पर उनके विरोधी और समर्थकों के अलग-अलग विचार हो सकते हैं। हालांकि, 2014 और 2019 के मोदी में क्या अंतर है, इस पर खुद प्रधानमंत्री के क्या विचार हैं, ये हम आपको जरूर बता सकते हैं। इस सवाल पर व्यंग्यात्मक जवाब देते हुए उन्होंने कहा है कि उनकी पाचन शक्ति बढ़ गई है। उन्होंने ऐसा क्यों कहा, आइए आपको बताते हैं।
मोदी का जवाब, अब आसानी से अपमान को पचा लेता हूं
दरअसल, 'हिंदुस्तान टाइम्स' के हालिया इंटरव्यू में जब प्रधानमंत्री मोदी से 2014 और 2019 के मोदी में मुख्य अंतर पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया, "मेरी पाचन शक्ति बढ़ गई है। अब मैं आसानी से अपमान को पचा सकता हूं।" मोदी अपने इस जवाब के जरिए कांग्रेस और विपक्षी दलों के उन तमान नेताओं पर कटाक्ष कर रहे थे, जो आए दिन उन्हें नए-नए नामों से नवाजते रहते हैं। आगे इंटरव्यू में उन्होंने इसका जिक्र भी किया।
मोदी ने गिनाए अपमान के उदाहरण
अपमान के उदाहरण देते हुए मोदी ने कहा, "मैं आपको एक पूरी सूची दे सकता हूं कि गांधी परिवार समेत कांग्रेस के तमाम अहम लोगों ने मुझे क्या-क्या कहा। प्रियंका गांधी ने मुझे दुर्योधन कहा, संजय निरुपम ने औरंगजेब कहा, दीन दयाल बैरवा ने हिंदू आतंकवादी कहा और नारायण राणे ने नामर्द कहा।" उन्होंने कहा कि पहले भी 2016 में राहुल गांधी ने उन्हें सैनिकों के खून में दलाल और 2007 में सोनिया गांधी ने 'मौत का सौदागर' कहा था।
प्रियंका ने की थी दुर्योधन से तुलना
बता दें कि उनके पिता राजीव गांधी को 'भ्रष्टाचारी नंबर 1' कहने पर प्रियंका गांधी ने मोदी की तुलना दुर्योधन से की थी। उन्होंने कहा था, "इस देश ने कभी भी अंहकार और घमंड को माफ नहीं किया है। इतिहास इसका गवाह है, महाभारत इसका गवाह है। ऐसा अहंकार दुर्योधन में भी था। उन्हें जब सच्चाई दिखाने के लिए भगवान कृष्ण उन्हें समझाने के लिए गए तो कृष्ण जी को भी उन्होंने बंधक बनाने की कोशिश की।"
निरुपम ने बताया आधुनिक औरंगजेब
वहीं, संजय निरुपम ने मंगलवार को वाराणसी में चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि यहां के लोगों ने औरंगजेब के आधुनिक अवतार को चुना है। उन्होंने मोदी पर कॉरिडोर के नाम पर मंदिरों को तोड़ने का आरोप लगाया।
बेहद निचले स्तर पर पहुंची राजनीतिक भाषा
इस लोकसभा चुनाव में राजनीतिक भाषा बेहद निचले स्तर पर पहुंच गई हैं और नेता अपने विरोधियों पर बेहद व्यक्तिगत और शर्मनाक हमले करने से भी नहीं चूक रहे। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने विदेशी हमलावरों के आत्मघाती हमले में मारे गए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बारे में शर्मनाक बयान देते हुए कहा था कि उनके जीवन का अंत 'भ्रष्टाचारी नंबर 1' के तौर पर हुआ। इसके जवाब में उन्हें औरंगजेब और जल्लाद बोला जा रहा है।