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जम्मू-कश्मीर: पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में हैं उमर और महबूबा, सावधानी बरतना जरूरी- शाह
अंतिम अपडेट Oct 15, 2019, 10:21 am
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जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुला और महबूबा मुफ्ती की हिरासत को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इन दोनों नेताओं को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत हिरासत में लिया गया है, जबकि श्रीनगर में अधिकारियों का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि इन नेताओं को PSA के तहत हिरासत में रखा गया है।
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बयान
PSA के तहत डिटेंशन में है दोनों नेता- शाह
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शाह ने इंडिया टूडे से कहा कि उनको (महबूबा और उमर) पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत अभी डिटेंशन में रखा है।
जब उनसे नेताओं की हिरासत को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 में बदलाव के बाद जब यह मामला गर्म था तब लोगों को झटका लगना स्वाभाविक था। अगर कोई उकसाने की कोशिश करता तो स्थिति को नियंत्रित करने में परेशानी होती।
बता दें, महबूबा और उमर 5 अगस्त से हिरासत में बंद है।
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जानकारी
हिरासत में लिए गए थे 4,000 लोग- शाह
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शाह ने इंटरव्यू में बताया कि अनुच्छेद 370 में बदलाव के बाद लगभग 4,000 लोगों को ऐहतियात के तौर पर हिरासत में लिया गया था, जिनमें से 1,000 अभी भी जेल में है। जेल में बंद इन लोगों में 800 पत्थरबाज हैं।
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अनुच्छेद 370
अनुच्छेद 370 की वजह से गई 40,000 जानें- शाह
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गृह मंत्री शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 की वजह से इन सालों में 40,000 लोगों की जानें गई हैं।
उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि ये लोग अनुच्छेद 370 की वजह से मारे गए हैं। हमने अनुच्छेद 370 हटा दिया। हमें लोगों तक संदेश पहुंचाने के लिए समय चाहिए। अगर कोई जख्म को कुरेदता रहे तो लोग भड़क सकते हैं। इस लिए हमने उन्हें हिरासत में रखा है। लोगों की जान गंवाने से अच्छा है कि सावधानी बरती जाए।"
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PSA
फारूक अब्दुला पर भी लगा है PSA
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उमर के पिता और तीन बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके फारूक अब्दुला भी PSA के तहत हिरासत में बंद है।
श्रीनगर से मौजूदा लोकसभा सांसद फारूक को उनके घर में अस्थायी जेल बनाकर हिरासत में रखा गया है।
बता दें कि PSA कानून के तहत सरकार किसी व्यक्ति को बिना ट्रायल छह महीने से लेकर दो साल तक हिरासत में रख सकती है।
हाल ही में फारूक की पार्टी के नेताओं ने उनसे मुलाकात की थी।
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इतिहास
फारूक अब्दुला के पिता लेकर आए थे PSA
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पब्लिक सेफ्टी एक्ट 70 के दशक में लागू किया गया था। यह कानून जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और फारूक के पिता शेख अब्दुला लकड़ी तस्करों के खिलाफ लेकर आए थे।
दरअसल, उस समय लकड़ी तस्करी के दोषी मामूली हिरासत के बाद छूट जाते थे। इसे रोकने के लिए इस कानून में किसी को बिना किसी मुकदमे के दो साल तक हिरासत में रखने का प्रावधान किया गया था।
इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
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चुनाव
BDC चुनावों पर टिकी नजरें
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जम्मू-कश्मीर में आगामी 24 अक्टूबर को ब्लॉक डेवलेपमेंट काउंसिल (BDC) के चुनाव होने हैं। इसी दिन चुनावों के नतीजे भी घोषित किए जाएंगे।
मुख्यधारा के बड़े नेताओं के हिरासत में बंद होने के दौरान करवाए जा रहे इन चुनावों पर भी सवाल उठ रहे हैं।
इन चुनावों में पंच और सरंपच मिलकर एक चेयरमैन का चुनाव करते हैं, जिसके बाद डिस्ट्रिक्ट डेवलेपमेंट बोर्ड (DDB) का गठन होता है।
24 अक्टूबर को राज्य के कुल 310 ब्लॉक में चुनाव होंगे।