नीतीश का भाजपा को एक और झटका, केंद्र में एकमात्र मंत्री को नहीं दी राज्यसभा टिकट
पिछले कुछ समय से अपनी सहयोगी पार्टी भाजपा से नाराज चल रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर से अपने एक कदम के जरिए उसे कड़ा संदेश भेजा है। नीतीश ने भाजपा के करीबी माने जाने वाले जनता दल यूनाइटेड (JDU) के नेता रामचंद्र प्रसाद सिंह को इस बार राज्यसभा की टिकट नहीं दी है। इसके कारण सिंह को अपना मंत्री पद गंवाना पड़ेगा और नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में JDU का एक भी मंत्री नहीं रहेगा।
पिछले काफी समय से सिंह से नाराज चल रहे थे नीतीश
JDU के नेताओं ने NDTV को बताया कि आरसीपी सिंह को राज्यसभा की टिकट न मिलना लगभग तय था क्योंकि नीतीश कुमार पिछले काफी समय से उनसे नाराज चल रहे थे। हाल ही में एक शादी में उन्होंने सिंह को देखा तक नहीं था और दोनों एक-दूसरे से दूर बैठे। पिछले गुरूवार को सिंह आखिरकार नीतीश से मिलने में कामयाब रहे थे, लेकिन इस बैठक में नीतीश ने साफ कर दिया था कि उन्हें टिकट नहीं मिलेगी।
सिंह से क्यों नाराज हैं नीतीश कुमार?
नीतीश के सिंह से नाराजगी की कई वजह हैं। पिछले कुछ समय में उन्हें JDU में भाजपा का आदमी माना जाने लगा था और उन्होंने जातिगत जनगणना समेत कई मुद्दों पर JDU की पार्टी लाइन से अलग रवैया अपनाया था। वह उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए भाजपा के साथ गठबंधन बनाने में भी नाकामयाब रहे थे, जिसके जिम्मेदारी पार्टी ने उन्हें दी थी। वह चुनाव प्रचार से भी नदारद रहे थे।
ये बातें भी गईं सिंह के खिलाफ
सिंह ने हालिया विधान परिषद चुनाव में पार्टी की जरूरत के बावजूद वोट नहीं डाला था। इसके अलावा वे नीतीश की इफ्तार पार्टी में भी शामिल नहीं हुए और अपने पैतृक गांव में खुद के ईद मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया। सिंह बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा पर नरम भी नजर आए थे। ये इसके बावजूद था कि भाजपा ने चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) को JDU के खिलाफ खड़ा करके नीतीश की जड़ें काटी थीं।
झारखंड JDU प्रमुख को टिकट देने के फैसले से भी असमंजस में कार्यकर्ता
नीतीश ने झारखंड JDU प्रमुख खिरू महतो को राज्यसभा का टिकट दिया है। उनके समर्थक भी असमंजस में हैं। कोई यह नहीं समझ पाया है कि ऐसे समय में जब पार्टी बिहार में कमजार हो रही है, नीतीश झारखंड में पैर क्यों फैला रहे हैं।
कौन हैं आरसीपी सिंह?
हालिया समय तक उत्तर प्रदेश कैडर के IAS अधिकारी रहे आरसीपी सिंह को JDU में नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी माना जाता था। वह पहली बार 1996 में नीतीश कुमार के संपर्क में आए थे। तब वह तत्कालीन केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के निजी सचिव थे और नीतीश उनके कामकाज से बेहद प्रभावित हुए थे। इसके अलावा नीतीश और सिंह दोनों बिहार के एक ही जिले (नालंदा) और एक ही जाति (कुर्मी) से आते हैं।
केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान नीतीश के सचिव रहे थे सिंह
नीतीश पर सिंह का इतना प्रभाव पड़ा कि जब वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय रेल मंत्री बने तो उन्होंने सिंह को अपना विशेष सचिव नियुक्त किया। इसके बाद जब 2005 में वह बिहार के मुख्यमंत्री बने तो सिंह को अपने मुख्य सचिव की जिम्मेदारी सौंपी। सिंह ने 2010 में सेवाओं से समय से पहले रिटायरमेंट ले लिया और इसी साल JDU की टिकट पर वह राज्यसभा पहुंच गए। 2016 में उन्हें फिर से राज्यसभा भेजा गया।