पंजाब: भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस छोड़ने वाले सुनील जाखड़, भेजे जा सकते हैं राज्यसभा
क्या है खबर?
पिछले हफ्ते कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले पंजाब के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ भाजपा में शामिल हो गए हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने खुद उनका पार्टी में स्वागत किया।
इस दौरान नड्डा ने कहा कि वह पंजाब में भाजपा के लिए एक महत्वपू्र्ण भूमिका निभाएंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जाखड़ को राज्यसभा भेजा जा सकता है और पंजाब में भी उन्हें कुछ जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं।
बयान
कांग्रेस मेरे लिए परिवार जैसी थी- जाखड़
भाजपा में शामिल होने के बाद जाखड़ ने अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस की मंडली अब गैंग में तब्दील हो गई है।
उन्होंने कहा, "मेरा कांग्रेस के साथ 50 साल रिश्ता रहा। मेरा परिवार 1972 के बाद तीन पीढ़ियों से कांग्रेस के साथ था। मैं उसे परिवार मानता था... कांग्रेस में जातिवाद का एक तत्व है, लेकिन भाजपा में सभी के लिए समानता है।"
भाजपा को फायदा
भाजपा के लिए कैसे फायदेमंद साबित हो सकते हैं जाखड़?
सुनील जाखड़ पंजाब के सबसे प्रमुख गैर-सिख और हिंदू नेताओं में शामिल हैं और उनकी लोगों पर अच्छी-खासी पकड़ है।
वे न केवल पंजाब में पार्टी को खड़ी करने में भाजपा की मदद कर सकते हैं, बल्कि कांग्रेस से नाराज चल रहे नेताओं को भाजपा में लाने में भी अहम भूमिका निभा सकते हैं। इन नेताओं पर उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है।
जाखड़ के हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की मदद करने की खबर भी है।
इस्तीफा
जाखड़ ने शनिवार को दिया था कांग्रेस से इस्तीफा
गौरतलब है कि जाखड़ ने पिछले शनिवार को नाटकीय अंदाज में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। चरणजीत चन्नी के खिलाफ बयान के कारण उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई थी और वो इससे नाराज थे।
फेसबुक लाइव में अपने इस्तीफे का ऐलान करते हुए उन्होंने कांग्रेस और उसके शीर्ष नेतृत्व पर जमकर निशाना साधा था।
उन्होंने कहा था कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व चापलूसों से घिरा हुआ है और सिर्फ इसी वजह से कांग्रेस को नुकसान हो रहा है।
राजनीतिक सफर
कैसा रहा है जाखड़ का राजनीतिक करियर?
जाखड़ 1980 से 1989 तक लोकसभा के स्पीकर रहे बलराम जाखड़ के बेटे हैं। बलराम इंदिरा गांधी के विश्वस्त थे और मध्य प्रदेश के राज्यपाल भी रहे थे।
जाखड़ 48 साल की उम्र में पहली बार अबोहर से विधायक चुने गए थे। इसके बाद वो 2007 और 2012 में भी यहां से विधायक चुने गए। 2012 से 2017 के बीच वो पंजाब विधानसभा में नेता विपक्ष भी रहे।
2017 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद वह गुरदासपुर से सांसद बने।