सजा पा चुके सिद्धू ने सरेंडर करने के लिए मांगा वक्त, स्वास्थ्य कारणों का दिया हवाला
क्या है खबर?
रोड रेज मामले में सजा पा चुके कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने सरेंडर करने के लिए वक्त मांगा है। इसके लिए उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है।
बता दें कि सिद्धू को आज पटियाला कोर्ट में सरेंडर करना था, लेकिन इससे पहले उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर अतिरिक्त समय की मांग की है।
इस पर जस्टिस एएम खनविलकर की बेंच ने उन्हें मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना की बेंच के पास जाने को कहा है।
जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने कल सुनाई थी सजा
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 1988 के एक रोड रेज के मामले में सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद सिद्धू ने ट्विट कर कहा था कि वो कानून के सामने समर्पण करने को तैयार हैं।
जानकारी
लीवर से जुड़ी परेशानी से जूझ रहे हैं सिद्धू- सूत्र
सिद्धू की तरफ से दलील देते हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह पुराना मामला है और स्वास्थ्य को लेकर कुछ दिक्कतें हैं। इसलिए कुछ हफ्तों का वक्त चाहिए।
हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि सिद्धू को क्या परेशानी है। वहीं सिद्धू के करीबियों का कहना है कि वो लीवर से जुड़ी परेशानियों से जूझ रहे हैं।
दूसरी तरफ पीड़ित पक्ष ने इस याचिका का विरोध करते हुए वक्त न देने की मांग की है।
दलील
पीड़ित पक्ष बोला- मामला पुराना होने का मतलब अपराध खत्म होना नहीं
पीड़ित पक्ष के वकील ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि 34 साल होने का मतलब यह नहीं है कि अपराध खत्म हो गया है। अब फैसला आया है तो वो वक्त की मांग कर रहे हैं। इस पर सिंघवी ने कहा कि सिद्धू सरेंडर करेंगे, लेकिन उन्हें थोड़ा वक्त चाहिए। इसका फैसला करना सुप्रीम कोर्ट के हाथ में है।
इस पर बेंच ने कहा कि इस मामले को CJI के पास ले जाया और फिर वो इसे देखेंगे।
जानकारी
किस मामले में हुई थी सिद्धू को सजा?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह मामला 1988 में पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मौत से जुड़ा हुआ है।
दरअसल, सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू ने सड़क के बीच में अपनी जिप्सी खड़ी कर रखी थी। इसी दौरान वहां पहुंचे 65 वर्षीय गुरनाम सिंह ने उन्हें साइड देने को कहा। इसके बाद सिद्धू ने सिंह के साथ मारपीट की थी।
बताया जा रहा है कि पिटाई के बाद सिंह को हार्ट अटैक आया था, जिसमें उनकी मौत हो गई।
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सेशन कोर्ट से बरी हुए थे सिद्धू
पटियाला सेशन कोर्ट ने सबूतों के अभाव और संदेह का लाभ देते हुए सितंबर, 1999 में सिद्धू को हत्या के आरोपों से बरी कर दिया था।
पीड़ित परिवार ने इस फैसले के खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लगभग सात साल बाद 2006 में हाई कोर्ट ने सिद्धू को इस मामले में दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी।
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
मामला
सुप्रीम कोर्ट ने माना दोषी
मई, 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को दोषी मानते हुए उन पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। हालांकि, उन्हें गैर इरादतन हत्या के आरोप से बरी कर दिया था।
इसके बाद पीड़ित परिवार ने पुनर्विचार याचिका दायर कर सिद्धू की सजा बढ़ाने की मांग की थी।
सितंबर, 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया, लेकिन कहा कि वह सिर्फ सजा बढ़ाने पर पुनर्विचार कर सकता है।